
कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसने दुनियाभर में लाखों लोगों को अपना शिकार बनाया है. इसकी मृत्यु दर भी काफी अधिक है और भारत में स्थिति ज्यादा गंभीर है. नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफॉरमैटिक्स एंड रिसर्च की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, “भारत में 2022 में कैंसर के 14 लाख नए मामले सामने आए हैं, यानी लगभग हर नौवां व्यक्ति कैंसर से पीड़ित है.
कोल टार
कोल टार कोयला प्रोसेसिंग का एक उप-प्रोडक्ट है और ज्ञात कैंसरजन है. कॉस्मेटिक और स्किनकेयर प्रोडक्ट्स जैसे हेयर डाई, शैंपू और अन्य में कोल टार होता है. इस कैमिकल के नियमित संपर्क से फेफड़े, ब्लैडर, किडनी और पाचन तंत्र से संबंधित कैंसर हो सकता है.
पैराबेंस
पैराबेंस का इस्तेमाल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में प्रिजर्वेटिव्स के रूप में किया जाता है. अध्ययनों से पता चला है कि पैराबेंस हार्मोन असंतुलन पैदा कर सकते हैं और माना जाता है कि ये ब्रेस्ट कैंसर के खतरा को बढ़ा सकते हैं. इसलिए ऐसे प्रोडक्ट्स खरीदें जिन पर ‘पैराबेन-फ्री’ लेबल लगा हो.
फॉर्मलडिहाइड
फॉर्मलडिहाइड का इस्तेमाल कई घरेलू सामानों में किया जाता है, जैसे कि फर्नीचर, गलीचे और नाखून कठोर करने वाले प्रोडक्ट्स में. यह कैमिकल स्किन, नाक और गले के कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है. फॉर्मलडिहाइड की गंध वाले प्रोडक्ट्स को खरीदने से बचें.
फथेलेट्स
फथेलेट्स का इस्तेमाल प्लास्टिक प्रोडक्ट्स को लचीला बनाने के लिए किया जाता है. ये कैमिकल हार्मोन असंतुलन पैदा कर सकते हैं और माना जाता है कि ये कुछ प्रकार के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं. ‘बिना फथेलेट’ लेबल वाले प्रोडक्ट्स को चुनें.
ऐक्रिलामाइड
ऐक्रिलामाइड कुछ फूड में पाया जाता है, खासकर अधिक तापमान पर पकाए गए स्टार्च रिच फूड में, जैसे कि फ्रेंच फ्राइज और आलू के चिप्स. यह कैमिकल संभावित रूप से कैंसर पैदा करने वाला माना जाता है. तले हुए और पैकेज्ड फूड का सेवन कम करें और ताजे फूड को प्राथमिकता दें.