शिरडी वाले साईं बाबा के भक्त देश के कोने-कोने में हैं. महाराष्ट्र के शिरडी में उनका बड़ा मंदिर है, जहां रोज बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. देश के कई हिंदू मंदिरों में भी साईं बाबा की मूर्तियां विराजमान हैं. लेकिन अब इस पर विवाद छिड़ गया है. दरअसल, वाराणसी के कई हिंदू मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटाई जा रही हैं. सनातन रक्षक दल मंदिरों से मूर्ति हटा रहा है. साईं बाबा की मूर्ति पर कपड़ा लपेटकर हटाया जा रहा है. पहले भी शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने साईं पूजा का विरोध किया था. उनका तर्क था कि साईं बाबा की महात्मा के रूप में पूजा की जा सकती है लेकिन परमात्मा के रूप में नहीं. इसके अलावा साईं बाबा के हिंदू या मुस्लिम होने पर भी हमेशा विवाद रहा है. जानिए साईं बाबा से जुड़ी अहम बातें.
साईं बाबा का जीवन
साईं बाबा का जन्म : साईं बाबा का जन्म कहां हुआ था, उनके माता-पिता कौन थे ये कोई नहीं जानता है. क्योंकि साईं बाबा ने कभी इसकी जानकारी ही नहीं दी. केवल एक बार भक्त के इसरार करने पर उन्होंने बताया था कि उनका जन्म 28 सितंबर 1836 को हुआ था. इसलिए हर साल 28 सितंबर को उनके अनुयायी साईं बाबा का जन्मोत्सव मनाते हैं.
साईं बाबा का असली नाम : साईं बाबा के असली नाम को लेकर भी काफी दुविधा है. कहीं उनका नाम चांद मियां बताया जाता है तो कुछ लोग उन्हें हिंदू मानते थे.
साईं बाबा का धर्म : साईं बाबा ने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा एक पुरानी मस्जिद में बिताया जिसे वह द्वारका माई कहा करते थे. साथ ही साईं बाबा की वेशभूषा ऐसी थी कि लोग उन्हें मुस्लिम मानते थे. वहीं द्वारिका के प्रति प्रेम और श्रद्धा के कारण कुछ लोग उन्हें हिंदू मानते हैं. हालांकि साईं बाबा ने जात-पांत, धर्म से इतर जाकर सभी की सेवा की.
साईं बाबा किस भगवान का अवतार : एक ओर साईं बाबा को एक फकीर माना जाता है. जो ज्यादातर समय समाधि में लीन रहते थे और मांगकर अपना पेट भरते थे. लेकिन समय गुजरने के साथ जब उन्होंने अपने चमत्कार दिखाए तो लोगों को महसूस हुआ कि वे भगवान का अंश हैं. इसलिए साईं बाबा को कुछ लोग भगवान दत्तादत्तात्रेय तो कुछ लोग भगवान शिव का अवतार भी मानते हैं. इसके अलावा भी साईं बाबा को कई अन्य भगवानों का अवतार माना गया.
मंदिर में क्यों नहीं पूजे जा सकते साईं बाबा?
ताजा विवाद को लेकर बात करें तो सनातन रक्षक दल का कहना है कि शास्त्रों के मुताबिक, किसी भी देवालय या मंदिर में मृत मनुष्यों की मूर्ति स्थापित करके पूजा करना वर्जित है. हिंदू धर्म के मंदिरों में केवल पंच देवों- सूर्य, विष्णु, शिव, शक्ति और गणपति के स्वरूपों की मूर्तियां की जा सकती हैं और पूजी जा सकती हैं.