कानपुर। घाटमपुर के महुआपुरवा गांव में शनिवार सुबह एक साल आठ महीने का कपिल नाम का बच्चा पानी से भरे गड्ढे में गिर गया। वह अचेत था, लेकिन साँसें चल रही थीं। सुबह करीब सात बजे उपजिलाधिकारी घाटमपुर अबिचल प्रताप सिंह को परिजनों की घबराई हुई कॉल मिली। इसके बाद प्रशासन ने तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया, जिसे ‘ऑपरेशन संजीवनी’ नाम दिया गया।
परिजनों ने पहले हमीरपुर अस्पताल पहुँचाया, जहाँ से हालत गंभीर देखते हुए हैलेट रेफर किया गया। रास्ते में न एम्बुलेंस फंसी न ट्रैफिक में देरी हुई क्योंकि जिले के ट्रैफिक कंट्रोल रूम से लेकर हैलेट के इमरजेंसी गेट तक पूरा सिस्टम बच्चे की साँसों को बचाने में लगा था।
एसडीएम ने सबसे पहले जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह को जानकारी दी। इसके बाद 108 एम्बुलेंस की आवाजाही सुचारु हो इसके लिए ट्रैफिक पुलिस को एसीपी घाटमपुर कृष्णकांत की ओर से निर्देश दिए गए। सीएमओ को हैलेट की इमरजेंसी टीम को अलर्ट रखने को कहा गया। एम्बुलेंस के पहुंचने से पहले ही डॉक्टर मौजूद थे। रेफर के बाद हैलेट तक का सफर करीब डेढ़ घंटे चला। इस दौरान एसडीएम लगातार वीडियो कॉल पर बच्चे की माँ और चाचा से जुड़े रहे। मेडिकल टीम की तैयारी और हर अपडेट सीधे परिजनों को देते रहे।
हैलेट में डॉक्टरों ने 108 एम्बुलेंस से सीधे इमरजेंसी में लाकर तुरंत इलाज शुरू किया। 40 मिनट के भीतर बच्चे को चेतना लौट आई। मेडिकल सुपरिटेंडेंट के मुताबिक बच्चा खतरे से बाहर है। हैलेट इमरजेंसी यूनिट में तैनात एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि अगर एम्बुलेंस रास्ते में 15 मिनट भी देर से पहुंचती तो स्थिति हाथ से निकल सकती थी। बच्चे की साँसें कमज़ोर थीं और शरीर ठंडा हो चुका था। बच्चे के पिता राजाराम ने मदद के लिए जिला प्रशासन का आभार जताया। उन्होंने कहा कि प्रशासन की मदद से ही उनके बच्चे का जीवन बच सका है।