उत्तर प्रदेश : नहीं दिखाई देंगे भीख मांगने वाले, मंदिर समेत हर जगह होगी ‘भिखारी मुक्त’, निगम चलाएगी अभियान

 

बनारस को खूबसूरत और पर्यटकों के लिए आकर्षित जगह बनाने के लिए स्थानीय प्रशासन सरकार के साथ मिलकर लगातार काम कर रहा है। इस दिशा में काम करते हुए अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र को सुंदर बनाने की कवायद जारी है, जिसमें अब भिखारियों से शहर को मुक्ति दिलाई जाएगी।

आमतौर पर बनारस जाने पर पर्यटकों के पीछे भारी संख्या में भिखारी पड़ जाते है। वहीं जी20 सम्मेलन के बनारस में होने वाले आयोजन को लेकर भी तैयारियां हो रही है। इसी दिशा में अब बनारस को भिखारी मुक्त बनाया जाएगा। इसे लेकर स्थानीय प्रशासन ने “भिक्षावृत्ति मुक्त काशी” अभियान की शुरुआत की है।

इस अभियान के संदर्भ में जिला मजिस्ट्रेट एस राजलिंगम ने बताया कि हम काशी में मौजूद भिखारियों की तीन श्रेणियों में पहचान करेंगे। इन सभी की पहचान कर भिक्षावृत्ति को समाप्त करने की कवायद शुरू की जाएगी। रणनीति के मुताबिक पर्यटक स्थलों, मंदिरों आदि के आस पास मौजूद भिखारियों को हटाया जाएगा। इसके साथ ही शहर की प्रमुख सड़कों और चौराहों पर भी भिखारी आने वाले समय में दिखाई नहीं देंगे।

बता दें कि स्थानीय इलाकों को भिखारी मुक्त बनाने के लिए जिला प्रशासन ने एनजीओ, वाराणसी नगर निगम, पुलिस समेत कई संगठनों के साथ मिलकर अभियान चलाने का फैसला किया है। इसे भिक्षावृत्ति निषेध अधिनियम, 1975 के प्रावधानों के तहत शुरू किया गया है। शुरुआत में निराश्रितों को हटाया जाएगा। इसके बाद भीख मांगने में लिप्त संगठित रैकेट के सदस्य और गरीब लोगों को रखा गया है, जो आजीविका कमाने के लिए विभिन्न गतिविधियों में लगे रहते हैं और विशेष अवसरों पर भीख मांगने के लिए मंदिर शहर में आते हैं।”

इस संबंध में स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर टीमों ने भीख मांगने वालों की काउंसलिंग की शुरुआत भी कर दी है। इसके साथ ही शहर भर में होर्डिंग, घोषणाओ आदि के जरिए पर्यटकों से भी अपील की जा रही है कि भिखारियों को भीख देकर उनका समर्थन ना करें। भिखारियों को भीख देना बंद कर। इसके साथ ही अगर कोई व्यक्ति भीख मांगता हुआ पाया जाएगा तो उसका पुनर्वास किया जाएगा। बता दें कि शहर में छह टीमों का निर्माण किया गया है जो कि भिखारियों को चिन्हित करने का काम कर रही है।

गौरतलब है कि वाराणसी के पर्यटकों की कई बार शिकायत रही है कि यहां भिखारियों की संख्या काफी अधिक संख्या में है। किसी समय में वाराणसी में एक या दो घाटों पर ही भिखारी दिखाई देते थे मगर अब उनकी संख्या में काफी इजाफा हुआ है। शहर के अधिकतर मंदिरों, चौराहों और घाटों पर भिखारियों की संख्या बढ़ी है।

जानकारी के मुताबिक स्थानीय प्रशासन भिखारियों का पुनर्वास करने के लिए सामाजिक संस्थाओं की भी मदद ले रहे है। इसके लिए रैन बसेरों में लाकर उनका पुनर्वास करने की योजना है। अगर भिखारी किसी अन्य जिले या प्रदेश से आए हैं तो उन्हें वापस गृह जिले या प्रदेश भेजने की भी तैयारी की गई है।

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