भावनानी के भाव – गड्डियों का पहाड़ घर में खड़ा किया हूं

लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार कानूनी लेखक चिंतक कवि एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
अपने इतने सालों की मौजमस्ती वाली
सेवा जिसमे रोज़ रात पार्टी लिया हूं
 तारीख़ को रिटायर हो रहा हूं
गड्डियों का पहाड़ घर में खड़ा किया हूं
साथियों एजेंटों बिचौलियों से कह दिया हूं
मलाई वाली फाइलों को तारीख पहले बुलवाया हूं
तारीख को रिटायर हो रहा हूं
गड्डियों का पहाड़ घर में खड़ा किया हूं
आगे जिंदगी का क्या होगा सोच रहा हूं
पेंशन से काम नहीं चलेगा चिंतत हो रहा हूं
एशोआरम अय्याशी का आदि रहा हूं
गड्डियों का पहाड़ घर में खड़ा किया हूं
अभी मैं घर वालों सहित ठसन से जी रहा हूं
परिवार को सभी सुख सुविधाएं दे रहा हूं
मलाई बंदी से क्या होगा सोच रहा हूं
गड्डियों का पहाड़ घर में खड़ा किया हूं
मलाई बिना पेंशन से कैसे जिऊंगा सोच रहा हूं
ठसन सहित रुतबा छिनेगा घबरा रहा हूं
हरे गुलाबी के बल पर विकारों का आदि रहा हूं
गड्डियों का पहाड़ घर में खड़ा किया हूं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Breaking News
बिहार चुनाव से पहले NDA को तगड़ा झटका, चिराग की उम्मीदवार सीमा सिंह का नामांकन रद्द | घड़ियाली आंसू बहाने वाले कांग्रेस और गांधी खानदान की असलियत जनता जानती है : केशव प्रसाद मौर्य | बिहार चुनाव: गिरिराज बोले- महागठबंधन नहीं 'ठगबंधन', तेजस्वी पर जनता को भरोसा नहीं | योगी सरकार पर अखिलेश का हमला: बिजली, ट्रैफिक, स्मार्ट सिटी... कहीं नहीं विकास!
Advertisement ×