गौरैया फिर आ जाओ, घर आंगन महकाओ, घर को वास्तुदोषों से मुक्त करती हमारी गौरैया : ज्योति बाबा

#  फसलों के लिए हानिकारक कीड़ों को समाप्त करने वाली गौरैया विलुप्त की कगार पर
कानपुर। बीपीएस न्यूज – भारत एक ऐसा देश है जहां पर पक्षियों की बहुत सारी प्रजातियां पाई जाती हैं जिनमें गौरैया का विशेष महत्व है गौरैया दिखने में सुंदर और छोटी होती है 6 से 7 वर्ष तक जीने वाली गौरैया को अक्सर हमने अपने घरों और पेड़ पौधों पर देखा होगा लेकिन आज के समय प्रकृति शोषण विकास परक नीतियों के कारण पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई और कीटनाशक पदार्थों के छिड़काव नदी तालाबों के प्रदूषित होने के साथ प्लास्टिक प्रयोग में बेतहाशा वृद्धि के कारण गौरैया विलुप्त होने की कगार पर है उपरोक्त बात नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल के तहत सोसाइटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में विश्व गौरैया दिवस के अवसर पर आयोजित वेबीनार शीर्षक प्रकृति संरक्षक हमारी गौरैया पर अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्त अभियान के प्रमुख,नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल के नेशनल ब्रांड अंबेसडर योग गुरु ज्योति बाबा ने कही,ज्योति बाबा ने आगे कहा कि पक्षियां पर्यावरण के अभिन्न अंग होते हैं तभी तो प्रकृति का चित्र बनाते वक्त हम पेड़,पौधे,नदी,झरने के साथ पक्षियों को बनाना नहीं भूलते हैं खुले आसमान में अपने खूबसूरत पंखों से उड़ते पक्षी खूबसूरत और आकर्षक दृश्य उत्पन्न करते हैं लेकिन प्रदूषण की मार के चलते काफी सारे जीव जंतु विलुप्त होने की कगार पर हैं हर घर में कलरव करने वाली गौरैया हमारी भोगवादी नीति के कारण विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है भगवान ने ना केवल मनुष्य को ही विशेष गुणों का तोहफा दिया है बल्कि पक्षियों को भी विशेष गुणों का तोहफा दिया है। मिडास परिवार के उपेंद्र मिश्रा व नमो नमो क्रांति फाउंडेशन के शैलेंद्र पांडे ने कहा कि गौरैया भी खाद्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है वो कैटलपियर,बीटल और एफिड्स जैसे छोटे कीड़ों और क्रमियों को खाकर उनकी संख्या को नियंत्रण में रखते हुए फसलों को बचाती है। राष्ट्रीय भागवताचार्य सुमित शास्त्री ने कहा कि गौरैया का मनुष्य जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है वास्तुशास्त्र के मुताबिक गौरैया जिस घर में अपना घोंसला बनाती है उस घर से स्वता ही 10 प्रकार के वास्तु दोष दूर होते हैं। प्रदेश की प्रमुख समाजसेविका बिंदु अग्रवाल, इकबाल कौर,रोज सिंह और प्रीति सोनकर ने संयुक्त रूप से कहा कि घर हमारे बड़े बड़े हो गए हैं पर दिल अपने छोटे, कि उनमें नन्ही सी गौरैया भी नहीं आ पा रही है घर-घर की चिड़िया गौरैया आज हमारी भौतिकता की अंधी दौड़ के चलते अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है अंत में योग गुरु ज्योति बाबा ने सभी को मानव जीवन की प्रसन्नता के लिए गौरैया बचाने हेतु दाना,पानी की व्यवस्था के साथ हर घर में घोंसला बनाने का संकल्प दिलाया।

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