अमित शाह बोले- अंग्रेजों के जमाने के कानून अब नहीं चलेंगे

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में भारतीय संहिता सुरक्षा विधेयक, 2023 पेश किया। इस दौरान शाह ने कहा कि 1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों के बनाए कानूनों के मुताबिक चलती थी। तीन कानूनों को बदल दिया जाएगा और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव आएगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि  अंग्रेजों के जमाने के कानून अब नहीं चलेंगे। संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय सुरक्षा संहिता विधेयक, 2023 पेश किया, जो सदियों पुराने औपनिवेशिक आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन करेगा।

अमित शाह ने कहा कि आपराधिक कानून भारतीयों द्वारा, भारतीयों के लिए होने चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के ये कानून सजा पर केंद्रित हैं। उन्होंने कहा कि जिन कानूनों को निरस्त किया जाएगा… उन कानूनों का फोकस ब्रिटिश प्रशासन की रक्षा करना और उन्हें मजबूत करना था। उनका विचार दंड देना था, न्याय देना नहीं। इन्हें प्रतिस्थापित कर नए तीन कानून भारतीय नागरिक के अधिकारों की रक्षा का जज्बा लाएंगे। हम मंत्री ने कहा कि नए विधेयक का उद्देश्य सज़ा देना नहीं, न्याय दिलाना होगा। शाह ने कहा कि अपराध रोकने की भावना पैदा करने के लिए सजा दी जाएगी। शाह ने कहा कि मैं आज जो तीन विधेयक पेश कर रहा हूं उनमें आपराधिक न्याय प्रणाली का सिद्धांत कानून भी शामिल है। एक है भारतीय दंड संहिता जो 1860 में बनाई गई थी, दूसरी है आपराधिक प्रक्रिया संहिता जो 1898 में बनाई गई थी और तीसरा है भारतीय साक्ष्य अधिनियम, जो 1872 में बना था। हम आज इन कानूनों को खत्म कर देंगे, जो अंग्रेज़ों द्वारा लाए गए थे।

लोकसभा में शुक्रवार को विपक्षी दलों के सदस्यों ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के निलंबन और मणिपुर के मुद्दे को लेकर हंगामा किया। लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से यह कहते सुना गया कि चौधरी ने आसन के साथ हमेशा सहयोग किया है। शोर-शराबे के बीच लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने प्रश्नकाल शुरू करने के लिए कहा। लेकिन विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा।लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा के दौरान कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर की गई कुछ टिप्पणियों और उनके आचरण के कारण बृहस्पतिवार को उन्हें सदन से निलंबित कर दिया गया और उनके खिलाफ इस मामले को जांच के लिए विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया गया। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने इससे जुड़ा एक प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी।

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