तिरुपतिमाला मन्दिर के प्रसाद को बीफ टेलो व फिश आयल द्वारा बनाए जाने की खबर ने विचलित कर दिया है। यह अपवित्र और घृणित कार्य है और अब ब्रह्मराष्ट्र एकम् के तरफ से हमारी मांग है कि यथाशीघ्र सरकार द्वारा ‘ सनातन धर्म बोर्ड ‘ का गठन किया जाए और उसे कानूनी अधिकार दिए जाए। धार्मिक स्थल और उसके आस पास का परिक्षेत्र सनातन बोर्ड के अधीन हो। तिरुपति बालाजी के प्रसाद वाले लड्डू में बीफ फैट और मछली का तेल का प्रयोग हुआ है अब ज़ब इस बात की पुष्टि हो चुकी है तो वहां के मुख्यमंत्री को नैतिक रूप से स्तीफा दें देना चाहिए। जगन रेड्डी के कार्यकाल के दौरान हुआ ये कांड निंदनीय है। ना जाने कितने भक्तों की आस्था से खिलवाड़ हुआ और ऐसे ही कहाँ कहाँ सनातन धर्म को भ्रष्ट करने का साजिश हुआ होगा। अजीब ही बात है- बहुसंख्यकों के देश के बहुसंख्यकों के टूटे मंदिर हैं, अवैध क़ब्ज़ा किए हुए स्थान हैं वो वापस तक नहीं ले पा रहे हैं। और अब प्रसाद भी ऐसी मिलावट लिए हुए। सब बड़े मंदिर तक राज्य सरकारों के क़ब्ज़े में हैं। सनातन धर्म बोर्ड गठित हो जिसमें सनातन को मानने वाले सभी पंथ सम्प्रदाय के प्रतिनिधि हों। जो सनातन नियमों व मन्दिरो की देखरेख करें और पवित्रता और सुचिता का खयाल रखें जिसका कुछ हद तक धर्म संसद सा प्रारूप हो। सनातन सम्प्रदाय विशेष से जुड़े प्रश्न पर वैदिक नियम व उस सम्प्रदाय के प्रमुख आचार्यों से परामर्श कर निर्णय हो। सरकारी हस्तक्षेप सभी मन्दिर प्रशासन इस बोर्ड को सुपर्त होंबोर्ड खुद ही देखरेख करे व ट्रस्टी तय करे। पत्रकार और सनातनी पंकज सीबी मिश्रा ने कहा कि पवन कल्याण जी ने सही मांग उठाई है। सपोर्ट करना चाहिए। हिन्दुओ को अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए। तिरुपति मंदिर में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना की जाँच ऊँचे स्तर पर होनी चाहिये। सूत्रों और सोशल मिडिया के अनुसार उन्होंने तिरुपति बालाजी के मंदिर में ईसाइयों को पुरोहित नियुक्त कर दिया था ऐसी भी खबरें आई थी। अब जब हिन्दू मंदिर में ईसाई पुरोहित हो तो प्रसादम में गाय की चर्बी और बीफ मिलाकर भोग लगाए जाने का कौन विरोध करेगा। पता नहीं वे ईसाई पुजारी अभी भी वहां पूजा-पाठ करा रहे हैं या नहीं। पता नहीं जगनमोहन ने महाप्रभु बालाजी को कब तक तक बीफ खिलवाया। सभी मंदिरों को अब एक बोर्ड के अधीन रखा जाय। मेरा प्रस्ताव है सभी मंदिरों को तत्काल राम मंदिर न्यास के अधीन किया जाय और बाद में सनातन बोर्ड के अधीन रखा जाय। सोचिए, तिरुमला तिरुपति देवस्थानम यानी तिरुपति के भगवान वैंकटेश्वर के मंदिर में भगवान विष्णु को गाय की चर्बी से बने लड्डू यानी एक तरह से गोमांस का ही भोग लगा दिया गया। इस प्रसादम में मछली का तेल भी मिलाने की पुष्टि हुई है। सरकार किसी की भी हो उसे ऐसा किया कैसे गया। भगवान विष्णु तो पूर्ण वैष्णव हैं। भगवान को भी भ्रष्ट कर दिया और साथ ही साथ पूरे मंदिर को भी। और तो और, इस महापाप की किसी को भनक तक नहीं लगी। कोई महा सेक्यूलर भी ऐसी गलती नहीं कर सकता। पर ऐसा किया गया और यह हुआ है। जब डेयरी विकास बोर्ड ने अपनी जांच के बाद परसादम में गाय की चर्बी होने की पुष्टि कर दी है तब इसे झूठा आरोप बताकर इसे राजनैतिक स्टंट कहना सही नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी कनवर्ट होकर ईसाई बने हैं। तिरुपति बालाजी के प्रसाद में जगन रेड्डी सरकार के समय में लड्डू में घी की जगह पशुओं की चर्बी मिलाई जा रही थी। एनएबीएल की रिपोर्ट में भी पुष्टि हो गई। दोषियों को दंड दिलाने की बात एक भी पुरातनपंथी और कांग्रेसी नहीं कर रहा, जबकि वह राम मंदिर छत टपकने को हर सुबह सुर्खिया बनाता था। कुछ लंपटों के लिए आस्था का कोई महत्व नहीं है। क्या कारण है ?वामपंथ की ट्रेन भारत के ही हर स्टेशन पर रुकती आई है। पहले उद्योग और व्यवसाय पर रुकी। वहां ट्रेड यूनियन लीडर्स उतरे, संपन्नता और समृद्धि का नाश किया। फिर कृषि पर रुकी। वहां नक्सली उतरे, कृषि का नाश किया और साथ में गांव गांव तक हिंसा फैलाई। फिर अर्थव्यवस्था के जंक्शन पर रुकी. उसमें से वेलफेयर और सब्सिडी वाला माल उतारा गया। फिर शिक्षा और कला के स्टेशन पर रुकी।वहां झोला छाप कॉमरेड उतरे, कलाकार और प्राध्यापक बन कर. समाज की सोचने समझने की क्षमता का नाश किया।फिर न्याय के स्टेशन पर रुकी। वामपंथी उतर कर न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठ गया और समाज को न्याय के स्थान पर संघर्ष का नैरेटिव परोस दिया । फिर परिवार के स्टेशन पर रुकी वहां फेमिनिस्ट डीडी उतरी और परिवार को तोड़ा, स्त्रियों को असुरक्षित और बच्चों को अनाथ किया। युवाओं को समलैंगिक और बच्चों को ट्रांस बनने को प्रेरित किया। सबकुछ जिससे सनातन सभ्यता बनी है, समाज खड़ा हुआ है उसे नष्ट कर रही। एक एक ईंट तोड़ कर हटा रहे हैं विधर्मी। पर अभी भी कुछ है जो देश को जोड़ता है,एक है सेना, दूसरा है सनातनी विचारधारा।

पंकज सीबी मिश्रा, राजनीतिक विश्लेषक जौनपुर