यूपीसीडा लखनपुर कार्यालय में लापरवाही का आलम, उद्यमियों के सपनों पर लटकी तलवार

  • यूपीसीडा में आर.एम. के पच्चीस दिन ज्वाइनिंग के बावजूद आर. एम. को नहीं मिला अकाउंट पावर 
राजेंद्र केसरवानी
कानपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का फाइव ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का सपना भले ही बड़े-बड़े इवेंट्स और चकाचौंध भरी सुर्खियों के साथ जोर-शोर से गूंज रहा हो, लेकिन कानपुर के लखनपुर यूपीसीडा कार्यालय में कुछ अधिकारी मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को चूर-चूर करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। उद्यमियों के अरमानों पर मानो ब्रेक लग गया हो, क्योंकि औद्योगिक प्लाट का नक्शा पास कराने की प्रक्रिया में अड़ंगेबाजी और लापरवाही का बोलबाला है।
लखनपुर यूपीसीडा कार्यालय में हालात यह हैं कि नवनियुक्त रीजनल मैनेजर (आरएम) आशीष कुमार ने 25 दिन पहले अपनी जॉइनिंग तो कर ली, लेकिन उन्हें अभी तक अकाउंट पावर नहीं मिला। नतीजा? उद्यमी अपने औद्योगिक प्लांट के नक्शे पास कराने के लिए तीन महीने से चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी फाइलें धूल फांक रही हैं। सूत्रों की मानें तो यूपीसीडा का ऑनलाइन ओबीपास पोर्टल भी इस कहानी का खलनायक बन चुका है। बताया जाता है कि इस पोर्टल को कथित तौर पर “पाकिस्तान ने हैक कर लिया” और नक्शा पास कराने के लिए जमा किया गया शुल्क भी उद्यमियों को डेढ़ महीने बाद भी वापस नहीं मिला।
उद्यमी प्रदीप वर्मा ने बताया, “हमने तय समय पर शुल्क जमा किया, लेकिन नक्शा पास नहीं हुआ। हर बार यही जवाब मिलता है आजकल-आजकल’ अब तो प्लांट शुरू करने का सपना ही टूटता नजर आ रहा है।” ऐसे में उद्यमियों की हालत उस यात्री जैसी हो गई है, जो स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार तो करता है, लेकिन ट्रेन कब आएगी, कोई नहीं जानता।
यूपीसीडा की इस लचर व्यवस्था ने न केवल उद्यमियों का भरोसा तोड़ा है, बल्कि विकास की रफ्तार को भी थाम लिया है। सवाल यह है कि जब मुख्यमंत्री योगी उद्यमियों को “ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” का भरोसा दे रहे हैं, तो यूपीसीडा के अधिकारी इस दौड़ में कितना पीछे रहेंगे? अगर यही हाल रहा, तो 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था का सपना शायद कागजों तक ही सिमट कर रह जाएगा।
क्या है समाधान? 
उद्यमियों की मांग है कि यूपीसीडा तत्काल इस अव्यवस्था को सुधारे, आर.एम. को अकाउंट पावर प्रदान करे और ओबीपास पोर्टल की खामियों को दूर करे। साथ ही, शुल्क वापसी की प्रक्रिया को  त्वरित किया जाए, ताकि उद्यमियों का भरोसा बहाल हो और विकास की गाड़ी पटरी पर लौट सके। क्या मुख्यमंत्री के सपनों को पंख लगेंगे, या यूपीसीडा की लापरवाही इसे कागजी हवाई जहाज बनाकर रख देगी? यह तो वक्त ही बताएगा।

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