
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव के पहले चरण का चुनाव प्रचार मंगलवार की शाम थम गया। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दलों ने शहरों में अपनी ताकत दिखाकर चुनाव को अपने पक्ष में करने की कोशिश की और एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए। उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले इस माह दो चरणों में होने वाले नगर निकाय चुनावों को शहरी मतदाताओं के बीच राजनीतिक दलों के असर के आकलन की कसौटी माना जा रहा है।
पहले चरण में नगर निगमों के 10 महापौर और 820 पार्षदों, 103 नगर पालिका परिषद अध्यक्षों, 2,740 नगर पालिका परिषद सभासदों, 275 नगर पंचायत अध्यक्षों और 3,645 नगर पंचायत सदस्यों समेत कुल 7,593 पदों के लिए 44 हजार से अधिक उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं। आयोग के बयान के अनुसार नगर निगमों के 10 पार्षदों समेत कुल 85 प्रतिनिधि पहले ही निर्विरोध चुने जा चुके हैं। पहले चरण के मतदाताओं को साधने के लिए राजनीतिक दलों ने जमकर प्रचार किये। खासतौर से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवारों के पक्ष में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक तथा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी समेत सरकार के मंत्री और संगठन के पदाधिकारियों ने चुनाव क्षेत्रों में रैलियों और जनसभाओं के जरिये व्यापक प्रचार किया।
वहीं राज्य की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत पार्टी के नेताओं ने भी चुनाव क्षेत्रों का दौरा किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सहारनपुर से चुनाव प्रचार की शुरुआत की और प्रचार तेज होने पर24 अप्रैल की सीतापुर की सभा में उन्होंने नगर निकाय चुनाव को देवासुर (देवताओं और राक्षसों के बीच लड़ाई) संग्राम करार देते हुए पूर्ववर्ती सरकारों की कथित माफिया संस्कृति पर हमला बोला। प्रचार के अंतिम दिन प्रयागराज में एक चुनावी सभा में बिना किसी का नाम लिए आदित्यनाथ ने कहा कि प्रकृति न तो किसी पर अत्याचार करती है और न ही किसी का अत्याचार स्वीकार करती है और सबका हिसाब बराबर रखती है।
आदित्यनाथ यहां प्रयागराज पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे, जिसका गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद ने पांच बार प्रतिनिधित्व किया था, जिसे हाल ही में मार दिया गया था। इस चरण के चुनाव प्रचार में सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी अपनी पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने लखनऊ में मेट्रो ट्रेन की यात्रा कर अनोखे ढंग से प्रचार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने शहरों को कूड़ा बना दिया। बसपा प्रमुख मायावती खुद तो निकाय चुनाव प्रचार करने के लिए नहीं निकलीं, लेकिन सोशल मीडिया के जरिये अपने उम्मीदवारों के पक्ष में अपील की। उन्होंने भाजपा, सपा और कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया। इस चुनाव में कांग्रेस संगठन के प्रदेश पदाधिकारियों ने अपनी ताकत लगायी।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल और संगठन के प्रदेश पदाधिकारियों ने चुनाव प्रचार किया। उधर, समाजवादी पार्टी (सपा) गठबंधन में साझीदार राष्ट्रीय लोकदल ने पश्चिमी उप्र में अपनी सक्रियता बनाये रखी। सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस), निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद) ने भी अपने उम्मीदवार और भाजपा उम्मीदवारों को चुनाव जिताने के लिए प्रचार किया। चुनाव के लिए सुरक्षा व्यवस्था के बारे में विस्तार से बताते हुए विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव के पहले चरण के लिए 19,880 निरीक्षक-उपनिरीक्षक, 101477 मुख्य आरक्षी-आरक्षी, 47985 होमगार्ड, पीएसी की 86 कंपनियां, सीएपीएफ की 35 कंपनियां और 7,500 प्रशिक्षण ले रहे उप निरीक्षक तैनात किए जाएंगे।