अन्नामलाई ने उदयनिधि स्टालिन को दिखाया आइना, बताया क्या है असली सनातन धर्म?

कोरोना, मलेरिया की तरह सनातन धर्म को भी दुनिया से खत्म कर देने के डीएमके नेता उदयनिधि के बयान के बाद शुरू हुआ बवाल अभी तक थमा नहीं है. उदयनिधि स्टालिन के बयान के बाद बीजेपी के तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई ने उन्हें सनातन धर्म की महानता बताते हुए करारा जवाब दिया है. अन्नामलाई ने कहा कि सनातन धर्म में जातियां हैं लेकिन उनके बीच किसी तरह का भेदभाव नहीं है. सभी को बराबर सम्मान हासिल है. जबकि डीएमके नेता दलितों और आदिवासियों के साथ भेदभाव करते हैं.

‘देश में मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया, यही सनातन धर्म’

अन्नामलाई ने कहा कि आदिवासी समुदाय से आने वाली द्रोपदी मुर्मू को देश ने राष्ट्रपति और प्रथम नागरिक बनाया. यही सनातन धर्म है, जो बिना जाति-धर्म देखे सभी मानव के उत्थान की बात करता है. अन्नामलाई ने सवाल किया कि अगर द्रमुक आदिवासियों के हक की बात करती है तो उसने राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू को वोट क्यों नहीं दिया.

‘डीएमके ने मुर्मू को क्यों नहीं दिया में वोट?’

श्रीविल्लिपुथुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए अन्नामलाई ने डीएमके नेता उदयनिधि को जमकर आइना दिखाया. उन्होंने सवाल किया, ‘द्रमुक ने राष्ट्रपति चुनाव में द्रोपदी मुर्मू जी के समर्थन में मतदान क्यों नहीं किया?’ अन्नामलाई ने कहा कि सभी जातियां समान हैं.

‘यशवंत सिन्हा को क्यों दिया वोट?’

अन्नामलाई ने डीएमके से पूछा कि उसने राष्ट्रपति चुनाव में जिस उम्मीदवार का समर्थन किया था, उसकी जाति आखिर किया थी. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, ‘आपने मुर्मू के खिलाफ यशवंत सिन्हा को वोट दिया, वह किस समुदाय से हैं? हम देश के लोगों ने उन्हें (मुर्मू को) राष्ट्रपति बनाया और यही सनातन धर्म है.

‘सनातन धर्म के बारे में हमसे सीखें’

बीजेपी नेता ने यह भी सवाल किया कि क्या डीएमके ने अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले रामनाथ कोविंद के पक्ष में मतदान किया था? उन्होंने कहा, ‘हम सनातन धर्म को मानने वालों ने उन्हें वोट दिया क्योंकि हमारा मानना है कि सभी समान हैं. सनातन धर्म के बारे में हमसे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीखें.’

आखिर क्या है विवाद?

बता दें कि धरती से सनातन धर्म को मिटा देने के अपने विवादित बयान को सही ठहराते हुए उदयनिधि स्टालिन ने दावा किया था कि हाल में दिल्ली में नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को आमंत्रित नहीं किया था और  यह सनातन धर्म की भेदभावपूर्ण प्रथा को दर्शाता है. स्टालिन के इस बयान के बाद अन्नामलाई ने पलटवार किया. राजनीति में आने से पहले अन्नामलाई तमिलनाडु में ही आईपीएस अफसर थे लेकिन बाद में वीआरएस लेकर वे राजनीति से जुड़ गए.

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