
हिमालय रेंज में शामिल हिमाचल प्रदेश में प्रकृति इन दिनों ऐसा तांडव दिखा रही है, जिससे यहां की मासूम आवाम त्राहिमाम कर रही है. खबर है कि शिमला के समरहिल में जोशीमठ जैसी तबाही ने दस्तक दी है, जहां कई घरों में दरारे देखने को मिल रही हैं. हालात ऐसे हो गए हैं कि कई मकानों को दरारों ने दो भागों में बांट दिया है. जिस घर को बनाने में एक शख्स की पूरी जिंदगी लग जाती है, उसी आशियाने को यहां लोग छोड़कर जाने को मजबूर हैं. वहीं लोअर समरहिल की बात करें तो यहां दिन-प्रतिदिन खतरा और बढ़ता ही जा रहा है.
शिमला के पुलिस अधीक्षक (एसपी) संजीव कुमार गांधी ने बताया कि समर हिल इलाके में शिव मंदिर के मलबे से एक और शव बरामद होने के साथ ही बारिश से प्रभावित हिमाचल प्रदेश में मरने वालों की संख्या 75 हो गई है. इनमें से 22 लोगों की मौत शिमला में समर हिल में स्थित शिव मंदिर, फागली और कृष्णानगर में हुए भूस्खलन में हुई.
हिमाचल प्रदेश सरकार ने मूसलाधार बारिश के कारण हुए भारी नुकसान को राज्य आपदा घोषित करने का फैसला लिया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस संबंध में अधिसूचना जारी की जाएगी. हिमाचल प्रदेश, राज्य में हुई तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया की भी प्रतीक्षा कर रहा है.
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार 24 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से हिमाचल प्रदेश में बारिश से संबंधित घटनाओं में 217 लोगों की मौत हुई है और 11,301 घर आंशिक या पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं. राज्य में कुल 506 सड़कें अब भी बंद हैं और 408 ट्रांसफार्मर तथा 149 जलापूर्ति योजनाएं बाधित हैं. पिछले तीन दिन में कांगड़ा जिले के बाढ़ग्रस्त इलाकों से 2,074 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. सुक्खू ने पहले कहा था कि राज्य को इस मानसून में भारी बारिश से क्षतिग्रस्त हुए बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण में एक साल लगेगा.