बांग्ला देश में उत्पन्न हालातो में भारत के समक्ष चुनौतियां एवं उनका समाधान

बांग्लादेश का जन्म वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के पश्चात 16 दिसंबर 1971 में हुआ था जब पाकिस्तान सेना के जनरल नियाजी ने भारतीय सेना के समक्ष आत्म समर्पण कर दिया था बांग्लादेश का प्राचीन इतिहास 700 ईसवी पूर्व से प्रारंभ होता है जब यहां पर हिंदू एवं बौद्ध धर्म का प्रभाव था जिनके अवशेष आज भी बांग्लादेश में जगह-जगह पर बिखरे पड़े हुए हैं बांग्लादेश का इस्लामीकरण 12वीं शताब्दी में प्रारंभ हुआ जब इस्लामी शासको ने इस क्षेत्र में आधिपत्य जमाने की शुरुआत की और 16वीं शदी आते-आते बंगाल भारत का प्रमुख व्यापारिक केंद्र बनकर उभरा 19वीं शदी में अंग्रेजों का बंगाल पर पूर्णता अधिकार स्थापित हो गया भारत विभाजन के पश्चात बंगाल का मुस्लिम बहुत क्षेत्र पाकिस्तान में मिल गया जिसे पूर्वी पाकिस्तान घोषित किया गया क्योंकि पश्चिमी पाकिस्तान में ऊंची जात के मुस्लिमों का शासन अर्थात बाहुल्य था किंतु पाकिस्तान में हुए चुनाव में पूर्वी पाकिस्तान के शेख मुजीबुर रहमान चुनाव जीत गए जिन्हें पाकिस्तान सेना के जनरलों ने सत्ता देने में आनाकानी की जिसका परिणाम बांग्लादेश के जन्म के रूप में देखने को मिला बांग्ला देश भारत का सीमा से लगा पड़ोसी देश है भारत की लगभग 4000 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है जो जगह-जगह पर छिद्रित है बांग्लादेश के साथ में बांग्लादेश में भारत के विरोधी विचारधारा की सरकार अगर बनती है तो उग्रवादी समूह को बांग्लादेश में पनाह मिल सकती है और वह भारत में भय एवं आतंक का माहौल बनाने में सफल हो सकते हैं जिससे भारत के पूर्वी एवं पूर्वोत्तर राज्यों में अशांति को बढ़ावा मिल सकता है भारत का बांग्लादेश के साथ लगभग लगभग 14 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार है जिसमें लगभग भारत 12 बिलियन डॉलर का निर्यात करता है जबकि दो बिलियन डॉलर का आयात करता है जिससे भारत एवं बांग्लादेश के मध्य व्यापार पर असर पड़ सकता है बांग्लादेश की आबादी में लगभग 8% हिंदू हैं जिससे वहां कटर पंथियों की सरकार स्थापित होने से इन हिंदुओं पर हमले बढ़ेंगे और यह लोग भारत में शरणार्थी बनकर आएंगे जिससे भारत में दबाव बढ़ेगा क्योंकि भारत पहले से अति  जन संख्या से पीड़ित है इसलिए इन लोगों को भारत में जगह देना भारतीय लोगों के लिए कठिन होगा चीन एवं अमेरिका भी भारत के समक्ष अपनी अपनी तरह की चुनौतियां उत्पन्न कर रहे हैं चीन भारत को एशिया में अपना सबसे बड़ा प्रति रोधी मानता है और भारत को सामरिक तौर पर नियंत्रित करने के उद्देश्य से स्ट्रिंग ऑफ पर्ल की नीति के तहत बंगाल की खाड़ी में भारत के चारोंओर पोर्ट बना रहा है और उनको एक्वायर कर रहा है जो कि भारत की सुरक्षा के लिए एक बड़ी सुरक्षा चुनौती है बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक वक्तव्य में बताया था कि एक वाइट देश उनसे एक सैनिक अड्डे की मांग कर रहा है बदले में शासन की सुरक्षा की गारंटी दे रहा है लेकिन उन्होंने मना कर दिया है आने वाले समय में अगर बांग्लादेश में कट्टरपंथियों की सरकार बनती है तो यह भारत के लिए एक भू राजनीतिक चुनौती बनकर उभरेगा और देखना होगा कि भारत की चुनौती से किस प्रकार निपटता है।
 बाल गोविंद साहू

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