
पंकज कुमार मिश्रा मीडिया कॉलमिस्ट केराकत जौनपुर
उड़ीसा के बालासोर में हुए भयंकर रेल दुर्घटना के बाद रेलवे विभाग नीद से जाग चुका होगा । फिलहाल ऐसे विभत्स घटनाएं जब भी इतिहास से वर्तमान में दोहराई जाती है लोग केवल सहानुभूति देते और रेल मंत्री का इस्तीफा मांगते दिखाई पड़ते है । उक्त दुर्घटना में मृतकों के प्रति मैं भी घोर संवेदना व्यक्त करता हूं किंतु साथ ही साथ यह भी कहूंगा की ऐसी दुर्घटनाएं केवल और केवल लचर व्यवस्था का परिणाम है जिसके ज़िम्मेदार रेलवे के गैर जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी और हम आप स्वयं है । जब भी हम रेलवे से संबंधित कोई शिकायत रेलवे विभाग से करते है तो केवल लिपापोती मिलती है । सबसे ज्यादा आतंक तो टिकट काउंटर पर बैठने वाले बाबुओं का है जो यात्रियों से सीधे मुंह बात तक नहीं करते और उलूल जुलूल तर्क देते है इनकी शिकायत भी विभाग अनसुनी करके इनका मन बढ़ाता चला गया । रेलवे विभाग को देश की जनता वसूली विभाग कहता है क्युकी सबसे अधिक वसूली ट्रेन के डिब्बों में गरीब यात्रियों से होती है । फिलहाल बालासोर दुर्घटना मानवीय लापरवाही का परिणाम है जिसमे सैकड़ों लोगों ने अपने नजदीकी खो दिए और कई घायल अस्पताल में कराह रहें । ऐसे भयानक दर्दनाक हादसे मनुष्य को यह सीख देने के लिए काफी है बढ़ते टेक्नोलॉजी का धुआधार प्रयोग मानव समाज के लिए अतिघातक है। मुंबई रेल ओवर ब्रिज , वाराणसी ओवर ब्रिज, मोरबी बृज इत्यादि की घटना दहलाने वाली रही यह सभी भी मानवीय भूल थी । तीस वर्ष से देख रहा हूं कि जब भी रेल बजट का समय आता है तो स्थानीय जनपदों की लोकल रेल की समस्याओं को दरकिनार कर दिया जाता है और केवल बजट आंकड़े को काफी ज़ोर शोर से उभारा जाता है । इसके बाद भी महत्वपूर्ण जगह का ओवर ब्रिज अनदेखा रह जाता है। विपक्ष अमेरिका पहुंचा कर, अश्वनी वैष्णव उड़ीसा पहुंच कर ट्वीटर पर वाहवाही तो ले ली मगर मूल काम के बारे में लगता है सब ज़ीरो रहे। तभी विदेश में बैठे राहुल गांधी अब तक नए नए लक्ष्यों का एलान कर रहे हैं वही जैसे बहुप्रचारित बहुप्रशंसित मीडिया अब केवल रेल मंत्री के इस्तीफे का शो चलाएगी । कुछ करते तो हो नहीं बस मौका देखकर राजनीतिक पैतरेबाजी शुरू करने में माहिर हो झूठे पत्तलकारों। ऐसा नहीं कि लोग चुप है , इसी फरवरी में कुछ लोगों ने ट्वीट कर बिगड़ते रेल व्यवस्था के प्रति और अन्य ख़तरे के प्रति आगाह किया था। पहले भी हमारे जनपद में फुटओवर ब्रिज को लेकर सवाल पूछे गए थे । इन्हें पहले आश्वासन मिला था कि कई नए ब्रिज बनेंगे। इस एक साल में मंज़ूरी के बाद भी टेंडर नहीं निकला यानी काम शुरू नहीं हुआ। सरकार किसी की भी हो, चाल वही है।
विपक्षी मंत्रियों ने भी जवाबदेही का नया तरीका निकाल लिया है। नया स्लोगन रचो, नया ईवेंट करो विरोध करो इस्तीफा मांगो प्रोपोगैंडा फैलाओं। इस दुर्घटना ने उजागर किया है कि हमारी बुनियादी प्राथमिकताएं पुकार रही हैं। चीख रही हैं। एक लाख करोड़ के बुलेट ट्रेन से सीमित फायदा होगा। वह मेले का सामान है। बाकी सबके अपने अपने विचार हैं। रेल मंत्रालय को पहले की सभी उच्च स्तरिय जांच कमेटियों की रिपोर्ट सार्वजनिक कर देनी चाहिए। ऐसे हादसों पर विपक्ष लाशों की राजनीति करके उसके नाम पर वोट भी बटोरेगी । यही हाल रेलवे सेक्टर के बाद टेलिकाम कंपनियां का भी है , स्पेक्ट्रम की नीलामी का पैसा अब 10 साल की जगह 16 साल में चुकाएंगी। देर से चुकाने पर जुर्माने की दर भी कम कर दी गई है। फिर भी टेलिकाम कंपनियां संतुष्ठ नहीं हैं। रिलायंस जीओ आने के बाद इस सेक्टर में जो तबाही मची है उससे बाकी सारा सेक्टर और तेज़ रफ़्तार से ढहने लगा है। इस सेक्टर में काफी नौकरियां मिलती थीं। मगर अब यहां नौकरियां जा रही हैं, मिल नहीं रही हैं। टेलिकाम सेक्टर भी पांच लाख करोड़ के कर्ज़ के बोझ से दबा है।बालेश्वर जिले के बाहानागा बाजार स्टेशन के पनपना के पास ,यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस (12864) शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस (12841) के बेपटरी होने और मालगाड़ी से टकराने से यह हादसा हुआ । कोरोमंडल ट्रेन के बोगी नंबर बी2 से बी9, ए1 से ए2, बी1 और इंजन हादसे का शिकार हुए हैं, वहीं ट्रेन नंबर 12864 (यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस) की एक जनरल बोगी को नुक़सान पहुंचा है. जनरल बोगी और बोगी नंबर 2 पीछे की तरफ से पटरी से उतरी हैं । रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि बहनागा बाज़ार रेलवे स्टेशन से गुज़रते हुए शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल ट्रेन के 12 डिब्बे पटरी से उतर गए. ये डिब्बे साथ के ट्रैक से गुज़र रही हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन से जा टकराए. इसके बाद हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन के भी तीन डिब्बे पटरी से उतर गए । रिलीज के अनुसार बहनागा बाज़ार स्टेशन पर चार ट्रैक हैं । एक लूप ट्रैक पर मालगाड़ी खड़ी थी । दो मुख्य लाइनों पर आमने-सामने से दो ट्रेनों को पास करना था। इस हादसे की सूचना से देशवासियों की आखें नम हो गईं हैं। अब मन में एक सवाल गूंज रहा होगा कि, अब तक देश में कितनी ट्रेन दुर्घटनाएं हुई। किस ट्रेन दुर्घटना में सबसे अधिक लोगों की मृत्यु हुई है।233 लोगों की मरने की सूचना है। 900 गंभीर घायल हैं। राहत कर्मी पूरे जोर शोर से जुटे हुए हैं। पर यह ट्रेन हादसा यह सवाल मन में उठाता है कि देश में अब तक कितने ट्रेन हादसे हुए हैं। तो जानें देश में अब तक कितने ट्रेन हादसों ने लोगों की आखें नम की हैं।और पीड़ितों के मन में बुरी याद के रुप में दर्ज हैं। 6 जून, 1981 – देश की सबसे बड़ी रेल दुर्घटना बिहार में हुई। जिसमें पूरी ट्रेन बागमती नदी में गिर गई थी। जिसमें करीब 750 यात्रियों की मौत हुई थी। 20 अगस्त, 1995 – यूपी के फिरोजाबाद में खड़ी कालिंदी एक्सप्रेस से पुरुषोत्तम एक्सप्रेस टकरा गई। इस दुर्घटना में 305 की मौत हुई थी। 26 नवंबर, 1998 – पंजाब के खन्ना में जम्मू तवी-सियालदह एक्सप्रेस, फ्रंटियर गोल्डन टेंपल मेल के पटरी से उतरे तीन डिब्बों से टकराई थी। जिसमें 212 की मृत्यु हो गई थी।2 अगस्त, 1999 – बिहार के कटिहार डिवीजन के गैसल स्टेशन पर ब्रह्मपुत्र मेल, अवध असम एक्सप्रेस से टकराई। करीब 285 की मृत्यु। 20 नवंबर, 2016 – पुखरायां में ट्रेन पटरी से उतरी। 152 लोगों की मौत हुई और 260 घायल हो गए थे। 9 सितंबर, 2002 – हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस रफीगंज में धावे नदी पर एक पुल के ऊपर पटरी से उतर गई थी। 140 से अधिक की मौत। 23 दिसंबर, 1964 – रामेश्वरम में चक्रवात में फंसी पंबन-धनुस्कोडि पैसेंजर ट्रेन। ट्रेन में सवार 126 से अधिक यात्रियों की मृत्यु हो गई। 28 मई, 2010 – मुंबई जाने वाली जनेश्वरी एक्सप्रेस ट्रेन पटरी से उतरी। और एक मालगाड़ी से टकरा गई थी। जिससे 148 यात्रियों की मृत्यु हुई। 7 जुलाई 2011 – यूपी के एटा जिले में छपरा-मथुरा एक्सप्रेस की एक बस से टक्कर हो गई थी। इस में 69 लोगों की जान चली गई थी। 22 मई, 2012 – आंध्र प्रदेश में मालगाड़ी और हुबली-बैंगलोर हम्पी एक्सप्रेस टकरा गई। चार डिब्बे पटरी से उतरे। एक में आग लगने से 25 की मृत्यु हो गई थी ।26 मई, 2014 – यूपी के संत कबीर नगर में खलीलाबाद स्टेशन के पास रुकी मालगाड़ी से गोरखधाम एक्सप्रेस टकरा गई थी। जिसमें 25 की मृत्यु हो गई थी। 20 नवंबर,2016 – यूपी के कानपुर के पुखरायां में इंदौर-पटना एक्सप्रेस 19321 के 14 कोच पटरी से उतर गए थे। इस हादसे में 150 यात्रियों की मौत हो गई थी। 18 अगस्त, 2017 – यूपी के मुजफ्फरनगर में पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी। जिसमें 23 लोगों की मौत हो गई थी। 13 जनवरी, 2022 – पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार क्षेत्र में बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस के करीब 12 डिब्बे पटरी से उतर गए थे।