सेल्फी और रील से हो रहा समाज का पतन

परिवर्तन संसार का नियम है।  30 साल पहले मोबाइल आम आदमी के लिए एक सपना था।  फिर धीरे-धीरे मोबाइल का चलन बढ़ा और एसटीडी बूथ ने धीरे-धीरे आत्महत्या कर ली । हमने भी परिवर्तन की दुहाई देकर एसटीडी बूथों    को अपनी हालत पर छोड़ दिया… कालचक्र अपनी गति से चलता रहा और कुछ सालों बाद बाजार में एक नया ट्रेंड आया.. सेल्फी ! सेल्फी अर्थात स्वयं की फोटो स्वयं के द्वारा क्लिक करना।  जिसका सीधा सीधा सा अर्थ था।  इंसान कितना अकेला है। और फिर सेल्फी के दुष्परिणाम सामने आए… हर जगह सेल्फी का क्रेज हो गया… लोगों ने भगवान को भी नहीं बख्शा । मंदिर हो मस्जिद हो यह गुरुद्वारा लोगबाग फोटो लेना नहीं भूलते… कई बार तो सेल्फी लेने के चक्कर में कई बेवकूफो ने अपनी जान गवा दी… मगर फिर भी इसका क्रेज कम नहीं हुआ।  आम लोगों के सर पर भी सेल्फी का भूत सवार हो गया… अब लोग नहाते धोते , खाते-पीते  हर जगह सेल्फी का भूत उनके सर चढ़कर बोलने लगा। लोग अपने अंतरंग पलों को भी सेल्फी में कैद करने लगे। सेल्फी ने इंसान को इंसान से दूर कर दिया और इंसान इतना मतलबी हो गया कि अब उसे फोटो खींचने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति की जरूरत ही नहीं और अकेला होकर आदमी अवसाद में जाने लगा। तनाव में रहने लगा। अब तो आलम यह है कि अगर कोई व्यक्ति मोबाइल चला रहा है तो उसको अपने आसपास हो रही गतिविधि का कोई ज्ञान ही नहीं है । अगर कोई मित्र रिश्तेदार मिलने भी आ जाता है तो उसका पूरा ध्यान मोबाइल पर ही रहता है।  कालचक्र कभी नहीं रुकता वह अपनी गति से चलता रहता है । समय के साथ आज से 10 / 12 साल पहले मार्केट में एक नया ट्रेंड चला रील बनाने का सेल्फी से तो सिर्फ फोटो ही क्लिक होती थी ।मगर रील बनाने से सारी गतिविधियां वीडियो के माध्यम से कैद हो जाती है
जब से रील बनाने में बच्चियां ,लड़कियां और महिलाएं इस अंधी दौड़ में शामिल हुई है । इन्होंने शालीनता की सभी सीमाएं तोड़ दी है रील के नाम पर सरेआम अश्लीलता परोसी जा रही है।  जो हमारे समाज को पतन की ओर अग्रसर कर रही है कुछ लाइक पाने के लिए यह खुलेआम अश्लीलता परोस रही है और इसका सबसे बड़ा कारण है पाश्चात्य संस्कृति के द्वारा बॉलीवुड जो हमें खुलेआम अश्लीलता परोस रहा है छोटी छोटी बच्चियां रील के माध्यम से ऐसी  भाव भंगीमाय करती है कि सभ्य लोगों को भी शर्म आ जाए। आज के समय में रील के माध्यम से महिलाओं और लड़कियों ने सारी मर्यादाये पार कर दी है । ये समाज में डिजिटल युग के मोबाइल का दुष्परिणाम है । आज के समय में जो मोबाइल का दुरुपयोग हो रहा है यह हमारे भविष्य के लिए विनाशकारी है
नारी तुम केवल श्रद्धा हो
 विश्वास रजत नग पग तल में
 पीयूष स्त्रोत सी बहा करो
जीवन के सुंदर समतल में
जयशंकर प्रसाद की उक्त पंक्तियां जो नारी को सम्मान देने के लिए लिखी गई थी मगर आज की नारी ने अपने आप को नंगा करके समस्त स्त्री जाति के ऊपर कलंक लगा दिया है।  इस तरह की अश्लील रील देखकर समाज के युवा वर्ग पर गलत प्रभाव पड़ रहा है। इससे समाज में छेड़छाड़ और बलात्कार जैसी घटनाएं बढ़ रही है… जो मोबाइल का ही दुष्परिणाम है । इसके विपरीत बॉलीवुड भी पीछे नहीं है । बॉलीवुड की फिल्मों में सरेआम अश्लीलता परोसी जा रही है।  जिससे समाज पर गलत असर पड़ रहा है अगर हम अब भी नहीं जागे तो यह समाज दलदल में चला जाएगा….. स्त्री के सम्मान को बचाने के लिए हम में से ही किसी को आगे आना होगा और आवाज बुलंद करनी होगी ….वरना भविष्य में स्त्री का कोई अस्तित्व ही नहीं रह जाएगा… वह सिर्फ भोग की वस्तु बनकर रह जाएगी ।
कमल राठौर साहिल – शिवपुर, मध्य प्रदेश

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Breaking News
बिहार में AIMIM ने उतारे 25 उम्मीदवार, ओवैसी के दांव से बढ़ेगी महागठबंधन की टेंशन? | पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर थमा खून-खराबा, कतर-तुर्की की मध्यस्थता से युद्धविराम | 26 लाख से अधिक दीयों से जगमग हुई रामनगरी, दुल्हन की तरह सजी अयोध्या; CM योगी ने खुद लिया दो वर्ल्‍ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट | 'कांग्रेस ने कोर्ट में कहा था श्रीराम काल्पनिक हैं', अयोध्या में दीपोत्सव के अवसर पर CM योगी की दो टूक; बोले- बाबर की कब्र पर सजदा करते हैं ये लोग
Advertisement ×