
उत्तर मध्य रेलवे सहित सभी जोनों में मान्यता प्राप्त संगठन कर्मचारियों के वेतन से चंदा कटौती करता था, इसके लिए कर्मचारी से फार्म भरवा कर सहमति ले ली जाती थी। कर्मचारी अपने सुपरवाइजर जो कि मान्यता प्राप्त संगठन का पदाधिकारी भी होता था उनके दबाव में आकर सहमति दे भी देता था, परंतु उसके बाद यदि अपने वेतन से चंदा कटौती बंद करना होता था तो कई ऑफिस या युनियन दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ते थे, उसके बाद भी सफलता नहीं मिलती थी। आजतक उत्तर मध्य रेलवे कर्मचारी संघ युनियन की जानकारी के अनुसार एक भी कर्मचारी का स्वयं के प्रयास से वेतन से चंदा कटौती बंद नहीं हो पाया है। यह कर्मचारियों के लिए काला कानून से कम नहीं था। इस नियम से हजारों कर्मचारियों से करोड़ों की चंदा कटौती वेतन से हो जाया करती थी। ऐसे हजारों कर्मचारी हैं जिनका दोनों मान्यता प्राप्त युनियन अपना अपना चंदा कटौती कर लेती थी। उत्तर मध्य रेलवे में दोनों मान्यता प्राप्त युनियन मेंस युनियन और इंप्लाईज संघ 400-400 सौ रूपया चंदा कटौती करती थी। कई जोन तो इसे 1000 रूपए करने जा रही थी, इसके मिनट्स भी पास करवा लिया गया था परंतु उत्तर मध्य रेलवे कर्मचारी संघ के प्रयास से इस पर समय से फैसला आ गया। वेतन से चंदा कटौती बंद करवाने के उद्देश्य से सैंकड़ों कर्मचारियों ने उत्तर मध्य रेलवे कर्मचारी संघ को प्रार्थना पत्र दिया। महामंत्री हेमंत विश्वकर्मा के नेतृत्व में यह मुद्दा श्रमायुक्त के पास लेबर कोर्ट तक पहुंचा जिसके परिणामस्वरूप लेबर कोर्ट में यदि कर्मचारी अपील करे तब लेबर कोर्ट के हस्तक्षेप पर रेलवे चंदा बंद करती थी। परंतु कर्मचारियों को कोई सीधा विकल्प नहीं था जिससे कर्मचारी अपने वेतन से चंदा कटौती बंद करवा सके। उत्तर मध्य रेलवे कर्मचारी संघ संबद्ध भारतीय रेलवे मजदूर संघ एवं भारतीय मजदूर संघ के साथ मिलकर कई बार रेल मंत्रालय, रेलवे बोर्ड, महाप्रबंधक, मंडल रेल प्रबंधक को पत्र लिखते रहे और वेतन से चंदा कटौती, कर्मचारियों के साथ अन्याय है ऐसे मुद्दे उठाते रही और अंतत: ऊपरी दबाव में आकर कर्मचारियों के हित में फैसला देना पड़ा। कानपुर अनवरगंज में हुई बैठक में जोनल अध्यक्ष राजाराम मीणा ने इसे कर्मचारियों की जीत बताया और युनियन के प्रयास की सराहना की। बैठक में सहायक महामंत्री लईक अहमद, हरिशंकर पोरवाल, सरोज मीणा, सुनिता देवी, उषा देवी, मनोज यादव, देवेन्द्र पाल और कुन्दन सिंह मौजूद थे।