
संकलनकर्ता लेखक – किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
# आओ सभी देश मिलकर वैश्विक समृद्धि और शांति का राजनीतिक समाधान निकालें
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर पिछले एक वर्ष से अधिक समय से यूक्रेन-रूस युद्ध से अनेक देशों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है कुछ देशों में कुछ दैनिक जीवन उपयोगी ज़रूरी वस्तुओं की पूर्ति में संकट, तो कहीं महंगाई की मार, तो कहीं तैलीय पदार्थों की कमी सहित हर देश में कुछ ना कुछ असर दिख रहा है। परंतु यूक्रेन रूस युद्ध की लकीरें बढ़ती ही जा रही है अब तो स्वीडन देश भी नाटो में शामिल हो गया है और नाटो अब करीब करीब खुलकर यूक्रेन की मदद के लिए आगे आ चुका है। उधर रूस के समर्थन में भी कुछ देश आए हैं, तो इधर एक तीसरा मोर्चा भी बनने की ओर बढ़ रहा है जो यूक्रेन प्लस नाटो देश और रूस एवं सहायक देशों दोनों के सामंजस रखता है, जो तीसरे मोर्चे में गिना जा रहा है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि यूक्रेन और रूस विश्व का 35 फ़ीसदी से अधिक खाद्यान्न और खाद्य पदार्थों की पूर्ति करता है और रूस नें जी-7 के देशों को आगाह किया गया है कि उन पर प्रतिबंध लगाए गए तो वह यूएन की अध्यक्षता वाले खाद्यान्न निर्यात समझौते से पीछे हट जाएगा जिससे स्वभाविक ही भुखमरी बढ़ेगीइसीलिए रूस के पूर्व राष्ट्रपति ने दो दिन पूर्व बयान में कहा है कि हमें रूस यूक्रेन युद्ध के एक राजनीतिक समाधान की तुरंत ज़रूरत है क्योंकि दुनिया नए विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ी है। इसलिए आज हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,आओ सभी देश मिलकर वैश्विक शांति और समृद्धि का राजनीतिक समाधान निकालें।
साथियों बात अगर हम नए विश्व युद्ध की करें तो, ऐसा लग रहा है जैसे दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर आ खड़ी है। पहले दोनों विश्व युद्ध की तरह भी इस बार भी खेमे बंट रहे हैं और कई देशों जैसे रूस-यूक्रेन, अमेरिका-ईरान और चीन-ताइवान के बीच युद्ध, हमले और उकसाने वाली कार्रवाई की जा रही है। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है लेकिन इस युद्ध के साथ ही रूस ने भविष्य का प्लान भी नजर आ रहा है।दो दिन पहले यूक्रेन ने दावा किया थाकि यूक्रेन फतह के बाद लिथुआनिया पुतिन का अगलाटारगेट है। वहीं रूस की सेना के हमले पोलैंड सीमा के नजदीक तक पहुंच गए हैं।
साथियों बात अगर हम रूस के पूर्व राष्ट्रपति के बयान की करें तो, उन्होंने बेतहाशा बढ़ती वैश्विक ज़रूरतों, और नए संकटों की आशंकाओं को देखते हुए, टिकाऊ समाधानों के लिए, मानवीय सहायता और विकास समुदायों व वित्तीय संस्थानों के दरम्यान, निकट सहयोग की ज़रूरत को भी रेखांकित किया है।उन्होंने कहा, इस सन्दर्भ में, हमें, यूक्रेन में युद्ध के एक राजनैतिक समाधान की बेहद ज़रूरत है।यूक्रेन के लोगों को शान्ति का अधिकार है, उन्हें इस भीषण युद्ध पर हालात का पन्ना पलटने का अधिकार है, जैसाकि हम सब भी चाहते हैं।रूस के पूर्व राष्ट्रपति और पीएम ने एक वैश्विक संघर्ष की चेतावनी दी है क्योंकि दुनिया में परमाणु तनाव बढ़ रहा है और जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंताएं गहरा रही हैं। रूसी राष्ट्रपति के करीबी और रूस के सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष ने मंगलवार को मॉस्को में कहा, दुनिया बर्बाद हो चुकी है और शायद एक नए विश्व युद्ध की कगार पर है। उनको कभी पश्चिमी झुकाव वाले सुधारक के रूप में देखा जाता था। लेकिन पिछले साल रूस की ओर से यूक्रेन पर हमला करने के बाद से वह लगातार पश्चिमी देशों पर हमलावर हैं।
साथियों बात अगर हम विश्व के तीन खेमों में बैठने की करें तो,आंशकाएं जताई जा रही हैं कि अगर जल्दी ही युद्धविराम न हुआ तो दोनों देशों की आग पूरे विश्व में फैल जाएगी और तीसरे विश्व युद्ध की शुरूरात हो जायेगी। ऐसा हुआ तो कुछ देश रूस का साथ देंगे और कुछ अमेरिका की तरफ होंगे।वहीं,एकतीसरा पाला भी बनेगा, जिसमें कुछ ऐसे देश होंगे, जिनका दोनों ही पक्षों से कुछ न कुछ वास्ता है और जो जंग न चाहते हुए भी उसका हिस्सा बन चुके होंगे।भारत भी इन्हीं में से एक हो सकता है।दूसरे खेमे में होंगे येदेश-इस खेमे में रूस सहित बेलारूस, इरान, सीरिया, वेनेजुएला और उत्तर कोरिया शामिल हो सकते हैं। चीन के इसमें ऑन एंड ऑफ तरीके से रहने का अनुमान है, लेकिन उसकी ज्यादा संभावना इसी पक्ष में रहने की रहेगी। इसकी एक वजह चीन का अमेरिका की जगह खुद को सुपरपावर मानना है, इसलिए संभव है कि चीन दुश्मन का दुश्मन दोस्त की तर्ज पर कूटनीति खेल सकता है।तीसरा खेमाबिल्कुल नया हो सकता है, इसमें विकासशील देशों के शामिल रहने की संभावना है।भारत इनकी अगुवाई कर सकता है। बाकी दक्षिण एशियाई देश भी इसी के साथ होंगे। दक्षिण अमेरिका और अरब देश भी इसी पाले में होंगे, क्योंकि आमतौर पर इनका पाला दोनों ही खेमों से पड़ता है और जो युद्ध रोकना चाहते हैं।भारत के लगातार इकनॉमी में आगे आने की वजह से सबकी उम्मीदें इस तरफ हैं। ऐसे में वो कमजोर देशों के लीडर के तौर पर उभरकर तीसरे खेमे का नेतृत्व भी कर सकता है। बहुत मुमकिन है कि भारत शांति की अपील करे, जिसको शायद सुना भी जाए।रूस और ईरान दोनों ही पर अमेरिकी पाबंदी है, इस वजह से दोनों आपस में दोस्त बन गए हैं। फिलहाल यूक्रेन से लड़ाई में भी ईरान अपने नए दोस्त यानी रूस की हथियारों और ड्रोन्स से मदद कर रहा है। दोनों ही देश ताकतवर होनें के साथ-साथ आक्रामक भी है। ऐसे में इनका एक साथ होना बड़ा खतरा हो सकता है। साथियों बात अगर हम जी-7 देशों और रूस की करें तो, रूस ने साफ कर दिया है कि जी -7 देशों ने उसपर संपूर्ण निर्यात प्रतिबंध लगाया तो वह संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाले खाद्यान्न निर्यात समझौते से हट जाएगा। इससे विश्व एक बार फिर से खाद्यान्न संकट से घिर सकता है। उल्लेखनीय है कि रूस और यूक्रेन विश्व का 35 प्रतिशत से ज्यादा खाद्यान्न और अन्य खाद्य पदार्थ निर्यात करते हैं।पश्चिमी देशों ने रूस पर बेहद कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। सभी वस्तुओं के निर्यात परप्रतिबंध लगाकर रूस को परेशान कर सकते हैं। अगर उन्होंने ऐसा किया तो वे खाद्यान्न और कई अन्य जरूरी वस्तुओं से हाथ धो बैठेंगे।गेहूं और उर्वरक जैसी कई आवश्यक वस्तुओं का रूस विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक है। उल्लेखनीय है कि जी 7 देशों (अमेरिका, जर्मनी, जापान, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस और इटली) ने संकेत दिया है कि वे रूस पर सभी वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद से जी 7 सहित ज्यादातर पश्चिमी देशों ने रूस पर बेहद कड़े प्रतिबंध लगाए हैं लेकिन इन देशों का कुछ वस्तुओं का व्यापार रूस के साथ अभी जारी है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि दुनियां नए विश्वयुद्ध के मुहानें पर खड़ी है।आओ सभी देश मिलकर वैश्विक समृद्धि और शांति का राजनीतिक समाधान निकालें।वैश्विक शांति को समृद्ध करने, खाद्यान्न संकट रोकने, तीसरे विश्वयुद्ध से बचाने हर देश को आगे आना समय की मांग