
ब्रेस्ट कैंसर दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करने वाली एक गंभीर बीमारी है. हालांकि अच्छी खबर यह है कि मेडिकल टेक्नोलॉजी में प्रगति (जैसे कि जेनेटिक टेस्टिंग) ने इस बीमारी के शुरुआती पता लगाने में क्रांति ला दी है. इतना ही नहीं, ये जांच दुर्लभ बीमारियों के डायग्नोस में भी महत्वपूर्ण साबित हुई हैं.
नई पीढ़ी की अनुक्रमण तकनीक ट्रेडिशनल टेस्ट जैसे मैमोग्राम और अल्ट्रासाउंड के साथ मिलकर ब्रेस्ट कैंसर का शुरुआती चरण में ही पता लगा सकती है. डीएनए विश्लेषण के माध्यम से हेल्थ केयर पेशेवर विशेष जीन उत्परिवर्तन की पहचान कर सकते हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर होने के खतरे को बढ़ा सकते हैं. इससे खतरे को कम करने और संभावित रूप से बीमारी को पूरी तरह से रोकने के लिए निगरानी बढ़ाने या प्रीवेंटिव सर्जरी जैसे एक्टिव उपाय करने का मार्ग प्रशस्त होता है.
गुरुग्राम स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के सीनियर डायरेक्टर डॉ. अंकुर बहल ने बताया है कि जेनेटिक टेस्टिंग में किसी व्यक्ति के डीएनए का विश्लेषण करके उन परिवर्तनों या उत्परिवर्तन की पहचान करना शामिल होता है, जो ब्रेस्ट कैंसर सहित कुछ बीमारियों के विकसित होने के खतरे को बढ़ा सकते हैं. ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े विशेष जीन्स की जांच करके हेल्थ केयर एक्सपर्ट किसी व्यक्ति में इस बीमारी के विकसित होने की संभावना का आकलन कर सकते हैं और जरूरी निवारक उपाय कर सकते हैं.
इसके अलावा, कई दुर्लभ डिसऑर्डर में जेनेटिक्स कॉम्पोनेंट होते हैं और जीन जांच इन स्थितियों के लिए जिम्मेदार अंतर्निहित जेनेटिक म्यूटेशन को उजागर करने में मदद कर सकती है. यह ज्ञान न केवल व्यक्तियों को एक निश्चित डायग्नोस प्रदान करता है बल्कि संभावित उपचारों और सहायता नेटवर्क के द्वार भी खोलता है. जैसे-जैसे तकनीक का विकास हो रहा है, वैसे-वैसे जीन जांच अधिक सुलभ और किफायती होती जा रही है. यह ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती पता लगाने और दुर्लभ डिसऑर्डर के डायग्नोस में एक शक्तिशाली उपकरण है. जैसा कि हम जीन जांच की क्षमता को उजागर करना जारी रखते हैं, हम उस भविष्य के करीब जाते हैं जहां जल्दी पता लगाना और टारगेट ट्रीटमेंट आदर्श बन जाते हैं, जिससे जीवन बजाया जाता है और मरीजों के लिए बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं.