- कानपुर नगर में 10 अगस्त से चलेगा फाइलेरिया उन्मूलन अभियान, 25 लाख से अधिक लोग होंगे लाभान्वित
कानपुर। नगर में 10 अगस्त 2025 से शुरू हो रहे फाइलेरिया उन्मूलन अभियान (IDA – Ivermectin, DEC, Albendazole) के प्रभावी क्रियान्वयन के उद्देश्य से आज मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय, रामादेवी स्थित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन सभागार में मीडिया कार्यशाला आयोजित की गई। इस अवसर पर जनपद स्तरीय मीडिया प्रतिनिधियों, स्वास्थ्य अधिकारियों और सहयोगी संगठनों ने भाग लिया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरिदत्त नेमी ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा, कि, “फाइलेरिया से बचाव केवल दवा से नहीं, जनसहभागिता से संभव है।” उन्होंने आगे कहा कि मीडिया न केवल जनजागरूकता का सशक्त माध्यम है, बल्कि यह भ्रमों को दूर करने, अभियान में समुदाय की सहभागिता बढ़ाने और जमीनी सफलताओं को उजागर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। सीएमओ ने जनता से आह्वान किया कि वे स्वेच्छा से दवा खाएं, दूसरों को प्रेरित करें, और अफवाहों से दूर रहते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों में सहयोग करें।
जनपद में 11 क्षेत्रों में चलेगा अभियान
सीएमओ ने जानकारी दी कि यह अभियान जनपद के 08 ग्रामीण ब्लॉकों – बिल्हौर, सरसौल, चौबेपुर, ककवन, घाटमपुर, भीतरगांव, बिधनू और पतारा तथा 03 शहरी D-type केंद्रों – ग्वालटोली, गुजैनी और गीतानगर में चलाया जाएगा। अभियान का शुभारंभ 10 अगस्त को जिलाधिकारी महोदय द्वारा ब्लॉक बिधनू के ग्राम मझावन में स्वयं दवा सेवन के साथ होगा। इस अभियान के तहत लगभग 25 लाख पात्र लोगों को घर-घर जाकर ट्रिपल ड्रग थेरेपी (IDA) दी जाएगी।
फाइलेरिया: एक गंभीर परंतु रोके जा सकने वाला रोग , कार्यशाला में मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के सहायक आचार्य डॉ. सौरभ त्रिपाठी ने कहा कि फाइलेरिया एक लाइलाज रोग है जो मच्छरों से फैलता है। “इसका प्रभाव शरीर में वर्षों बाद दिखता है, लेकिन रोकथाम अभी और यहीं संभव है।” उन्होंने बताया कि हाइड्रोसील, लिम्फेडेमा, व शारीरिक विकलांगता जैसे दुष्परिणामों से बचाव के लिए दवा का सेवन अत्यंत आवश्यक है।
जिला मलेरिया अधिकारी श्री अरुण कुमार सिंह ने बताया कि जनपद में 4605 फाइलेरिया और 889 हाइड्रोसील के पंजीकृत मरीज हैं। उन्होंने बताया कि अभियान में 2021 टीमों को लगाया गया है, जो आशा कार्यकर्ताओं की निगरानी में दो वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को दवा देंगी।
गर्भवती महिलाएं, गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति और दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को यह दवा नहीं दी जाएगी। दवा भोजन के बाद दी जाएगी, जिससे दुष्प्रभावों की आशंका कम हो। किसी प्रकार की प्रतिक्रिया की स्थिति में तैनात रैपिड रिस्पॉन्स टीमें तत्काल उपचार हेतु उपलब्ध रहेंगी। अभियान की निगरानी हेतु 334 प्रशिक्षित पर्यवेक्षक तैनात किए गए हैं।
जनता और मीडिया की साझेदारी से बनेगा फाइलेरिया मुक्त जनपद, कार्यशाला में पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के सदस्य श्री रामस्व ने अपने निजी अनुभव साझा करते हुए बताया कि फाइलेरिया न केवल शरीर, बल्कि मानसिक और सामाजिक जीवन को भी प्रभावित करता है। ग्राम स्तर पर सक्रिय श्री सुनील ने बताया कि वे और उनके साथी गांव-गांव जाकर लोगों को दवा सेवन के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
कार्यशाला में उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश, सहायक मलेरिया अधिकारी श्री भूपेंद्र सिंह, वरिष्ठ निरीक्षक श्री प्रशांत कुमार वर्मा, मलेरिया निरीक्षक श्री अमित धीमान, पाथ व सीफार के प्रतिनिधियों सहित जिले के प्रमुख मीडिया प्रतिनिधियों ने अभियान की सफलता हेतु पूर्ण सहयोग का संकल्प लिया।
फाइलेरिया को जानें, दवा समय पर लें
फाइलेरिया, जिसे आम बोलचाल में “हाथीपाँव” कहा जाता है, एक परजीवी जनित रोग है जो संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है। इसके दुष्परिणाम वर्षों बाद प्रकट होते हैं और यह शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्तर पर व्यक्ति को कमजोर कर देता है।
IDA ट्रिपल ड्रग थेरेपी क्यों है प्रभावी?
• Ivermectin + DEC + Albendazole का संयुक्त सेवन शरीर में मौजूद परजीवियों को समाप्त करता है।
• यह पद्धति अधिक प्रभावशाली है और लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान करती है।
• एल्बेंडाजोल बच्चों में कृमि संक्रमण को रोककर उनके शारीरिक व बौद्धिक विकास में सहायक है।
दवा का सेवन क्यों आवश्यक है?
• दवा मुफ्त, सुरक्षित और अत्यंत प्रभावी है।
• संक्रमण की कड़ी को तोड़ने में मदद करती है।
• लक्षण प्रकट होने से पहले ही रोकथाम संभव है।
• दवा सेवन से समुदाय में संक्रमण फैलाव रुकता है।