ऑनलाइन उपस्थिति के लिए बदला जाए प्राथमिक स्कूलों का समय..!

पंकज कुमार मिश्रा, मिडिया विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी
उत्तर प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त करने  और शिक्षको के कार्यकुशलता पर निगरानी के लिए परिषदीय विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति की व्यवस्था की जा रही जबकि यह व्यवस्था एकीकृत समय सारिणी के लिए ही न्यायोचित है। अर्थात स्कूल का समय सारिणी एक आदर्श समय सारिणी हो जो कि 15 वर्ष पूर्व कि भांति सुबह 10 बजे से सायंकाळ 3बजे तक आदर्श मानकों के अनुरूप हो। अध्ययन और रिपोर्ट यह कहती है कि बच्चों का अधिगम विद्यालयों में पांच घंटे से अधिक नहीं रखा जाना चाहिए अन्यथा कि स्थिति में उनमे अरुचि पैदा होती है। सुबह 10 से 3 के समय सारिणी का दूसरा पहलु यह कि चालीस से पचास किमी दूर से आने वाले शिक्षक समय से विद्यालय पहुंचे सकेगे और बिना किसी मानसिक तनाव के सुचारु रूप से पठन पाठन करवा सकते है। सरकार को सुझाए गए समय सारिणी को गर्मी माह छोड़कर बाकी अन्य माहो हेतु लागू करने पर विचार करना चाहिए। साथ-साथ शिक्षको के रोजाना विद्यालय में उपस्थिती को लेकर आए दिन जो विवाद होता है उसकी सबसे बड़ी वजह वर्तमान समय सारिणी है जो पठन पाठन के दृष्टि से अनुकूल नहीं लगती। ऑनलाइन उपस्थिति कि नई व्यवस्था लागू की जा रही है पर इस व्यवस्था के तहत अब प्राइमरी विभाग में कार्यरत टीचरों को रोजाना अपनी अटेंडेंस लगानी पड़ेगी पर चुनौती वही दूर से आने वाले शिक्षक और शिक्षिकाओं के लिए रहेगी। इसके लिए गाइडलाइन जारी की गई है। साथ ही टीचरों को सूचित करने के लिए उनके मोबाइल पर एक संदेश भी आया है कि ऑनलाइन उपस्थिति कि यह व्यवस्था 20 नवंबर से लागू होगी। स्कूल वर्ष को शरद ऋतु, वसंत और ग्रीष्म ऋतु में विभाजित किया गया है। नई कक्षा के साथ पहले कुछ हफ्तों के दौरान तनाव के क्षण होते है , लेकिन यह सामान्य है और पूरे वर्ष में हुई प्रगति  आश्चर्यचकित करना कभी नहीं छोड़ती। न केवल शैक्षणिक क्षमता के संदर्भ में, बल्कि बच्चों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी, लचीलेपन और परिपक्वता के संदर्भ में भी सुबह 10 से 3 का समय अनुकूल है । स्कूल वर्ष के दौरान समय के परिवर्तन को लेकर आप जितना अपने बाल नोचते हैं, आपके पास हमेशा दुखद और तनाव पूर्ण यादों के अलावा कुछ नहीं होता। जो बात मैं अक्सर सुनता हूं वह यह है, ‘पूरे वर्ष में इतनी कम छुट्टियाँ होना बहुत अच्छा नहीं ।
                हालाँकि, शिक्षको के समय का एक बड़ा हिस्सा मूल्यांकन करने, प्रशासनिक कार्यों को पूरा करने, योजना बनाने, संसाधन बनाने, प्रगति पर नज़र रखने और जोखिम मूल्यांकन फॉर्म लिखने में व्यतीत होता है। गर्मी की छुट्टियां आराम करने का एक शानदार मौका थी जिन्हे कम करके भी एक तरह से अतिरिक्त दबाव बनाया गया है , हालांकि नया सत्र और आपकी नई कक्षा आपके विचारों से कभी दूर नहीं होती है। आख़िरकार, बैठने की योजनाएँ स्वयं लिखने वाली नहीं हैं और आपको वास्तव में उन सभी कागजी कार्रवाई पर ध्यान देने की ज़रूरत है जो आपको सौंपी गई हैं। मिडिया रिपोर्ट्स और अखबारों के अनुसार परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के लिये 209063 टैबलेट्स उपलब्ध कराये जा रहे हैं। विभाग की ओर से टेबलेट उपलब्ध कराये जाने तक पंजिका में समस्त अध्यापकों/कार्मिकों द्वारा प्रेरणा पोर्टल पर दर्ज कराए गए अपने मोबाइल नंबर से अपनी उपस्थिति रोजाना दर्ज करानी होगी।जिसके बाद इसे प्रधानाध्यापक द्वारा उपस्थिति प्रमाणित की जायेगी। इसके साथ ही विद्यालयों में अध्यापकों के प्रवेश और प्रस्थान के समय के बारे में भी जानकारी बदलती रही है । विभाग की ओर से 01 अप्रैल से 30 सितम्बर तक अध्यापकों को स्कूल में सुबह 7:45 से 8:00 बजे तक का रहा और विद्यालय से जाने का समय दोपहर 2:15 से 2:30 बजे तक निर्धारित किया गया । वहीं 01 अक्टूबर से 31 मार्च के बीच आने का समय सुबह 8:45 से 9:00 बजे तक और जाने का समय दोपहर 3:15 से 3:30 बजे तक निर्धारित था । मोबाइल/टैबलेट को जियो फेंसिंग के माध्यम से पहचाना जायेगा और पोर्टल पर उपस्थिति दर्ज करते समय अध्यापक/प्रधानाध्यापक को विद्यालय परिसर में उपस्थित रहना अनिवार्य होगा अब ऐसे में दूर से आने वाले शिक्षक जो बसों से यात्रा करते है उनके लिए यह तनावपूर्ण हो जायेगा। विद्यालय में कार्यरत समस्त शिक्षकों और स्टॉफ की उपस्थिति का ऑनलाइन प्रमाणीकरण प्रधानाध्यापक द्वारा किया जायेगा। फिलहाल इस व्यवस्था पर अलग-अलग शिक्षकों ने एबीपी लाइव से बातचीत में इस व्यवस्था को लेकर खुलकर बात की है. कई शिक्षकों ने इस व्यवस्था को अच्छा बताया है. उनका कहना है कि अमूमन सारे शिक्षक रोजाना उपस्थित रहते हैं और अपना काम सही ढंग से करते हैं, पर कुछ लोग जो सही समय पर विद्यालय नहीं पहुंचते उनके न जाने से कहीं ना कहीं शिक्षकों की बदनामी होती है. वहीं कुछ शिक्षकों ने यह भी कहा कि पौने नौ से नौ के बीच का समय देने में कई बार अगर शिक्षक एक-दो मिनट आगे पीछे होता है तो उसके लिए समस्या होगी। वहीं ग्रामीण अंचल में कार्यरत कुछ शिक्षकों ने इस व्यवस्था का स्वागत करते हुए कहा कि हम डिजिटलाइजेशन की तरफ हम आगे बढ़ रहे हैं।  टैबलेट का बजट सरकार ने दिया है और टैबलेट आ रहा है, लेकिन पिछले 70 सालों से शिक्षक स्कूलों में बच्चों के बैठने के लिए टेबल और बेंच की व्यवस्था चाहते हैं। आज भी बच्चों को टाट पट्टी पर बैठना पड़ता है।

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