
संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर हम दशकों से देखते आ रहे हैं कि दुनियां में दो शक्तियां अति महापावरफुल मानी जाती है एक अमेरिका और दूसरा रूस परंतु समय के चक्र के चलते रूस विखंडित हुआ फ़िर अब रूस यूक्रेन युद्ध होने से दुनियां में अमेरिका का अकेला बादशाह होने का संदेश साफ दिखाई दे रहा है जिसका सानी अभी कोई नहीं है, जो हमें बाहर से देख रहा है। परंतु बड़े बुजुर्गों की कहावत है कि दूर के ढोल सुहाने लगते हैं, हर-घर में बाहर तो शोहरत दिखती है परंतु अंदर की कहानी हर घर वालों को ही पता रहती है। सच ही है, हम कई स्थानों पर यह देख चुके हैं। मगर आज हम उसका संज्ञान वैश्विक स्तरपर लें तो हम हाल ही में ब्रिटेन को पछाड़कर पांचवी अर्थव्यवस्था बने हैं और अभी तीसरी अर्थव्यवस्था की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। वहीं हमने पिछले दिनों देखें कि किस तरह ऋण मामले में अमेरिका में क्राइसिस बड़ रहे थे जिन्हें सुझाव दिया गया है। परंतु अभी पिछले हफ्ते में वहां एक साथ दो घटनाएं देखी गई जिसकी उम्मीद शायद वर्षों से किसी को नहीं थी एक तो पूर्व राष्ट्रपति को अमेरिका न्याय विभाग द्वारा 2020 की हार को पलटने की साजिश में मुकदमा दर्ज़ करवाना है। सोमवार 14अगस्त 2023 देर शाम को जॉर्जिया के ग्रैंड जूरी ने उन पर चौथा आपराधिक आरोप लगाते दर्ज़ किया। जॉर्जिया के ग्रैंड जूरी ने ट्रंप पर आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ अभियोग जारी किया है।फुल्टन काउंटी के डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी फानी विलिस के लगाए गए इन आरोपों के बाद 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन नामांकन की दौड़ में सबसे आगे चल रहे ट्रंप के सामने कानूनी दिक्कतें बढ़ गई हैं।और दूसरी वहां की प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसी ने क्रेडिट रेटिंग घटाई है जो रेखांकित करने वाली बात है। यानें दुनियां में अमेरिका की साख़ पर सवालिया निशान लगा है कि इतनां विकसित देश और यह क्या? क्योंकि उपरोक्त दोनों घटनाओं ने विश्व का ध्यान खींचा है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, दुनियां के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका पर भीतर और बाहर से दो बातों पर सवाल? क्रेडिट रेटिंग घटा और पूर्व राष्ट्रपति पर धोखाधड़ी के आरोप दर्ज़।
साथियों बात अगर हम अमेरिका के रुतबे की करें तो, जिस अमेरिकाकी इकोनॉमी का परचम दुनियाभर में लहराता है, जिसके शेयर मार्केट की चाल देखकर तमाम देशों के शेयर बाजारों की चाल तय होती है, जिस अमेरिका की ताकत उसकी शक्तिशाली अर्थव्यवस्था है, अब उसपर से दुनियां की दिग्गज रेटिंग एजेंसी फिच का भरोसा डगमगा गया है। फिच ने अमेरिका की रेटिंग को एएए से घटाकर एए+ कर दिया है यानें अब अमेरिका के पाले में फिच की तरफ से दी जाने वाली टॉप रेटिंग नहीं है। 12 साल यानी 2011 के बाद अमेरिका की रेटिंग को पहली बार किसी रेटिंग एजेंसी ने घटाया है। फिच ने ये कदम अमेरिका के कमजोर होते फाइनेंशियल हालात और बढ़ते कर्ज को देखकर उठाया है।
साथियों बात अगर हम क्रेडिट रेटिंग घटने के वजह की करें तो, दुनिया की तीन बड़ी स्वतंत्र एजेंसियों में शामिल फिच का कहना है कि अमेरिका में बीते 20 साल में गवर्नेंस के हालात काफी खराब हुए हैं।फिच की तरफ से दी जाने वाली रेटिंग की दुनियां भर में मान्यता है। ये देशों के साथ-साथ अलग अलग कंपनियों की क्रेडिट साख का भी आकलन करती है, लेकिन फिच के इस आकलन को अमेरिकी वित्त मंत्री ने मनमानी करार दिया है। उन्होंने ने कहा है कि एजेंसी ने 2018 से 2020 के पुराने डेटा के आधार पर ये रेटिंग दी है जो मौजूदा हालात को बयान नहीं करती है। 12 साल में पहली बार अमेरिका को तगड़ा झटका लगा है क्योंकि फिच ने रेटिंग पर चलाई कैंची!
साथियों बात अगर हम निवेशकों की करें तो,रेटिंग्स के घटने का असर सबसे पहले निवेशकों के फैसलों पर होता है। ये निवेशक क्रेडिट रेटिंग्स को बेंचमार्क मानते हैं क्योंकि इसी से ये अनुमान लगाया जाता है कि किसी कंपनी या सरकार के इंस्ट्रूमेंट्स में पैसा लगाना कितना सुरक्षित या कितना जोखिम भरा है। ऐसे में रेटिंग घटना अमेरिका के लिए बुरी खबर है, क्योंकि अमेरिकी सरकार के इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश को सबसे सुरक्षित माना जाता है। इसकी वजह अमेरिका की अर्थव्यवस्था के बड़े आकार के साथ ही इसमें दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा स्थिरता होना है। अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग घटाने का फिच का ये फैसला सबसे पहले तो मॉर्गेज रेट्स पर असर डाल सकता है, इससे निवेशक अमेरिकी ट्रेजरीज की बिक्री कर सकते हैं जिससे यील्ड में बढ़ोतरी होगी और सबकुछ महंगा होने की आशंका है। कई तरह के कर्जों की ब्याज दर इसी के आधार पर तय की जाती है। फिच के रेटिंग घटाने के बाद अमेरिका स्विट्जरलैंड और जर्मनी से नीचे आ गया है। वहीं अब ये रेटिंग के लिहाज से ऑस्ट्रिया और फिनलैंड के बराबर हो गया है। फिच ने आगे के लिए अनुमान जताकर कहा है कि फेड रिजर्व सितंबर में ब्याज दरों में एक और बढ़ोतरी कर सकता है, अगर ऐसा हुआ तो फिर रेटिंग्स पर दबाव बढ़ सकता है, इसके साथ ही फिच ने आगाह किया है कि अगर सरकार खर्च से जुड़े मुद्दों और मैक्रोइकनॉमिक पॉलिसी का समाधान करने में नाकाम रही तो आने वाले दिनों में देश की रेटिंग को और कम किया जा सकता है।अमेरिका का कर्ज संकट भी लगातार बढ़ता जा रहा है और आशंका है कि 2033 तक देश का कुल कर्ज बढ़कर जीडीपी का 118 प्रतिशत हो जाएगा जो फिलहाल 98 प्रतिशत है? साथियों बात अगर हम अमेरिका में मंडराए ऋण डिफाल्टर संकट, जो वह अभी टल गया है कि करें तो, इस साल अमेरिका पर डिफॉल्ट का संकट मंडरायाथा।फिच की इस रेटिंग घटाने की एक वजह अमेरिका में डेट सीलिंग पर चली असमंजस की स्थिति भी थी. दरअसल, इस साल सरकार की उधारी को लेकर भारी राजनीतिक गतिरोध देखने को मिला था। जून में अमेरिकी सरकार डेट सीलिंग को बढ़ाकर 31.4 ट्रिलियन डॉलर करने में कामयाब रही थी, लेकिन उससे पहले भारी राजनीतिक ड्रामा भी देखने को मिला था। इसी वजह से अमेरिका पहली बार डिफॉल्ट होने के कगार पर पहुंच गया था। फिच का कहना है कि डेट सीलिंग बढ़ाने को लेकर बार-बार पैदा हो रहीं राजनीतिक अड़चनों से अमेरिका के वित्तीय प्रबंधन की क्षमता को लेकर दुनियां का भरोसा डगमगा रहा है।2023 में अमेरिका का घाटाजीडीपी के 6.3 प्रतिशत पहुंचने की आशंका है जो 2022 में 3.7 प्रतिशत था, साथ ही डेट टु जीडीपी रेश्यो भी बढ़ने की आशंका है। बढ़ती ब्याज दरों की वजह से ब्याज पहले ही महंगा हो गया है। 2017 में किए गए टैक्स कट्स कीमियाद 2025 में पूरी हो रही है जिससे आगे दबाव बढ़ने की आशंका है।
साथियों बात अगर हम 6 जनवरी की घटना को इसकेप्रमुख कारक होने की करें तो, अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 6 जनवरी का विद्रोह भी इसका एक प्रमुख योगदान कारक था। इस मामले की जानकारी मीडिया में ब आई कि बाइडन प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक में फिच रेटिंग्स के प्रतिनिधियों ने छह जनवरी के विद्रोह को बार-बार एक महत्वपूर्ण चिंता के रूप में रेखांकित किया क्योंकि यह अमेरिकी शासन से संबंधित मामला है। रेटिंग में कमी के पीछे अपने तर्क को समझाते हुए फिच ने कहा, अगले तीन साल में राजकोषीय स्थिति में गिरावट, सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़ने और पिछले दो दशकों में ‘एए’ और एएए रेटिंग वाले समकक्षों की तुलना में शासन में गिरावट का जिक्र किया गया है।
साथियों बात अगर हम व्हाइट हाउस द्वारा इससे असहमति की करें तो, वित्त मंत्री ने मंगलवार को एक बयान में कहा,मैं फिच रेटिंग्स के फैसले से पूरी तरह असहमत हूं।उन्होंनेकहा, फिच रेटिंग्स की ओर से किया गया बदलाव मनमाना और पुराने आंकड़ों पर आधारित है।व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव ने एक बयान में कहाकि हम इस फैसलेसे दृढ़ता सेअसहमत हैं। उन्होंने फिच की कार्यप्रणाली पर चिंता जताई। मीडिया में आया कि, यह स्पष्ट है कि एक पार्टी अधिकारियों की ओर से चरमपंथ, चीयरलीडिंग डिफॉल्ट, शासन और लोकतंत्र को कमजोर करने और अमीरों व निगमों के लिए घाटे को कम करने की मांग हमारी अर्थव्यवस्था के लिए एक निरंतर खतरा है। सीनेट में बहुमत के नेता ने रेटिंग कम करने के लिए एक पार्टी को जिम्मेदार ठहराते हुए एक बयान में कहा कि उनके लापरवाह रवैये और चूक के साथ छेड़छाड़ के देश के लिए नकारात्मक परिणाम होंगे।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि दुनियां हैरान – अमेरिका की साख़ पर सवालिया निशान ? दुनियां के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका पर भीतर व बाहर से दो बातों पर सवालिया निशान ? – क्रेडिट रेटिंग कम होना और पूर्व राष्ट्रपति पर धोखाधड़ी के आरोप दर्ज़।दुनियां के बादशाह कहे जाने वाले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति पर धोखाधड़ी के आरोप दर्ज़ व घटती क्रेडिट रेटिंग से दुनियां हैरान है।