भावनानी के व्यंग्यात्मक भाव – जाने क्यों लोग ज़लनखोरी किया करते हैं

लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार कानूनी लेखक चिंतक कवि एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
साहित्यकारों लेखकों चिंतकोके आर्टिकल छपतेहैं
गलत नीतियों कामों पर व्यंग्य कसते हैं
सच्चाई को जनता तक पहुंचाते हैं
जाने क्यों लोग ज़लनखोरी किया करते हैं
हितधारकों को चोट पर तिलमिलाते हैं
मीडिया में छाए रहने से झलाते हैं
व्हाट्सएप ग्रुप में आर्टिकल से पेटदर्द करते हैं
जाने क्यों लोग ज़लनखोरी किया करते हैं
ग्रुप में डालने पर नकारात्मक कमेंट करते हैं
वाहवाही होने पर बहुत तिलमिलाते हैं
इसका इतना नाम क्यों है बोलते हैं
जाने क्यों लोग ज़लनखोरी किया करते हैं
संस्थापक को जलन की टाटिंग लगती है
हित में टांग फ़स्ती नजर आती है
फायदे पर पानी फिरने की चिंता सताती है
जाने क्यों लोग ज़लनखोरी किया करते हैं
प्रोत्साहन की मिठाई बांटना ज़रूरी है
देशहित में साहित्यकारों का योगदान ज़रूरी है
जनता की भलाई में कलम उठाना ज़रूरी है
जाने क्यों लोग ज़लनखोरी किया करते हैं

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