
माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या ने सभी को चौंका दिया था. जिस तरह से तीन शूटरों ने अतीक और अशरफ को मारा था, उसके बाद पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठे थे. अब यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के 15 अप्रैल को प्रयागराज में हुए मर्डर की जांच में पुलिस की ‘कोई गलती’ नहीं पाई गई है. सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं के जवाब में दाखिल की गई एक स्थिति रिपोर्ट में यूपी सरकार ने कहा है कि उसने 2017 के बाद से गैंगसटर विकास दुबे के मारे जाने सहित तमाम पुलिस एनकाउंटर और अन्य वारदातों की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
अतीक-अशरफ हत्याकांड
मामले में चार्जशीट हो चुकी है दाखिल
रिपोर्ट में कहा गया कि अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या से संबंधित केस में पुलिस पहले ही तीन आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है और मामला लोअर कोर्ट में लंबित है. अतीक और अशरफ के मर्डर में की गई जांच की जानकारी देते हुए स्थिति रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ अन्य बिंदुओं पर सबूत इकट्ठा करने के लिए जांच आंशिक रूप से जारी है.
विकास दुबे मर्डर केस की जांच
रिपोर्ट में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने विशेष तौर से जस्टिस बी. एस. चौहान आयोग की रिपोर्ट के खिलाफ भी शिकायतें उठाईं. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज चौहान ने उस आयोग का नेतृत्व किया जिसने 2020 में विकास दुबे के एनकाउंटर में मारे जाने की जांच की थी. विकास दुबे और उसके गुर्गों ने जुलाई, 2020 में कानपुर के अपने पैतृक गांव बिकरू में घात लगाकर 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी.