आग के चक्कर लगाकर सती हो जाती थी महिलाएं, औरगंजेब ने देखा तो क्या किया?

मुगल काल में औरंगजेब की जिंदगी से जुड़े कई किस्से हैं, जिनके बारे में अभी तक बहुत से लोगों को जानकारी नहीं है, जैसे उसका भाषा ज्ञान, उसका एक लड़की को देखकर बेहोश हो जाना, युद्ध के मैदान के किस्से से लेकर उसके दरबार में सती प्रथा के आए एक मामले की जिसके बाद उसने बड़ा आदेश जारी कर दिया था.

मुगलों के शासनकाल में सबसे पहले हुमायूं ने इस प्रथा पर रोक के लिए कोशिश की. हालांकि इस मुहिम में उसे कामयाबी नहीं मिली. उसके बाद अकबर ने सती प्रथा पर रोक लगाने का आदेश दिया. चूंकि कुछ महिलाएं स्वेच्छा से भी ऐसा करती थीं, इसलिए उस दौरान भी ये प्रथा नहीं रुकी. आगे औरंगजेब से लेकर अंग्रेजों का शाषन आने तक ये प्रथा चलती रही. हालांकि 18वीं सदी के अंत तक इस प्रथा को ऐसे कुछ इलाकों में बंद कर दिया गया जहां यूरोपीय औपनिवेशिक शासन था.

औरंगजेब के जीवन पर यूं तो कई इतिहासकारों और सैलानियों ने लिखा है. यहां बात इतालवी यात्री निकोला मनूची की जो, ईरान होते हुए भारत पहुंचा था. उसने मुगल दरबार में काम किया. अपनी एक किताब में उसने लिखा, ‘मैं आर्मेनिया के एक साथी के साथ घूम रहा था. एक जगह एक हिंदू महिला जलती चिता के चक्कर लगा रही थी. उसकी नजर अचानक हम पर पड़ी. मुझे लगा, जैसे उसने कहा मुझे बचा लो. तभी साथी ने मुझसे पूछा कि क्या उसे बचाने में मैं मदद करूंगा? मैंने हां कहते हुए तलवार निकाली तो हमारे सैनिकों ने भी ऐसा किया. हम घोड़े दौड़ाते हुए वहां पहुंचे तो वहां मौजूद पुरुष भाग निकले, बेचारी वो महिला अकेली रह गई. मेरे साथी ने उसे घोड़े पर बैठाया और हम वहां से निकल गए.’

मनूची ने आगे लिखा, उस नौजवान ने उस महिला से शादी कर ली. वो उसे लेकर पश्चिम दिशा की ओर निकला. महीनों बाद जब मैं सूरत पहुंचा, तो वहां वही साथी और महिला अपने बेटे के साथ मिली. महिला ने जान बचाने के लिए मुझे धन्यवाद दिया. हालांकि जब औरंगजेब कश्मीर से लौटा, तो कुछ ब्राह्मण उसके पास शिकायत लेकर गए. कहा कि मुगल सैनिक उनकी प्रथा में रोड़े डालकर महिलाओं को सती नहीं होने दे रहे हैं. इस पर औरंगजेब ने तत्काल सरकारी फरमान जारी करते हुए कहा, आज से जहां तक मुगलों का राज है, उस पूरे इलाके में किसी भी महिला को सती न होने दिया जाए.’

यह एक ऐसी प्रथा थी जिसमें पति की मौत होने पर पति की चिता के साथ ही उसकी विधवा को भी जला दिया जाता था. कई बार तो इसके लिए विधवा की रजामंदी होती थी तो कभी-कभी उनको ऐसा करने के लिए जबरन मजबूर किया जाता था.

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