वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के एकांतिक वार्तालाप को सुनने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु और भक्त पहुंचते हैं। लोग अपनी समस्याएं प्रेमानंद महाराज के सामने रखते हैं और वे उन्हें बहुत ही सरल ढंग से लोगों समस्याओं का आध्यात्मिक समाधान बताते हैं।
ऐसे ही एक एकांतिक वार्तालाप के दौरान एक सज्जन प्रेमानंद महाराज से मिलने पहुंचे और उन्होंने पूछा कि क्या नजर लगने से शुभ कार्य रुक जाते हैं या जैसे कोई शुभ कार्य करने जाते हैं तो उसमें अड़चन आ जाती है, रुक जाते हैं, तो लोग कहते हैं की नजर लग गई क्या ऐसा होता है?
महाराज ने कहा यह हमारे कर्म होते हैं, अगर हमारी असफलता हो गई, उसे आप नजर लगा कहो या कुछ भी कहो। अगर किसी की भी नजर में ताकत है तो हमें नजर लगा कर दिखाओ। यह सब बातें छोड़ो, राधा-राधा नाम जपो, जब घर से निकले तो राधा-राधा का नाम जपकर निकालो कोई बाधा नहीं आएगी।
छोटे बच्चों को नजर लगने के बारे में प्रेमानंद महाराज ने कहा कि वह एक अलग चीज है, जैसे छोटे बच्चों का जब श्रृंगार किया जाता है तो उसके माथे पर काला टीका लगा दिया जाता है, किसी की नजर ना लग जाए, क्योंकि बहुत सुंदर है। यह प्यार का विषय है। ऐसा नहीं है कि तुम्हारा व्यापार, तुम्हारी नौकरी, तुम्हारे जानवर या तुम्हारी गाड़ी या तुम्हारा कुछ और भी जैसे कि कुछ लोग घर बनवाते हैं तो उसके बाहर एक राक्षस का मुखौटा टांग देते हैं, कोई उल्टा जूता टांग देता है, अरे भगवान की छवि टांगों, भगवान का नाम लिखो, जूते-चप्पल टांगने से कल्याण नहीं होगा। किसी जूता टांगने से या नजरोटा टांगने से कुछ नहीं होता। भगवान का नाम जपने से ही मंगल होता है, उसी में सबका मंगल है।
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