अपने मर्डर केस की सुनवाई में पहुंचा लड़का, बोला- ‘जज साहब मैं जिंदा हूं…’ ; हैरान कर देगा मामला

सुप्रीम कोर्ट से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां अपने ही मर्डर केस की सुनवाई में एक बच्चा अदालत पहुंचा तो लोग दंग रह गए. पिछले हफ्ते हुई एक विशेष अनुमति याचिका की सुनवाई के दौरान ये हैरान करने वाला घटनाक्रम सामने आया. सुनवाई के दौरान 11 साल का एक लड़का कोर्ट के सामने हाजिर होकर बोला- ‘सर मैं जिंदा हूं.’ रिश्तों को शर्मसार करने वाले इस मामले में लड़के ने कोर्ट में यह दावा भी किया है कि उसके पिता ने उसके नाना और मामाओं को उसकी हत्या के मामले में झूठा फंसाया है.

सुप्रीम कोर्ट ने दी ये व्यवस्था-जारी हुए दिशा निर्देश

टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये मामला पीलीभीत जिले का है. इस याचिका स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगले आदेश तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जाएगा. इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2024 यानी नए साल में होगी. इसके साथ ही कोर्ट ने इस हैरतअंगेज केस में यूपी सरकार, पीलीभीत के एसपी और न्यूरिया थाना प्रभारी को भी नोटिस जारी किया है.

हैरान कर देगा मामला

याचिकाकर्ता के वकील के मुताबिक बच्चे का पिता दहेज के लिए उसकी मां को बेरहमी से पीटता था. इस बच्चे के पैरेंट्स की शादी 2010 में हुई थी. घरेलू झगड़े बढ़ने लगे थे. मार्च 2013 में पिटाई के कारण उसकी मां को गंभीर चोट आई थी. अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी. इसी दौरान यह बच्चा अपने नाना के साथ रह रहा था.

ऐसे बढ़ी कानूनी लड़ाई

इस बीच बच्चे की कस्टडी को लेकर उसके ननिहाल और ददिहाल दोनों पक्षों के बीच तकरार तेज हो गई थी. पिता ने अपने बेटे की कस्टडी मांगी थी. दूसरी ओर बच्चे के नाना ने अपने दामाद के खिलाफ आईपीसी की धारा 304-बी (दहेज हत्या) के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी. यानी दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ मुकदमे लिखाए थे. जिसके बाद 2023 की शुरुआत में बच्चे के पिता ने उसके नाना और चार मामाओं पर बच्चे के मर्डर का केस दर्ज कराया था. बच्चे के पिता की शिकायत के बाद पुलिस ने उन पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), धारा 504 (जानबूझकर अपमान) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) का मामला दर्ज किया था.

कोर्ट कचहरी के मामलों में बसा बसाया घर बर्बाद हो जाता है. इस केस में लड़के की मां रिश्ते सुधरने की आस में चल बसी. बेटी को खोने का दर्द झेलने वाले परिजन इज्जत की जिंदगी जीने के लिए अदालत से गुहार लगा रहे हैं. इस केस को लेकर वकील ने ये भी कहा कि बच्चे के ननिहाल वालों ने एफआईआर को रद्द कराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से उनकी याचिका खारिज हो गई. जिसके बाद जैसे ही इस लड़के का पता चला तो वो किसी तरह सबूत के तौर पर सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा. तब जाकर ये सच्चाई दुनिया के सामने आ पाई.

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