हिंदुस्तान में त्योहारी सीजन है..लेकिन ये खबर आपको अलर्ट करने वाली है…क्यों कि आपकी खुशियों में मिलावट का जहर घोला जा रहा है..क्यों त्योहारों पर आपसे ज्यादा कोई और भी खुश है और वो हैं मिलावटखोर…आप मिठाई से अपना स्वाद बदलते हैं तो मिलावटखोर अपने आर्थिक हालात. इससे पहले की आप दिवाली की मिठाई खरीदने जाएं उससे पहले आपको मैं आंखें खोल देने वाली कुछ रिपोर्ट्स दिखाता हूं . मावे से लेकर मिठाई औऱ दूध से लेकर तेल और घी तक..हर चीज नकली तैयार हो रही है. ये मिलावट इतनी सफाई से की जा रही है कि असली औऱ नकली का फर्क करना मुश्किल है.
मिलावटखोरों के चांदी काटने का समय
डिमांड एंड सप्लाई का फायदा मैनेजमेंट गुरुओं को नहीं मिलावटखोर उठाते हैं. त्योहारी सीजन तो मिलावटखोरों के चांदी काटने का समय होता है. इस सीजन में. मिठाइयों से लेकर मावे तक में मिलावट की जाती है. क्या आपने कभी सोचा है कि मावा की कीमतें 200 रुपये से लेकर 500 रुपये तक क्यों होती हैं? दूध अगर वही है…मावा बनाने की विधि वही है. तो फिर कीमत में इतना अंतर क्यों.
दिवाली पर अपकी सेहत का दीवाला निकालने की तैयारी बहुत पहले से ही शुरू हो जाती है. पूरे देश में यही हाल है..हमारे पास लगभग हर राज्य और हर शहर से खबरें आई हैं. नकली मावे से मिठाई बनाने की खबरें तो आपने भी सुनी होंगी. लेकिन दीवारों पर लगने वाले पेंट से बनी मिठाई नहीं खाई होगी. ये मिठाई जो भी खाए, यकीन मानिएं उसकी अंतड़ियां भी रंगीन हो जाएंगी. सीधा जहर खिलाया जा रहा है. अब सवाल ये है कि सेहत के लिए डेडली हो चुकी इन मिठाइयों, मावे और पनीर जैसी चीजों की पहचान कैसे की जाए. तो घबराइए नहीं, हमने इसका लाइव टेस्ट भी लिया है.
अगर आपको कोई मिठाई ज्यादा रंगीन दिख रही है तो सावधान हो जाइए. ज्यादा रंगीन यानी ज्यादा रंगों का इस्तेमाल, मतलब है खतरा. तो इस तरह से आप खुद भी अपने घरेलू लैब में मावा टेस्टिंग कर सकते हैं, और अपनों की सेहत बचा सकते हैं.