
राजस्थान और एमपी के विधानसभा चुनाव परिणाम आ भी गए तो विपक्षी पार्टियों के लिए अच्छी या बुरी खबर मिल सकती है परंतु इस बार इवीएम दोनों ही सूरतों मे खराब नहीं कही जाएगी जिसकी इकलौती वज़ह राज्यों की बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों का ये विश्वास होगा कि 2024 मे वे भाजपा को हरा देंगे। 3 दिसम्बर के नतीजे इंडि गठबंधन का भविष्य तय करेगा। कौन बनेगा कौन नहीं बनेगा बेशक एमपी मे राजनीति तय करेंगी। वहा सपा और कॉंग्रेस से गठबंधन बनते बनते रह गया! जिसकी तल्खी काँग्रेस को रहीं। फिर भी ये चुनाव 2024 मे कुछ संभावना पैदा कर रही हैं ये वजहे मेरी निजी है जो कि गलत हो सकती है पर मेरे हिसाब से ऐसा ही होगा। यूपी में शायद जयंत जी भाजपा मे आ जाएं या फिर समाजवादी पार्टी मे उन्हें ज्यादा सीट मिल जाए! गठबंधन से मुख्य समय पर कोई बड़ी पार्टी या नेता या तो भाजपा मे आएगा या उसे कहीं का राज्यपाल बनाया जाएगा! गठबंधन में जो बड़ी क्षेत्रीय पार्टी नहीं आयी वो, वोट काटने वाली बनेगी जबकि उस पार्टी के बड़े नेता या तो भाजपा मे जाएंगे या ऐसी पार्टी में जहां उनका जाना दूसरी पार्टी को फायदे की जगह नुकसान पहुंचाएगा क्योंकि उस पार्टी में उनके पुराने प्रतिद्वंद्वी होंगे।अगर 2024 मे समाजवादी पार्टी को बड़ा फायदा नहीं मिलता है तो पार्टी से बहुत जल्द स्वामी प्रसाद मौर्य जी हट जाएंगे यहाँ ” चन्द्रशेखर आजाद” को मैं उनके 3 दिसम्बर को जन्मदिन की बधाई देता हुए कह रहा हूं कि इस बार वे जीत सकते हैं बस वो सीट का चयन सही से करें मेरी नजर में उनके लिए 3 सीट है जहां से वे जीत सकते हैं ब्लकि यदि वे दो जगहों से लड़े तो दोनों जगहों से।
पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने में पर परिणामों को लेकर जो घमासान मचा हुआ था उसे देखकर उम्मीदवारों के साथ आमजन भी मानसिक तौर पर परेशान है।इस परेशानी को बढ़ाया है बालाघाट में डाक मतपेटियों के खुलने और 100 ईवीएम बदले जाने की झूठी अफवाह उड़ाकर कंकर मुंजारे मजे लूट रहें ।इसका एक फर्जी वीडियो भी सबने देखा। राज्य चुनाव आयोग ने बताया कि मतपेटियों को खोला नहीं गया जिन्होंने ये गड़बड़ी की है उन्हें निलंबित कर दिया गया है। कंकर मुंजारे के दूसरे आरोप पर कुछ नहीं बोले। इसी बीच चंबल अंचल से एक वीडियो सामने आया है जिसमें तमाम चुनाव अधिकारी अपने काम में लगे नज़र आ रहे हैं और वोटर जब ईवीएम की ओर जाता है एक शख्स बढ़कर मशीन का बटन दबाकर उसे चलता कर देता है जबकि वह ट्रेनिंग का हिस्सा रहा।ऐसा ही महिलाओं और अन्य वोटर्स के साथ होता दिखा कर हंगामा हो रहा । निष्पक्ष चुनाव को जानबूझकर कांग्रेस और स्थानीय दल साजिश वाला चुनाव घोषित करने पर लगे है। आयोग क्यों मौन धारण किए हुए हैं इन पर कार्यवाही करें। यह आरोप कई सवालों को जन्म देता है। क्या कर्नाटक में सब सही था की सरकार से मिली भगत थी ? ऐसा नहीं था तो कर्नाटक में मतदान स्थगित कर पुनः निर्वाचन क्यों नहीं कराया गया वहां । हज़ारों की संख्या में डाक मतपत्र गायब हैं वे कहां हैं इसकी भी तफ़्तीश नहीं की गई कर्नाटक में। ये तमाम संकेत अच्छे नहीं हैं और लगता है एक्जिट पोल इन्हीं सांठगांठ के मद्देनजर यथार्थ परोस रहे हैं।यूं तो लोगों को ईवीएम पर ही भरोसा नहीं होता पर जब विपक्ष जीतता है तो सब सही हारता है तो इविएम की कारगुजारियां बता देता है।चुनाव आयोग को शकोसुबह के घेरे में लेती हैं। एक मतदाता ने चुनाव परिणाम के बारे में अपना माथा पकड़ते हुए जब यह कहा ‘हरि अनंत हरि कथा अनंता’ तो पूछने वाले के होश उड़ गए। बेशक जब तक बड़े पैमाने पर विपक्ष के मानसिक खामियों को दुरुस्त नहीं करता तब तक मतदाताओं का वह विश्वास अर्जित नहीं कर सकता। इस बीच यह बात भी सामने आई थी कि ईवीएम से इस बार छेड़छाड़ नहीं हुई है सारा दारोमदार डाक मतपत्रों पर है। जहां दबंगों का दबदबा रहा होगा वहां परिणाम में बदलाव हो सकता है किंतु जनता ने यदि सरकार के बदलाव हेतु भारी मतदान किया है तो ये घटनाएं परिणाम नहीं बदल पायेंगी।ये निर्विवाद रुप से सच है कि आम मतदाता मंहगाई, बेरोजगारी और झूठे वायदों से बिफरा हुआ है। सबसे बड़ी शंका दो लोगों पर रहेगी पहला की नीतीश जी हवा भाँप पा रहे हैं या नहीं? दूसरा 2024 के चुनाव के बाद सपा के शिवपाल 2027 के लिए सपा में क्या भूमिका निभाएंगे! 2024 का जो अभी परिणाम दिख रहा है उस नजरिए से समाज वादी पार्टी में बहुत ज्यादा बदलाव उस चुनाव में दिखेगा ! इन 5 राज्यों के चुनाव के बाद बहुत संभावना है कि भाजपा पुरानी राजनिति शुरू कर दे, नए नियम लागू हो जाए और भी बहुत कुछ योजनायें! योजनाओं के बाद भाजपा की सीट 400 के करीब हो सकती है और उत्तर प्रदेश में अभी से ही लग रहा है कि भाजपा 67 से 73 सीट जीतेगी जबकि समाजवादी पार्टी 6/7 सीट। भाजपा और कांग्रेस के नेताओ की बात सुनीए या सपा नेता की राजनिति इनने अपनी दिमाग की उपज, यह सही बात है की स्वामी प्रसाद मौर्य के बदजुबानी से सबसे ज्यादा नुकसान सपा को ही पहुंचना है।