धर्माचार्यों के उपदेश पर नहीं होना चाहिए व्यर्थ का विवाद – आचार्य धीरज “याज्ञिक”

लखनऊ।  सामाजिक परिवेश पर यदि हमारे धर्माचार्यों ने कुछ बातें कहीं तो उसपर व्यर्थ का विवाद नहीं होना चाहिए। यदि प्रेमानंद महाराज एवं अनिरुद्धाचार्य ने वर्तमान के स्थिति पर जो बातें कहीं जिसमें की लड़के लड़कियां बिना विवाह के पति पत्नी की भांति रह रहे हैं तो उनको चरित्रवान तो नहीं ही कहा जा सकता। वर्तमान समय में उक्त बातें परिलक्षित भी हो रही हैं तो ऐसी स्थिति में इस सत्य बात को समाज को स्वीकार ही करना चाहिए न की विवाद करना चाहिए। क्योंकि उपदेश करना तथा समाज में व्याप्त कुरीतियों पर बोलना सन्तों और धर्माचार्यों का कर्तव्य है।
उक्त बातें लखनऊ के मिश्रपुर में एक धार्मिक गोष्ठी में श्रीबज्रांग आश्रम देवली प्रतापपुर प्रयागराज के संचालक एवं विहिप जिला गंगापार वेद एवं संस्कृत प्रमुख आचार्य धीरज “याज्ञिक” ने कही। इस अवसर पर संतोष तिवारी, आचार्य चंद्रभूषण तिवारी, जगदीश शुक्ल, कुसुम शुक्ला, धीरज तिवारी, खुशी शुक्ला, नीरज तिवारी, शुभम तिवारी, अवनीश शुक्ल, प्रमीला तिवारी, योगेश तिवारी, कोमल तिवारी, रेखा तिवारी आदि उपस्थित रहें।

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