व्यंग्य – सैफू के तैमूर पर भारी पड़ गया सपना का पोरस..!

 पंकज कुमार मिश्रा मीडिया कॉलमिस्ट केराकत जौनपुर
सपना चौधरी के नाम से आप सब परिचित होंगे । चलिए याद दिला देता हूं , यह एक हरिवाणवी डांसर है जो काफी लोकप्रिय हुई । अब आप लोग चाहे कुछ भी कह ले पर ये अकेली मोहतरमा  सैफू और करीना जैसे तमाम एजेंडाधारी सेक्युलरो पर भारी पड़ रही कारण है इनके बेटे का नामकरण । आपको याद होगा फिल्म अभिनेता सैफ अली खान और अभिनेत्री करीना कपूर ने अपने बेटे का नाम तैमूर रख कर काफी सुर्खियां बटोरी थी पर अब उस सुर्खी को चार सौ चालीस बोल्ट का झटका दिया है डांसर सपना चौधरी ने । बतौर मीडिया  उन्होंने अपने बेटे का नाम पोरस रखा है जो इतिहास में सिकंदर और तैमूर पर भारी पड़ा था।  अब ऐसे में उमर खालिद और शहिस्ता बानो जैसों को निर्दोष बताने वाली नकली कांग्रेसी को नकली इतिहास फिर से बदलना होगा   क्युकी  इनको औकात बता दी है डांसर सपना चौधरी ने । हरियाणवी डांसर सपना चौधरी  ने अपने बेटे का नामकरण प्रथम जन्मदिवस पर  दुनिया को कुछ इस अंदाज में बताया कि मुझे यकीन है तू आम नहीं है, तू आम घर में है,   लेकिन तू आम नहीं है। दुनिया की नजरें बुरी हैं, इसलिए सरेआम नहीं है।  हम तो एक जरिया थे, तू इस माटी का लाल है। तू उस कौम का हिस्सा है जिसने तैमूर से   लेकर सिकंदर तक को थामा है,  इसलिए मैं तेरा नाम ‘पोरस’ रखते है , तेरे  जन्मदिन पर पूरे जहान को बधाई है। सपना का नाम चाहे जिस सेंस में लोग लेते हो लेकिन बॉलीवुड नचनियों से इनका थिंकिंग काफी उम्दा लेवल का है। इतिहास में  भी पोरस तैमूर पर भारी पड़ा था और कल भी पोरस तैमूर पर भारी ही पड़ेगा।अकबर अच्छा शासक था या बुरा शासक था इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है क्योंकि साक्ष्य कांग्रेसी शासन में मिटा दिया गया । मुझे इस बात से बिल्कुल फर्क नहीं पढ़ता की मुगलों ने भारत के लिए क्या अच्छा किया था क्योंकि मुगल गद्दार थे है और रहेंगे । 300 साल पीछे जाकर कोई कौन सा कुछ बदल सकता है । मुझे तो इस बात से फर्क पढ़ता है कि मैंने शिवाजी के बारे में सत्य पढ़ा है । चलो शिवाजी न सही महाराणा प्रताप के बारे में ही पढ़ लेते जैसा कि तुम खुद मानते हो कि कांग्रेस की सरकारों ने मुगलों का इतिहास जबरन पढ़ाया शिवाजी का नहीं ,समस्या तो यही है कि जबरन थोपा गया । हिन्दू- मुस्लिम की राजनीति के चक्कर में व्हाट्सप्प यूनिवर्सिटी से पीएच डी कर नसीरुद्दीन शाह, जावेद अख्तर शबाना आजमी जैसे लोग केवल दुकान चला रहे । मशहूर शायर  ने नफ़रत की चासनी में डूबकर समाजवादी पार्टी के लिए वोट बैंक बन कर दंगा कराया |  और उन लोगो की मूर्खता पर तो और तरस आता है जो अपने बाप और भाई  को समर्थन नहीं कर पा रहे और चले हैं अकबर को महान बता कर गर्व करने ।अपनी हालत तो देख लो । सर्वे के अनुसार हिंदुओं  तुम्हरी आर्थिक स्थिति इस्लामिक देश के लोगो से भी खराब है ।
धर्म और मूर्खता की राजनीति छोड़कर अपने पेशे के लिए कुछ कर सकते थे सैफू पर तुमने कंट्रोवर्सी चुनी । वैसे  कुछ भी कह लो क्योंकि पैसा होगा तो इज्जत होगी । हम तो सेक्यूलर दलित नेताओं  के कारण बर्बाद हुए जा रहे हैं ऊपर से  कट्टरपंथी जेहादी हमें सुबह से शाम तक गाली देते हैं वो अलग । धीरे-धीरे मुसलमान कांग्रेस के बारे में सोचने लगा  लेकिन कांग्रेस का अतीत उसे सोचने पर मजबूर कर देता है। सबसे बदतरीन दंगे कांग्रेस के दौर में ही हुए। दंगाइयों के ख़िलाफ़ उसने कुछ नहीं किया। आतंकवाद के नाम पर सबसे ज़्यादा उत्पीड़न कांग्रेस राज में ही हुआ। इन्हीं सब की वजह से  मुस्लिम का कांग्रेस से पूरी तरह मोह भंग हुआ। कांग्रेस में हमेशा से संघ के लोग रहे हैं। हमने खुद कांग्रेसियों को रंग बदलते हुए देखा है। जब भी कांग्रेस की बात होती है तो बहुत लोग याद दिला देते हैं कि कैसे कांग्रेस काल में मुस्लिम का उत्पीड़न हुआ। 25-25 साल तक जेलों में रखा गया, बाद में बाइज़्ज़त बरी हुए। कहीं कोई विस्फोट होता, तुरंत मुसलमानों को पकड़ा जाता। कोई इंडियन मुजाहिदीन नाम का संगठन पैदा हो गया, जिसे ज़िम्मेदार ठहरा दिया जाता। कांग्रेस में अब संघ के लोग नहीं हैं उनकी जगह मुजाहिद के लोगो ने ले लिया और अब तैमूर और अकबर पैदा हो रहे । लेकिन जिस तरह से राहुल गांधी ने कांग्रेस को संघ से मुक्त करने के लिए कदम उठाए हैं, उससे उम्मीद तो बंधती है भारत के फिर दो टुकड़े कर सकती है ये । अब लगता है कि राहुल गांधी की कांग्रेस कुछ अलग होगी। लोगो ने विगत वर्षो सोशल मीडिया पर अपने प्रोफाइल पिक्चर में ऐसी तस्वीर लगाई थी जिसमें औरंगज़ेब ज़मीन पर पड़ा है और शिवाजी का एक पैर उसके ऊपर है। यह वही दौर है जहां हम हिंदू राष्ट्र की ओर बढ़ सकते है । आख़िर आज के मुसलमान को औरंगजेब से क्या लेना-देना है जो एक नाम  से उसकी उत्कर्षा उठ कर हिलोरे मार रही । नुपुर शर्मा के हनुमान चालीसा  से कतर की भावनाएं आहत हुई जा रही हैं ! बरक्स सेक्युलर हिंदू राष्ट्र बनने  का डर दिखाकर और शोर मचाकर अपनी बेचैनी का इज़हार कर रहे तो कहना होगा कि ये तरीके कतई ठीक नहीं हैं। नफ़रत का जवाब नफ़रत से देना अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा फिलहाल तो अब औरंगजेब के आगे पोरस खड़ा है और देश हिंदुत्व की ओर तेजी से बढ़ चला है ।

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