दिल्ली में आतिशी राज… मुख्यमंत्री के रूप में संभाली कमान, सभी मंत्रियों ने भी ली शपथ

अरविंद केजरीवाल के शीर्ष पद से इस्तीफा देने के बाद आतिशी ने शनिवार को राज निवास में एक समारोह के दौरान अपने नए मंत्रिपरिषद के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। पार्टी द्वारा घोषित नई मंत्रिपरिषद में नए शामिल हुए सुल्तानपुर माजरा विधायक मुकेश अहलावत के अलावा मंत्री गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज और इमरान हुसैन शामिल हैं। आतिशी के सौरभ भारद्वाज ने मंत्री पद की शपथ ली। आतिशी दिवंगत सुषमा स्वराज और दिवंगत शीला दीक्षित के बाद देश की 17वीं और राष्ट्रीय राजधानी की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं।

राय, गहलोत, भारद्वाज और हुसैन निवर्तमान केजरीवाल सरकार में मंत्री रहे हैं। आतिशी सरकार का कार्यकाल संक्षिप्त होगा क्योंकि दिल्ली में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव होने हैं। आम आदमी पार्टी (आप) ने एक अहम मोड़ पर आतिशी को शीर्ष पद प्रदान किया है, क्योंकि पार्टी अगले साल की शुरुआत में दिल्ली विधानसभा चुनाव में ना केवल सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है, बल्कि वह चाहती है कि दिल्ली सरकार जन कल्याण से जुड़े लंबित नीतियों और योजनाओं पर तेजी से काम करे। यह वजह है कि आतिशी को पद संभालने के बाद कड़ी मेहनत करनी होगी और मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना, इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2.0 और दहलीज पर सेवाओं की डिलीवरी जैसी अन्य योजनाओं के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए तेज गति से काम करना होगा।

सिसोदिया और सत्येन्द्र जैन के इस्तीफे के बाद आतिशी, सौरभ भारद्वाज के साथ दिल्ली सरकार में शामिल हो गईं। आतिशी (43)ने केजरीवाल सरकार में वित्त, राजस्व, शिक्षा और लोक निर्माण विभाग सहित 13 प्रमुख विभागों का नेतृत्व करते हुए शामिल हुईं। आतिशी वर्ष 2013 में आप में शामिल हुईं और वह पर्दे के पीछे रहकर शिक्षा संबंधी नीतियों पर सरकार की सलाहकार के रूप में काम करती रहीं। लेकिन वर्ष 2019 में उन्होंने चुनावी राजनीति में कदम रखा, तब उन्होंने पूर्वी दिल्ली से भाजपा के गौतम गंभीर के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा। लेकिन, वह यह चुनाव हार गईं। सक्रिय राजनीति में आने से पहले आतिशी ने अपना उपनाम मार्लेना, जो कि मार्क्स और लेनिन का प्रतीक था, हटा दिया था, क्योंकि वह चाहती थीं कि उनकी राजनीतिक संबद्धता को गलत तरीके से नहीं समझा जाना चाहिए। वर्ष 2020 में आतिशी ने विधानसभा चुनाव लड़ा और कालकाजी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बनीं। आतिशी के माता-पिता विजय सिंह और तृप्ता वाही दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर थे।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के बाबरपुर क्षेत्र से दो बार के विधायक गोपाल राय को मनोनीत मुख्यमंत्री आतिशी की अध्यक्षता वाली नयी मंत्रिपरिषद में बरकरार रखा गया है। राय पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के लंबे समय से सहयोगी हैं और आम आदमी पार्टी (आप) के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। ‘आप’ के पूर्वांचली चेहरे राय पूर्वी उत्तर प्रदेश के मऊ जिले से संबंध रखते हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र के रूप में, वह भ्रष्टाचार और अपराध के मुद्दों पर छात्र राजनीति में सक्रिय थे और अभियान चलाते थे। उन्हें गोली लगी थी, जिससे उन्हें आंशिक पक्षाघात हो गया था। वह 2011 में वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और केजरीवाल के नेतृत्व में ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ आंदोलन में शामिल थे।

आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और ग्रेटर कैलाश सीट से तीन बार के विधायक सौरभ भारद्वाज को मनोनीत मुख्यमंत्री आतिशी की अध्यक्षता वाली नयी मंत्रिपरिषद में भी जगह मिली है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके राजनीति में आए भारद्वाज दिसंबर 2013 में 49 दिन की अरविंद केजरीवाल सरकार में परिवहन और पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री भी थे। भारद्वाज (44)को ‘आप’ का पुरजोर बचाव करने और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर भाजपा पर तीखे हमले करने के लिए जाना जाता है। उनकी प्रसिद्धि का एक कारण 2017 में दिल्ली विधानसभा में ‘डमी मशीन’ के माध्यम से ईवीएम से छेड़छाड़ की संभावना को साबित करने की उनकी कोशिश भी है। साल 2020 के चुनावों में ‘आप’ की जीत के बाद केजरीवाल सरकार के तीसरे कार्यकाल में मार्च 2023 में वह फिर से मंत्री बने। वह केजरीवाल सरकार में स्वास्थ्य, शहरी विकास, पर्यटन, कला संस्कृति, उद्योग और बाढ़ नियंत्रण विभाग संभाल रहे थे।

अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली निवर्तमान कैबिनेट में शामिल कैलाश गहलोत को आम आदमी पार्टी (आप) प्रमुख का विश्वासपात्र कहा जाता है और वह आतिशी के साथ मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शुमार थे। पचास वर्षीय विधायक गहलोत ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं और ‘आप’ के एक प्रमुख जाट नेता हैं, जिन्होंने 2015 और 2020 में दो बार नजफगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की। उन्होंने 2015 में 1,555 मतों के मामूली अंतर से जीत हासिल की थी, लेकिन 2020 में उनकी जीत का अंतर 6,231 मत रहा था। वर्ष 2017 में कपिल मिश्रा के इस्तीफे के बाद उन्हें कैबिनेट में शामिल किया गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Breaking News
बिहार में AIMIM ने उतारे 25 उम्मीदवार, ओवैसी के दांव से बढ़ेगी महागठबंधन की टेंशन? | पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर थमा खून-खराबा, कतर-तुर्की की मध्यस्थता से युद्धविराम | 26 लाख से अधिक दीयों से जगमग हुई रामनगरी, दुल्हन की तरह सजी अयोध्या; CM योगी ने खुद लिया दो वर्ल्‍ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट | 'कांग्रेस ने कोर्ट में कहा था श्रीराम काल्पनिक हैं', अयोध्या में दीपोत्सव के अवसर पर CM योगी की दो टूक; बोले- बाबर की कब्र पर सजदा करते हैं ये लोग
Advertisement ×