
उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव को लेकर सियासी दलों में रसा-कसी का दौर चल रहा है. कुछ नेता अपना सियासी किला बचाने में लगे हैं तो कुछ पहली बार चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. तमाम जिलों में अलग तरह की सियासी जंग देखने को मिल रही है. लेकिन झांसी में अलग माहौल देखने को मिला. यहां, मतदान और मतगणना से पहले ही भाजपा ने बाजी मार ली. आइये आपको बताते हैं भाजपा प्रत्याशी ने कैसे बिना लड़ाई के ही सियासी किला फतह कर लिया.
भाजपा के लिए ये कमाल कर दिखाया है कुंवर राजेंद्र सिंह ने. उत्तर प्रदेश में इस बार का नगर निकाय चुनाव की लड़ाई दिलचस्प होती जा रही है. इससे पहले झांसी नगर निगम में ही एक पार्षद का निर्विरोध चुनाव हो चुका है. अब कुंवर राजेंद्र सिंह ने झांकी राजनीति में नया इतिहास रच दिया है. बता दें कि कुंवर राजेंद्र झांसी के चिरगांव से निर्विरोध चुन लिए गए हैं.
झांसी के चिरगांव से सपा की तरफ से मलखान सिंह और बसपा की तरफ नितिन कुमार दीक्षित ने नामांकन भरा था. अब दोनों ही प्रत्याशियों द्वारा नामांकन वापस लेने के बाद झांसी में बसपा और सपा की खूब किरकिरी हो रही है.
किसी भी दल के या निर्दलीय प्रत्याशी के न होने पर चिरगांव नगर पालिका के पीठासीन अधिकारी ने राजेंद्र सिंह की निर्विरोध जीत का ऐलान भी कर दिया है. जीत सुनिश्चित करने के बाद कुंवर राजेंद्र ने विरोधियों पर हमला बोलते हुए अपनी जीत का श्रेय सीएम योगी और पीएम मोदी की डबल इंजन सरकार की नीतियों को दिया. उन्होंने कहा कि ये हमारे पार्टी की जीत है और लोग अब ट्रिपल इंजन की सरकार देखना चाहते हैं.
चिरगांव नगर पालिका के प्रभारी विधायक राजीव पारीछा ने कहा कि विपक्ष के नेता भी भाजपा सरकार के कार्यों और उपलब्धियों से प्रभावित हैं. विपक्ष की हालत ऐसी हो गई है कि उन्हें अब कोई प्रत्याशी ही नहीं मिल रहा. यही कारण है कि सभी प्रत्याशियों ने भाजपा प्रत्याशी को समर्थन देते हुए अपना नामांकन वापस ले लिया.
बता दें कि कुंवर राजेंद्र सिंह का चिरगांव में अच्छा दबदबा है. चिरगांव में राजेंद्र सिंह की मजबूत पकड़ लंबे समय से बनी हुई है. इससे पहले तक वे समाजवादी पार्टी के साथ थे. निकाय चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नाम का ऐलान होने से 1 दिन पहले उन्होंने सपा का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया. वे चिरगांव नगर पालिका के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.