
अतीक अहमद और उसकी सल्तनत का हश्र सबके सामने है. असद के एनकाउंटर फिर अतीक और अशरफ की हत्या के बाद यूपी का एक और बाहुबली और बड़ा माफिया मुख्तार अंसारी सहम गया है. मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी ने उसकी हत्या की आशंका जताई है.
सीएम योगी आदित्यनाथ सूबे में माफिया राज के खात्मे का बिगुल बजा चुके हैं. विधानसभा में सीएम ने कहा कि माफिया को मिट्टी में मिला देंगे. सीएम के राडार में 60 से ज्यादा माफिया हैं, जिनमें मुख्तार अंसारी का भी नाम शामिल है. ऐसे में सूत्रों के मुताबिक, मुख्तार अंसारी ने जैसे ही अतीक अहमद और अशरफ की मौत की खबर सुनी, वह बेचैन हो उठा.
दरअसल मुख्तार के खिलाफ कानूनी शिकंजा कस चुका है. उसकी 448 करोड़ की संपत्ति जब्त हो चुकी है. वो इससे पहले भी कई बार अपनी जान को खतरा बता चुका है. दो साल पहले उसने राष्ट्रपति से जान बचाने की गुहार लगाई थी. तब उसे खाने में जहर देकर मारने का डर सता रहा था. तब बांदा जेल में बंद मुख्तार ने एमपी-एमएलए कोर्ट में कहा था कि उसे डर है कि कहीं यूपी सरकार खाने में जहर ना मिलाकर खिला दे. उसे ट्रायल में लाने ले जाने के दौरान एनकाउंटर का डर सताता है तो कभी वो कोई और बात करता है. कुल मिलाकर मुख्तार के बयानों में उसकी बेचैनी साफ झलकती है.
आइए जानते हैं कि इस माफिया की क्या है क्राइम हिस्ट्री. मुख्तार करीब दो दशक से जेल में बंद है. जेल की सलाखें भी उसे अपराध करने से रोक नहीं पाईं. जेल के अंदर रहते हुए उसके खिलाफ गाजीपुर, वाराणसी, मऊ और आजमगढ़ में अब तक हत्या के 8 मामले दर्ज हो चुके हैं. इसी साल उसके खिलाफ गाजीपुर में उसरी चट्टी हत्याकांड को लेकर 61वां केस दर्ज हुआ है. मुख्तार के खिलाफ हत्या के 18 मुकदमें और हत्या के प्रयास के 10 केस दर्ज हैं. मुख्तार पर टाडा, मकोका, रासुका और आर्म्स के तहत भी कई मामले दर्ज हैं.
मुख्तार के खिलाफ देशभर में 61 मामले दर्ज हैं, जिनमें 24 मामले अदालतों में विचाराधीन हैं. मुख्तार अंसारी के खिलाफ पहली बार मर्डर का केस 1988 में गाजीपुर कोतवाली में रजिस्टर हुआ था. तब मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर स्थानीय ठेकेदार सच्चिदानंद राय के मर्डर में मुख्तार का नाम आया था.
मुख्तार करीब दो दशक से जेल में भले बंद हो लेकिन लोहे की सलाखें और कैद के कड़े नियम भी उसे अपराध करने से नहीं रोक पाए. जेल के अंदर रहते हुए उसके खिलाफ गाजीपुर, वाराणसी, मऊ और आजमगढ़ में हत्या के 8 मामले दर्ज हो चुके हैं. इसी साल उसके खिलाफ गाजीपुर में 61वां केस दर्ज हुआ है. मुख्तार के खिलाफ हत्या के 18 मुकदमें और हत्या के प्रयास के 10 केस दर्ज हैं. उस पर टाडा, मकोका और रासुका के मामले दर्ज हैं.
यूपी में सन 2005 में दो बड़ी वारदात हुई थीं, जिनमें मुख्तार का नाम देशभर की सुर्खियों में था. पहला मामला मऊ दंगों से जुड़ा था तब मुख्तार दंगा प्रभावित क्षेत्र में AK-47 के साथ खुली जीप में घूम रहा था. उस केस में मुख्तार ने 25 अक्टूबर 2005 को गाजीपुर में सरेंडर किया था. दूसरी वारदात 29 नवंबर को हुई जब बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड के लिए मुख्तार ने शूटर मुन्ना बजरंगी की मदद ली थी.
यूपी में संगठित अपराध तेजी से खत्म हो रहा है. ऐसे में रंगदारी और कारोबारियों के अपहरण से लेकर पुलिस के अधिकारियों पर हमला करके कानून से आंख मिचौली खेलने वाला मुख्तार अब सदमें में दिख रहा है.