राजेंद्र केसरवानी
कानपुर। गोविंद नगर स्थित इंद्रप्रस्थ अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों का गुस्सा और दर्द उस समय छलक पड़ा, जब अतिक्रमण की वजह से एक मां की जिंदगी असमय छिन गई। यह दिल दहला देने वाली घटना उस समय घटी, जब अपार्टमेंट की रहने वाली बबीता रानी की मां की अचानक तबीयत बिगड़ गई। समय रहते एम्बुलेंस तो बुला ली गई, लेकिन अतिक्रमण के कारण वह अपार्टमेंट के दरवाजे तक नहीं पहुंच सकी। मिनटों की देरी ने एक मां को अपनी बेटी से हमेशा के लिए छीन लिया।
इलाज के अभाव में बबीता की मां ने दम तोड़ दिया, और इस ह्रदयविदारक घटना ने पूरे अपार्टमेंट को शोक और आक्रोश में डुबो दिया। इंद्रप्रस्थ अपार्टमेंट के रहवासियों का कहना है कि अतिक्रमण की समस्या ने उनकी जिंदगी को मुश्किल में डाल रखा है।अवैध कब्जे की वजह से न तो एम्बुलेंस समय पर पहुंच पाती है, न ही कोई अन्य आपातकालीन सेवा हर दिन डर के साये में जी रहे निवासियों का दर्द अब हद पार कर चुका है। उदय कुमार सिंह, दिनेश सक्सेना, अमित गुप्ता, बबीता साहनी, रविंद्र त्रिपाठी, अमिता रानी, नरेश असनानी जैसे कई रहवासियों ने इस त्रासदी के बाद नगर निगम की मेयर प्रमिला पांडे और डीसीपी से गुहार लगाई है। आंसुओं और गुस्से के बीच उन्होंने अतिक्रमण हटाने की मांग की है, ताकि भविष्य में कोई और परिवार ऐसी त्रासदी न झेले।
बबीता रानी का दुख शब्दों में बयां करना मुश्किल है। अपनी मां को खोने का गम और प्रशासन की उदासीनता ने उनके दिल में गहरे घाव छोड़े हैं। अपार्टमेंट के अन्य निवासियों का कहना है कि यह सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं, बल्कि अपार्टमेंट मे रहने वाले हर उस इंसान की पुकार है, जो इस अपार्टमेंट में रहता है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन अब भी चुप्पी साधेगा? क्या नगर निगम और पुलिस इस समस्या का समाधान करेंगे, या फिर एक और मासूम जिंदगी को अतिक्रमण की भेंट चढ़ने देगें? अब देखना यह है कि इंद्रप्रस्थ अपार्टमेंट के निवासियों की यह पुकार कब सुनी जाएगी, और कब उन्हें इस दर्द से निजात मिलेगी ?