उपभोक्ताओं से मनमानी , संविधान में अधिकार संरक्षण केवल छलावा ..!

पंकज कुमार मिश्रा  – केराकत जौनपुर
सोचिए !  टैक्स भरने वाले आम आदमी और निरीह उपभोक्ताओं को खुलेआम प्रताड़ित किया जाता है और पूरा कानूनी महकमा हाथ पर हाथ धरे बैठा रह जाता है तब आपको समझा आएगा की भारत का कानून अमीरों और नेताओं के जेब में पड़ा खिलौना है । विद्युत विभाग ने  हड़ताल करके जनता को परेशान किया, जनता उपभोक्ता है अब क्या ऐसा करना दंडनीय अपराध नहीं है ! ऐसे में विद्युत विभाग के हड़तालियों को सजा की मांग की जा रही तो यह जायज है । आक्रोशित जनता इनकी गिरफ्तारी के लिए सड़कों पर उतरने का मन बना रही । आपको बता दे कि 72 घंटों के हड़ताल के नाम पर विद्युत विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों की बिजली 78 घंटे पहले से काट रखी है । बिजली कटौती से ग्रामीण परेशान जबकि बिजली हर नागरिक का अधिकार है । विद्युत मंडल द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में पहले  12 से 14 घंटे अघोषित विद्युत कटौती, मनमानी बिजली बिल वसूली के खिलाफ कई आवाज उठ चुके है । बिजली विभाग के हड़ताल के विरोध में वाराणसी और जौनपुर के चौराहे पर विशाल धरना प्रदर्शन किया गया । इस दौरान उपस्थित जनता ने लगभग 2 घंटे चले धरना प्रदर्शन में विभाग की नाकामी को बिजली कटौती का जिम्मेदार ठहराया। इस अवसर पर राज्यपाल के नाम ज्ञापन डीएम को सौंपते हुए मांग की गई कि ग्रामीण क्षेत्रों में अघोषित विद्युत कटौती बंद कर 24 घंटे विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जाए, और उपभोक्ता अधिकारों को हनन पर हड़ताली विद्युत विभाग पर मुकदमा दर्ज हो । हड़ताल बहाली के बाद  उपभोक्ताओं से मनमानी भारी भरकम बिल वसूली बंद की जाए क्युकी उपभोताओं का जो  नुकसान हुआ है उसकी भरपाई इन्ही हड़ताली कर्मचारियों से कराई जाए , शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जली कटी खराब हो चुकी विद्युत केवल बदलवाई जाए । इस  दौरान अघोषित कटौती और हड़ताल  की घोषणा के अनुसार सभी उपभोक्ताओं के 2025 तक के बिजली बिल माफ किए जाए और उसकी वसूली बिजली अभियंताओं से किया जाए अन्यथा उपभोक्ता फोरम में केस दर्ज कराया जायेगा । ग्रामीण क्षेत्र में जिन किसानों ने प्याज की फसल लगाई है, उन्हें  तत्काल विद्युत सप्लाई सुनिश्चित की जाए । बिजली की समस्या को लेकर पिछले मीटिंग में बिजली विभाग का ऊर्जा मंत्री एके शर्मा से  बात हुई पर वो विफल रही और अब बिजली मंत्रलाय ने आश्वासन दिया था कि बिजली की समस्या जल खत्म किया जाएगा । अभी देखा जा रहा है कि बिजली की समस्या उसी तरह है । ग्रामीण क्षेत्रों में 3 दिन से बिजली नहीं आई और शहरी क्षेत्रों को  3 से 4 घंटे  बिजली मिली ।  बिजली नहीं रहने से बहुत कठिनाई होती है।एक तो गर्मी है, महिलाओं को खाना बनाने में कठिनाई हो रही है, किसान को खेतों में पानी डालने की दिक्कत हो रही है, बच्चों को पढ़ाई में दिक्कत हो रही है।  बिजली कटौती से छात्र, महिला, किसान सभी  परेशान है। सरकार हर मामलों में विफल  साबित हो रही है ।  बिजली कटौती से छात्रों की पढ़ाई लिखाई बाधित है । बिजली विभाग के अधिकारी ऑफिस में नहीं बैठते है ना फोन उठाते है ।भष्टाचार की गंगोत्री बह रही है । बिजली विभाग में जल्द करेंगे घेराव ओर तालाबंदी होगी । जनता के हक अधिकार के लिए आंदोलन होगा । बिजली विभाग वाले बताए निरीह जनता का क्या दोष ?
       केन्‍द्रीय विद्युत मंत्रालय ने देश में विद्युत उपभोक्‍ताओं के अधिकारों को तय करते हुए नियम लागू किए हैं।केन्‍द्रीय विद्युत तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने  नियमों को जारी किया। विद्युत मंत्री ने कहा था  कि ये नियम विद्युत उपभोक्‍ताओं को सशक्‍त बनाएंगे। नियम 10 में कहा गया है कि वितरण लाइसेंसधारीसभी उपभोक्ताओं को 24×7 बिजली की आपूर्ति करेंगे। हालांकि, आयोग कृषि जैसे उपभोक्ताओं की कुछ श्रेणियों के लिए आपूर्ति के कम घंटों को निर्दिष्ट कर सकता है।  विद्युत वितरण मानकों के प्रदर्शन विनियम, 2004 के खंड 21 के तहत, जब आपूर्ति में रुकावट होती है, तो उपभोक्ता हर छह घंटे ( या उसका हिस्सा) आपूर्ति की बहाली में देरी के लिए अधिकतम रु. 2000/- के मुआवजे के  अधीन होगा । यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि यह नियम बिजली आउटेज की निगरानी और बहाली के लिए  एक स्वचालित तंत्र स्थापित करने की भी सिफारिश करता उन्‍होंने कहा कि ये नियम इस मान्‍यता से निकले हैं कि विद्युत प्रणालियां उपभोक्‍ताओं की सेवा के लिए होती हैं और उपभोक्‍ता को विश्‍वसनीय सेवाएं और गुणवत्‍ता सम्‍पन्‍न बिजली पाने का अधिकार है। उन्‍होंने कहा कि देश में वितरण कंपनियों का, चाहे सरकारी या निजी हो, एकाधिकार हो गया है और उपभोक्‍ताओं के पास कोई विकल्‍प नहीं है।  इन नियमों को लागू करने से यह सुनिश्चित होगा कि नए बिजली कनेक्‍शन, रिफंड तथा अन्‍य सेवाएं समयबद्ध तरीके से दी जा सकें। उन्‍होंने कहा कि जानबूझकर उपभोक्‍ताओं के अधिकारों की अनदेखी करने पर सेवा प्रदाता दंडित होंगे। उन्‍होंने कहा कि ये नियम सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं के केन्‍द्र बिन्‍दु में उपभोक्‍ता को रखने के कदम हैं। इन नियमों से लगभग 30 करोड़ वर्तमान तथा संभावित उपभोक्‍ता लाभान्वित होंगे। उन्‍होंने सभी उपभोक्‍ताओं विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों/गांवों में उपभोक्‍ताओं को जागरूक बनाने पर बल देते हुए कहा कि राज्‍यों तथा डिस्‍कॉम को सरकार के उपभोक्‍तानुकूल नियमों का व्‍यापक प्रचार-प्रसार करने की सलाह दी जा रही है। श्री सिंह ने कहा कि इसलिए नियमों में उपभोक्‍ताओं के अधिकारों को तय करना और इन अधिकारों को लागू करने के लिए प्रणाली बनाना आवश्‍यक हो गया था। नियमों में यही प्रावधान है ।बिजली कटौती की आवृत्ति विभिन्न चिंताओं को जन्म देती है, प्राथमिक यह है कि क्या उपभोक्ता के पास बिजली की निर्बाध आपूर्ति का अधिकार भी है। बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020 यह स्थापित करने का प्रयास करते हैं कि उपभोक्ताओं को विश्वसनीय सेवाएं और गुणवत्तापूर्ण बिजली प्राप्त करने का अधिकार है ।  रेटिंग प्रणाली जो उनकी उपभोक्ता-मित्रता को उजागर करती है, उपभोक्ताओं के प्रति जिम्मेदारी की भावना भी पैदा करेगी। ट्रैकिंग प्रगति यह सुनिश्चित करने में मदद कर सकती है कि ये अधिकार सभी उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध हैं और संशोधन प्रस्तावित करने के लिए अनुकूल होंगे।  बिजली पर हर नागरिक का अधिकार है। माननीय मद्रास उच्च न्यायालय ने वास्तव में फैसला सुनाया है कि बिजली आपूर्ति से इनकार करना मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा । केरल , कलकत्ता और हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालयों द्वारा बिजली के अधिकार के संबंध में इसी तरह का रुख अपनाया गया था । इस अधिकार का प्रयोग करने के लिए, नागरिकों को इन अधिकारों के साथ-साथ इसे लागू करने के तरीकों के बारे में जागरूकता होनी चाहिए। बिजली क्षेत्र में उपभोक्ताओं के अधिकारों का संहिताकरण भारत सरकार द्वारा एक प्रशंसनीय कदम है। ये नियम विद्युत अधिनियम, 2003 के नियम बनाने की केंद्र सरकार की शक्ति धारा 176(2)(z) के तहत पारित किए गए हैं । इन नियमों से देश में  लगभग 30 करोड़ उपभोक्ताओं (वर्तमान और भावी दोनों) को लाभ होना था तो ऐसे में अब विद्युत विभाग के हड़ताल का खामियाजा जनता क्यों भुगते !

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