चरमराई गठबंधन, नेताओं की नौटंकी से बेहाल हुआ विपक्ष

पंकज कुमार मिश्रा, राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी
आप के घर में, जब किसी को भी चोट लगती है, हल्का सा भी खून निकलता है तो आप क्या करते हैं ? चोट को तत्काल साफ, उस पर कपड़ा, बैंडेज या खुद गॉज लगा के, खून रोकते हैं हॉस्पिटल ले जाने तक पर पश्चिम बंगाल में ममता बैनर्जी की दुविधा और नाटक देख लीजिये ! चोट लगा और बिना खून साफ हुए फोटो खिचवा कर उसे मिडिया में लीक कर सहानुभूति के जरिये मोदी को मात देने की सोच बता रहा कि विपक्ष की हवा उल्टे दिशा में बह चली है। दीदी मुख्यमंत्री हैं, देश की शीर्ष नेताओं में से एक। मुख्यमंत्री काफिले में हमेशा एक एंबुलेंस होती है, डॉक्टर होता है, बेहतरीन फर्स्ट एड किट होती है। लेकिन, दीदी के हॉस्पिटल पहुंचने तक ना किसी ने घाव को दबाया, साफ किया, ना बेसिक फर्स्ट एड दिया। यहां तक कि दीदी के मुंह से बहता खून तक साफ नहीं किया गया। यें नेता जनता को ऐसे ही बेवकूफ समझते हैं। पर जनता समझती नहीं, खैर प्रभु दीदी को जल्द से जल्द स्वास्थ्य लाभ प्रदान करे। उधर डॉक्टर सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि “इलेक्टोरल बॉन्ड कांड एक आर्थिक अपराध है जिसने मोदी सहित पूरे बीजेपी को गड्ढे में डाल दिया है ! उन्होंने टोटी मिडिया के यूट्यूबर किसी अंजुम के चैनल पर इंटरव्यू में कहा है वे इलेक्टोरल बॉन्ड के मसले पर जनहित याचिका दायर करेंगे क्योंकि देश के  मतदाताओं ने जिस पार्टी और नेता  पर 2014 और 2019 में  विश्वास किया और बहुमत के साथ भारत के केंद्र सरकार की सत्ता दी और जो अपने को चौकीदार कहता था वही चौकीदार  चोर निकला। स्वामी ने कहा कि “यदि मोदी  ने इस्तफा नहीं दिया तो बीजेपी का सत्ता से बाहर जाना निश्चित है क्योंकि अमेरिका के निक्सन सरकार के वाटरगेट कांड से भी भयानक और बड़ी चोरी है इसलिए ऐसे व्यक्ति को सरकार में रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है!  उधर पश्चिम बंगाल ही नहीं पूरे पूर्वोत्तर भारत में वामदलों और कांग्रेस को अपने वजूद को बचाए रखने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।आधी सदी से ज्यादा समय तक देश की सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस और तीन दशक लंबे समय तक शासन की धुरी रहे वाम दल पश्चिम बंगाल में अप्रासंगिक हो चले हैं। बीते लोकसभा चुनाव में भी वामदलों को कोई सीट नहीं मिली थी, जबकि कांग्रेस महज दो सीटों ही जीत पाई थी। दोनों दलों का एक भी प्रतिनिधि विधानसभा में भी नहीं है!
खिसकते जनाधार और मतदाताओं पर ढीली होती पकड़ ने दोनों दलों को हाशिए पर ला दिया है। पश्चिम बंगाल ही नहीं पूरे पूर्वोत्तर भारत में वामदलों और कांग्रेस को अपने वजूद को बचाए रखने के लिए काफी मेहनत करने की आवश्यकता है।  स्थिति यह है कि कांग्रेस  और वामदलों के नेताओं  को दोबारा खड़े होने की राह भी नहीं सूझ रही। कांग्रेस के पतन के बाद पश्चिम बंगाल में कभी लाल सलाम के वाहक रहे वामदलों ने राज्य की सत्ता पर तीन दशक से ज्यादा समय तक स्वर्गीय ज्योति बसु और अन्य दिग्गज वामपंथी दलों ने  बंगाल की सत्ता में काबिज रही! ममता बनर्जी ने कांग्रेस पार्टी को छोड़ कर पश्चिम बंगाल में  अपनी क्षैत्रिय पार्टी तृणमूल कांग्रेस बना ली और कांग्रेस पार्टी से काफी नेता टीएमसी में शामिल हो गए । काफी संघर्ष के बाद ममता ने बंगाल। की  सत्ता में आ गई  और  शक्तिशाली नेता बन गई हैं। इसके बाद से राज्य के मतदाताओं पर वाम दलों की पकड़ लगातार कमजोर हो रही है। कांग्रेस के लिए भी खुद को प्रासंगिक बनाए रखना चुनौती से कम नहीं है। ऐसे में तृणमूल से नाराज मतदाताओं के लिए भाजपा विकल्प के रूप में सामने आई।  लोकसभा 2019 और विधानसभा 2021 के चुनावों में भाजपा ने राज्य की राजनीति में जिस तरह से खुद को स्थापित किया है, कांग्रेस और वामदलों की राह और दुरूह हो गई है।वर्तमान में दोनों दल जिस दौर से गुजर रहे हैं, उससे कहीं बेहतर स्थिति साल 2011 में थी। विधानसभा चुनाव 2011 में वाम दलों का मत प्रतिशत 37.9 फीसदी था, जो 5 साल में ही करीब 50 फीसदी गिर गया। वहीं कांग्रेस ने इसी चुनाव में 9.1 फीसदी वोट के साथ 42 सीटों पर जीत दर्ज की थी। बीते 13 सालों में ही कांग्रेस और वामदलों ने अपनी जमीन छोड़ दी है। एक ओर देशभर में ‘इंडिया’ गठबंधन को लेकर कांग्रेस जमीन-आसमान एक किए हुए है, पश्चिम बंगाल में पार्टी नेतृत्व गुब्बारे की हवा निकाल रहा है। पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष  अधीर रंजन चौधरी आए दिन ऐसे बयान देकर सुर्खियां बटोरते रहे  हैं, जो तृणमूल नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नागवार गुजरे। ऐसे में प्रदेश में दोनों दलों के बीच जिस समझौता का प्रयास हो रहे हैं, जो संभव नहीं हो पाता दिख रहा है। उपरोक्त वर्णित हालात में देशभर में ‘इंडिया’ गठबंधन पर दांव लगा रहा विपक्ष पश्चिम बंगाल में बिखर गया है। गठबंधन की गांठ ऐसी खुली है कि वामदल और कांग्रेस का तृणमूल के साथ कोई संयोग नहीं बैठ रहा। हालांकि तृणमूल और कांग्रेस के साथ आने की कोशिशें लगातार हो रही हैं वहीं ममता बनर्जी ने स्पष्ट किया है की टीएमसी किसी भी कीमत पर बामदालों को एक भी सीट लोक सभा में अपने उम्मीदवार को उतारने के लिए नहीं देगी । इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री और टीएमसी सुप्रीमो कल कार दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो कर कोलकाता के एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज करा रही हैं।टीएमसी के 42 सीटों पेट अपने उम्मीदवार घोषित कर देने के बाद बामदलों ने दो दिन पहले 16 लोक सभा सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए थे।

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