पनौती बनाम बपौती, कौन किस पर कितना भारी !

   पंकज कुमार मिश्रा मिडिया विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी
भारत विश्व कप हार गई इसके लिए स्टेडियम में मौजूद प्रत्येक आदमी को मनहूस और पनौती बताते हुए उसे हार का ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता था पर राहुल गांधी ने  इशारो इशारो में मोदी कों पनौती कहना शुरू कर दिया जबकि वो भूल गए की मोदी विपक्ष से पहले देश के पीएम भी है जिन्हे ऐसा शब्द कहने से देश की अश्मिता कों भी आघात पहुंचेगी। यह ग़लत है। इस हार के लिए भारत का मनहूस पनौती नहीं, बल्कि ऑस्ट्रेलिया की मज़बूत चुनौती ज़िम्मेदार है। कृपया अंधविश्वास न फैलाइए! पनौती और साढ़े साती में जमीन आसमान का अंतर है। पनौती कुछ नहीं होती किन्तु साढ़े साती बहुत कुछ होती है , तो दो साढ़े साती मिलकर कुल पंद्रह साल हुए तो तीसरा कार्यकाल भी यदि साढ़े साती रही तो मोदी कों मिल रहा क्युकि आपने शब्दों कों गिराकर इसकी शुरुआत कर दी है। भारत की विश्वकप फाइनल में हार के बाद एक शब्द ट्रेंड किया पनौती जो राजस्थान में राहुल गांधी की चुनावी सभा तक पहुँच गया । समय सोशल मीडिया का है । जो सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर जाये वो ही आज का सत्यम शिवम सुन्दरम है।कहा गया कि मोदी टीम की पनौती साबित हुए। कहा गया कि जब तक मोदी मोदी टूर्नामेंट में भारत को खेलते देखने नहीं पहुंचे थे भारतीय टीम की विजय पताका फहरा रही थी । बस मोदी की मौजूदगी ही अपशकुन साबित हुई और अजेय भारत हार गया । मोदी को पसन्द ना करना समझ में आता है मगर उन पर हार का दोष मढ़कर आप अपनी मूर्खता ही साबित कर रहे हैं । मोदी की उपस्थिति उनकी पार्टी की जीत के लिये शुभ है तो क्रिकेट टीम के लिये अशुभ क्यों है? यह शुभ – अशुभ का खेल मोदी से जुड़ी संघ और भाजपा की  सोच को मजबूत करता है । बिना ठोस आधार के भारत को विश्वगुरू घोषित करने वाली सोच के समकक्ष है । ऐसी अन्धविश्वास पूर्ण बातें आपको अवैज्ञानिक सोच के पिच पर खेलने का रास्ता प्रशस्त कर रही हैं । यह रास्ता आपको क्षणिक लोकप्रियता दे सकता है , सोशल मीडिया पर ट्रेंड करा सकता है देश को मजबूत नहीं कर सकता । वैज्ञानिक दृष्टिकोण में ही देश के विकास का मार्ग छुपा है । सस्ती लोकप्रियता का मोह त्याग कर देश के उत्थान का कठिन मार्ग चुनना ज़रूरी है ।
कर्नाटक विधान सभा चुनाव प्रचार करते मोदी कहते थे की मुझे कांग्रेसियों ने 91 बार गाली दी है वो मेरे लिए टॉनिक का काम करती है अब पनौती कहे जाने पर और मजबूत होंगे। वैसे तो बतौर विपक्ष कल सुबह तक ऑस्ट्रेलिया के सभी खिलाड़ियों के घर पर सीबीआई की रेड पड़ जानी चाहिये। ये ईडी बीडी वाले किस काम के लिए रखे गए हैं? और ऑस्ट्रेलिया का नाम बदल कर अस्त्रावली हो जाय तो बेहतर! इन्हें छोड़ा नहीं जाना चाहिये। और हाँ! हम इस खेल की कड़ी निंदा करते हैं। हमने चुकी खेल देखा, इसलिए हम अपने आप की भी निंदा करते हैं। मध्य प्रदेश में चुनावी भाषण में हाल ही में इशारों में राहुल गांधी को महामूर्ख कहा था और पहले बीजेपी की ट्रोल आर्मी ने राहुल गांधी को पप्पू  और ,पार्ट टाइम नेता और  टीवी आदि कहते रहते थे। तो भाषाई स्तर तो बहुत पहले गिर चूका है। लेकिन भारत जोड़ों यात्रा के बाद सब कुछ बदल गया है। उनको गुजरात कोर्ट से उन पर पूर्णेश मोदी सूरत से बीजेपी के विधायक के  मानहानि के  मुकदमें में 23 मार्च 2023 को 2 साल की अधिकतम सजा और ₹15000 रूपए जुर्माना की सजा मिली जिसे सूरत के सेशन कोर्ट और गुजरात हाई कोर्ट ने बहाल रखा ।  उसी दिन फैसला लोक सभा के अध्यक्ष ओम बिरला के पास गुजराती भाषा से अंग्रेजी में अनुवादित 172 पेज का फैसला भी आश्चर्यजनक रूप से दिल्ली स्तिथ लोक सभा सचिलवालय भी पहुंच गया। इसके फौरन बाद लोक सभा सचिवालय ने 24 मार्च 2023  को 23 तारीख से ही राहुल गांधी के केरल राज्य के वायनाड  लोक सभा सीट  की सदस्यता को समाप्त कर दिया और चुनाव आयोग को भी  सूचित कर दिया।  लोक सभा के सचिवालय और चुनाव आयोग के वेबसाइट से उनके बारे में सभी सूचनाओं को भी  हटा दिया । इसके फ़ैरन बाद  राहुल गांधी को तुगलक लेन स्तिथ सरकारी मकान को खाली 30 दिन में कर दें और राहुल ने निर्धारित समय के भीतर खाली कर दिया और साथ साथ मकान से जुड़े सारे बनकाए रकम को अदा करके रसीद ले लिया और मकान को बंद करके एस्टेट विभाग को चाबी सौंप दिया । सारे कार्यवाही की वीडियोग्राफी करा ली। इसी बीच  सुप्रीम कोर्ट से उनको राहत मिली और उनकी सजा पर रोक लगा दिया तथा गुजरात कोर्ट के फैसले पर तल्ख टिप्पणी भी की है। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने  सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी की सांसदी तत्काल प्रभाव से बहाल करके अधिसूचित कर दिया और सभी संबंधित विभागों को भी सूचना दे दी।इसके बाद राहुल गांधी पार्लियामेंट के विशेष अधिवेशन में उन्होंने भाग लिया और जम कर अडानी और और अन्य मामलों पर 51 मिनिट का भाषण दिया और मोदी सरकार की बखिया उधेड़ दी!  अगर आप पनौती शब्द कों वर्ल्ड कप फाइनल में लाएंगे तो हारने के बाद मोहम्मद सिराज किसी बच्चे की तरह फूट-फूट कर रो रहे थे। उनके आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। ऐसे में जसप्रीत बुमराह मोहम्मद सिराज की तरफ गए और एक बड़े भाई की तरह उन्हें गले से लगा लिया। सिराज भी बुमराह से लिपट गए। जब भारत लगातार मैच जीत रहा था, तब मोहम्मद सिराज ने मजाक में कहा था कि बुमराह अक्सर हमसे बात नहीं करते। वह खुद में ही खोए रहते हैं।माना कि वर्ल्ड कप फाइनल में हमारा प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा, लेकिन इसी टीम ने हमें पूरे वर्ल्ड कप के दौरान गर्व करने का मौका दिया है। यह तस्वीर करोड़ों भारतीय क्रिकेट फैंस को भावुक कर गई। खुद में ही खोए रहने वाले बुमराह ने सिराज को सबसे मुश्किल वक्त में सहारा दिया। उम्मीद है जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज आने वाले कई वर्षों तक भारत के जीत की वजह बने रहेंगे। एक हार इन दोनों की उपलब्धियों पर पानी नहीं फेर सकती।  दर्दभरी तस्वीर पर अपनी राय बताएं।।वे समाज के विभिन्न तबकों और कुली,खेती करने वाले मजदूर , मोटर साइकिल मिस्त्री , लकड़ी के फर्नीचर बनाने वाले, सब्जी मंडी में सब्जी और फल बेचने वाले ,विद्यार्थी ,होटलों में  काम करने  वाले आदि लोगों से मिल कर ,उनको घर पर बुला का खाना राहुल ने अपने आप को तमाम सामान्य लोगों से जोड़ा और उनके हालत से रूबरू हुए हैं । जैसा कहोगे वैसा ही सुनोगे का युद्ध शुरू हो जायेगा, अब तो कई वर्षों से   राजनीतिज्ञयों के भाषण का स्तर बहुत नीचे गिर चुका है !

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