चुनावी ट्राइएंगल : कांग्रेसी नेता दूध के धुले और देश का निष्पक्ष वोटिंग आयोग चोर

भाजपा से दलगत लड़ाई को निजी बनाकर राहुल गांधी नें खुद के पैर पर कुल्हाड़ी दे मारी। चुनाव आयोग पर हमला बोल राहुल नें अपनी हताशा को जगजाहिर कर दिया लेकिन भाजपा को यह याद रखना होगा कि इस लोकतंत्र में इंडि गठबंधन ऐसे ही झोल फैलाकर, हल्ला मचाकर सत्ता में आने का प्रयास करती रहेगी। भाजपा को सवर्ण वोटरों के कारण ही उसे सत्ता मिली है अगर यही वोटर नहीं बचेगा तो क्या भारत बच पाएगा, यह गंभीर सवाल देश के सामने है। इसलिए राहुल गांधी को कटघरे में खड़ा करना चाहिए। चुनाव आयोग नें बिहार में जो मुद्दे उन्होंने उठाए है, उस पर पूरे देश में विचार हो, माननीय सुप्रीम कोर्ट इस पर स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई करे, तभी चुनाव में फर्जी वोटिंग  रोकी जा सकेगी। राहुल गांधी के फर्जी खुलासे के बाद अब चुनाव आयोग के पाले में गेंद चली गई है उसे इनके एजेंडे से सतर्क रहना होगा।
अगर चुनाव आयोग ऐसा नहीं करता है, तो फिर राहुल गांधी का यह आरोप भी चाल चल देगा और फिर यह होगा कि बिहार में कई सीटों के कारण मुख्यमंत्री बदल सकते है। कांग्रेस की भूमिका अब लोकतंत्र में भी संदिग्ध हैं। लोकसभा के साथ-साथ महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली सारे चुनावों पर अब प्रश्नवाचक निशान लगाने वाले राहुल को लग रहा कि अब नहीं तो कभी नहीं । कांग्रेस के अलावा अन्य दल भी अब चुनाव आयोग की निष्पक्षता के सबूत मांग रहे हैं जो देश के लिए चिंताजनक है। जुलाई में राहुल गांधी ने चेतावनी दी थी कि उनके पास चुनाव में वोट चोरी के सबूत हैं जबकि जुबानी बकबक करने के अलावा कुछ नहीं होता इनके पास बाद में माफ़ी मांग लेंगे । राहुल नें कहा था जब वे इन्हें सार्वजनिक करेंगे तो एटम बम फूटेगा पर इन्हे नहीं पता कि यें सब करने से जनता का गुस्सा फूटेगा इनपर । सात अगस्त की दोपहर जब राहुल गांधी ने वोट चोरी के मुद्दे पर प्रेस काॅन्फ्रेंस की, तो वाकई मामला हास्यास्पद हो गया। इस प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर मन गढ़न्त आंकड़ों के जरिए इल्जाम लगा दिया कि कर्नाटक की एक विधानसभा सीट में किस तरह लाख से ज्यादा फर्जी वोट पड़े जबकि कर्नाटक में जीते भी खुद। जनता हॅस रही  राहुल गांधी जी। इनका दावा है कि जिस तरह केवल इस एक सीट पर धांधली की गई है, वह असल में एक आसान तरीका है, जो पूरे देश में कहीं भी आजमाया जा सकता है, तो यक्ष प्रश्न यह कि आप क्यों नहीं आजमा लेते.!
राहुल गांधी ने अगस्त की  प्रेस काॅन्फ्रेंस को ‘वोट चोरी’ का शीर्षक दिया जो ना लोकतंत्र का अपमान है अपितु संविधान की बेइज्जती भी है । जिस मीडिया के सामने उन्होंने यह दिखाया कि भाजपा बेंगलुरु मध्य लोकसभा सीट के सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में छह में पिछड़ गई, लेकिन महादेवपुरा में उसे एकतरफा वोट मिला तो इसमें आश्चर्य क्या। लोकतंत्र में वोट एकतरफा नहीं पड़ते क्या ! जाकर सपा से पूछियेगा कि इटावा मैनपुरी इत्यादि में ऐसा कैसे हुआ करता था ! जिस मिडिया के सामने आज रों रही कांग्रेस उसी मिडिया को गोदी मिडिया कहते हुए भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करती रही है कांग्रेस । अब ज़ब राहुल गांधी का दावा है कि निर्वाचन आयोग मतदाता सूचियों को ‘मशीन के पढ़ने योग्य’ (मशीन रीडेबल) डेटा उपलब्ध नहीं करा रहा है ताकि ये सब पकड़ा नहीं जा सका तो यह मज़ाक के अलावा कुछ नहीं जो कांग्रेस जनता से कर रही । फिर भी कांग्रेस ने अभी एक जिस फर्जी तरीके से नजदीकी नतीजे  वाली सीट का विश्लेषण किया तो इसमें  हतप्रभ करने वाले आंकड़े क्या सामने आए ! भाजपा द्वारा जीती गई इस सीट पर 1,00,250 मतों की चोरी का बेबुनियाद इल्जाम। हद है कांग्रेस कि गन्दी राजनीति ! कांग्रेस खुद दावा कर रही कि  एक लाख दो सौ पचास मतों के विश्लेषण में सामने आया कि 11,965 डुप्लीकेट वोटर बनाए गए, 40,009 फर्जी पतों का इस्तेमाल हुआ, 10,452 वोटर बड़ी संख्या में एक ही पते पर रजिस्टर किए गए, 4,132 वोटर बिना फोटो या अवैध फोटो के साथ जोड़े गए, 33,692 नए वोटर फॉर्म-6 का गलत इस्तेमाल कर जोड़े गए।
एक ही पते पर कहीं 40 कहीं 50 लोगों के वोटर आईडी बने हैं। एक ही नाम से कई मतदाता पहचान पत्र बने हैं, जिनमें कहीं कर्नाटक, कहीं महाराष्ट्र, कहीं उत्तरप्रदेश का पता दर्ज है। कई जगहों पर नाम एक थे, फोटो अलग-अलग थे। कई कार्ड्स में मकानों के पते पर शून्य लिखा है। कई में पिता के नाम पर अंग्रेजी के अक्षर अजीबोगरीब क्रम में लिख दिए गए हैं। फार्म 6, जिसके उपयोग से नए मतदाताओं के कार्ड बनते हैं और फिर उनका नाम वोटर लिस्ट में आता है, इस फार्म 6 के तहत 70, 80 साल के मतदाताओं के कार्ड भी बने हैं, जबकि कायदे से इसमें 18 साल वाले वोटर होने चाहिए। इस तरह के फर्जीवाड़े से महज एक सीट पर लाख से अधिक वोट बढ़ाए गए और मज़े की बात ये है कि यही कांग्रेस बिहार में एसआईआर का विरोध कर रही। अकाट्य तथ्यों और सबूतों के साथ चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट में खड़ा हुआ तो  राहुल गांधी घिघियाने लगे। चुनाव आयोग पर धांधली का फर्जी आरोप  देश के सामने पेश कर दिया। फिर अपनी बात दोहराई कि जो खेल इस एक सीट पर हुआ है, उसी तरह की आशंकाएं महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों में भी बनी हैं। इन दोनों राज्यों में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को जीत की उम्मीद थी, एक्ज़िट पोल भी यही दर्शा रहे थे। सत्ता पर बैठे हर राजनैतिक दल के ख़िलाफ़ सरकार से नाराज़गी (एंटी इनकमबेंसी) सामान्य बात है, लेकिन भाजपा इससे हमेशा कैसे बच निकल रही है यह चुभ रहा राहुल को पर इन्हे मोदी मैजिक नहीं दिखता। अब राहुल गांधी ने यह कहने में कोई संकोच नहीं किया कि विपक्ष कभी न कभी सत्ता में आयेगा और तब हर छोटे-बड़े जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई होगी।

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