बदरुद्दीन अजमल का दावा, माहौल बीजेपी के खिलाफ, धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के साथ ही रहेंगे

ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने गुरुवार को स्पष्ट कर दिया कि लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में सत्ता में लौटने पर उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन से हाथ नहीं मिलाएगी। हालांकि, एआईडीयूएफ नेता ने कहा कि वे उन सभी तीन सीटों पर जीत हासिल करेंगे, जिन पर वे चुनाव लड़ रहे हैं। सीटों के बंटवारे को लेकर इंडिया ब्लॉक में मचे घमासान से निराश बदरुद्दीन ने कहा कि अगर पार्टियां बरकरार रहतीं तो कुछ उम्मीद की जा सकती थी, लेकिन ये सभी लड़कर एकतरफा तौर पर बीजेपी को फायदा पहुंचा रहे हैं।

बदरुद्दीन ने कहा कि एआईयूडीएफ तीनों सीटें जीतेगी। हम बीजेपी-एनडीए के साथ सरकार नहीं बना सकते। इसलिए हम धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के साथ ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि अगर इंडिया गुट एक साथ होता तो कुछ उम्मीद हो सकती थी लेकिन ये सभी अलग-अलग लड़ रहे हैं। आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस दो बड़ी पार्टियां हैं जो बिल्कुल अलग-अलग लड़ रही हैं। इससे बीजेपी को फायदा होगा। उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की कि उत्तर प्रदेश और बिहार में भाजपा को भारी नुकसान होगा।

एआईयूडीएफ नेता ने कहा कि मैं और कुछ नहीं कहना चाहूँगा; वे हमारे पीछे ईडी और सीबीआई लगा देंगे, लेकिन माहौल बीजेपी के खिलाफ जा रहा है। लोगों को 15 लाख रुपये की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दो करोड़ नौकरियां नहीं मिलीं। युवा बेरोजगार हैं। उन्होंने कहा कि जिस युवा ने भाजपा को सत्ता में पहुंचाया वही युवा आज उनसे नाराज है। हमें जमीन की जानकारी है। उत्तर प्रदेश और बिहार में बीजेपी को भारी नुकसान होगा। उन्होंने दावा किया कि वे संविधान बदलने की सोच रहे हैं जिसके लिए उन्हें 400 से अधिक सीटें चाहिए, उनका सपना कभी पूरा नहीं होगा।

असम में कुल 14 संसदीय क्षेत्र हैं। असम की 14 लोकसभा सीटों के लिए तीन चरणों में 19 अप्रैल, 26 अप्रैल और 7 मई को चुनाव होंगे। उन्होंने कहा कि चीजें बीजेपी के पक्ष में नहीं जा रही हैं… यह बहुत मुश्किल है (बीजेपी को 370 हासिल करना) क्योंकि उन्होंने इस बार कुछ नहीं किया है।’ हम भी बिजनेस करते हैं और हमें डर है कि अगर हम कुछ बोलेंगे तो वो हमारे पीछे ईडी और सीबीआई लगा देंगे… दूसरी बड़ी बात ये है कि वो संविधान बदल देंगे, लेकिन इसके लिए उन्हें 400 प्लस की जरूरत है जो कि बनी हुई है. उनके लिए सपना जो पूरा नहीं होगा. अगर भारत गठबंधन के भीतर पार्टियां एक साथ लड़ने के लिए सहमत होतीं, तो चीजें अलग होतीं, लेकिन अब इससे बीजेपी को फायदा होगा।

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