ख़्वाहिश

राजीव डोगरा – कांगड़ा हिमाचल प्रदेश

मैं करूं ख़्वाहिश आज की
मिल जाए मुहब्बत ,
मुझे आपकी।

मैं करूं ख़्वाहिश आराम की
मिल जाए जिंदगी,
मुझे किसी काम की।

मैं करूं  ख़्वाहिश राम की
मिल जाए मुहब्बत,
मुझे राधे-श्याम की।

मैं करूं ख़्वाहिश  रात की
मिल जाए तन्हाई,
मुझे शाम की।

मैं करूं ख़्वाहिश ज्ञान की
मिल जाए सिद्धि,
मुझे महाज्ञान की।

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