कविता : उम्मीदों की दीपावली

इस दीपावली को हर घर में,
उम्मीदों का दीपक जलाएं।  
अंधेरों से रोशनी के आँचल में, 
हम सबको साथ लेकर चलते जाएं।  
आओ! उम्मीद का दीपक जलाएं…..
जब होगा दिलों में अटूट विश्वास, 
मुश्किलें सारी हो जाएंगी आसान।   
सूनी राहों पर भी चलकर,  
नई मंजिलें खोज लाएं। 
आओ! उम्मीद का दीपक जलाएं…..
जीवन में जब छा जाये अंधकार,    
अपने को तब न समझना लाचार।  
उम्मीद की ज्योति जगाकर,  
हर सपने को करना साकार।  
आओ! उम्मीद का दीपक जलाएं…..
थोड़ी-सी रोशनी भी काफी है,  
गमों के बाद ही तो खुशियाँ आती है।  
इसलिए *तमन्ना* ने भी खिलखिलाकर,  
नए कल की ओर कदम बढ़ाये। 
आओ! उम्मीद का दीपक जलाएं…..
हर भोर में हो नया उजाला,  
चहुं ओर होगा सुंदर नजारा।
हर निराशा को हम हराएं,  
विश्वास का सूरज फिर से उगाएं।  
आओ! हम सब उम्मीद का दीपक जलाएं…..
तमन्ना मतलानी – गोंदिया, महाराष्ट्र

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