
पंकज कुमार मिश्रा, मिडिया विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी
राम आएंगे का लोकप्रिय गीत आजकल सबके जुबान पर चढ़ा हुआ है । हर तरफ अयोध्या के सजने सवरने को लेकर चर्चा है। घर घर स्थानीय कार्यकर्ता अक्षत चावल लेकर लोगो से आगामी अयोध्या उत्सव में शामिल होने की गुहार लगा रहें। बहुप्रतिक्षित राम मंदिर निर्माण और भगवान राम प्रभु के उनके महल में आगमन को लेकर देश में अजीब सा माहौल बनाया जा रहा किन्तु साधु संतो में इसे लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है। संतो का मानना है कि भगवान राम का उनके महल में प्राण प्रतिष्ठा किसी वेदपाठी ब्राह्मण यजमान के हाथों हो जो कि तर्कसंगत और विचारणीय भी है। साधु संतो ने बातो बातो में यह तक कह दिया कि प्रभु श्री राम को राजनीति में घसीटा जा रहा जो राम मंदिर के उत्साह को सियासी रंग देगा, ऐसे में कई नामी गिरामी साधु संतो ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अयोध्या ना जाने का फैसला लिया है। पूरे भारत के कई संत और मठाधीश राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में ना शामिल होने का निर्णय लिया है। लोग अयोध्या पहुंच रहे हैं, लेकिन जगन्नाथपुरी मठ के शंकराचार्य ने अयोध्या जाने से मना कर दिया है। उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए ये भी आरोप लगाया कि ‘राम मंदिर पर राजनीति हो रही है, धर्म स्थलों को पर्यटन स्थल बनाया जा रहा है। शंकराचार्य बोले कि अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों से चल तो रही हैं किन्तु यह भक्तों के लिए नहीं राजनीतिक लाभ के लिए आयोजित है। कुछ संतो का मानना है कि भव्य समारोह रखा तो गया है किन्तु यह उपर्युक्त समय और मुहूर्त को अनदेखा करके राजनीतिक और चुनावी लाभ के लिए रखा गया है। उधर यूपी सरकार और उसका प्रशासन पूरे दम-ख़म से इसकी तैयारियों में जुटे हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से प्रधानमंत्री मोदी को प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में मुख्य यजमान के तौर पर आमंत्रित किया गया है। आम तौर पर मुख्य यजमान ही प्राण-प्रतिष्ठा करते हैं। यानी पूजा-अर्चना के साथ गर्भ गृह में मूर्ति को विराजमान करवाते हैं जिसे लेकर साधु संतो ने घोर आपत्ति जताई है। उनका मानना है कि वेदो और शास्त्रों में तपश्वी विप्र और वेदपाठी को ही यह अधिकार दिया गया है कि वह प्राण प्रतिष्ठा हेतु सार्वजनिक अनुष्ठान करें और मुख्य यजमान के रूप में संकल्प ले।
ओडिशा के जगन्नाथपुरी मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, ‘हिंदू जागरण सम्मेलन’ को संबोधित करने आए। इसी दौरान उनसे पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वह 22 जनवरी 2024 को होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अयोध्या नहीं जाएंगे क्योंकि यह एक पार्टी विशेष के लोक सभा के चुनाव में फायदा लेने के उद्द्येशय से रामनवमी से पहले किया जा रहा है इसलिए मैं इस कार्यक्रम में भाग लेने नहीं जा रहा हूं ! स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि प्रधान मोदी लोकार्पण करेंगे, मूर्ति का स्पर्श करेंगे तो मैं वहां तालियां बजाकर जय-जयकार करूंगा क्या ? क्या मेरे पद की यही मर्यादा है ! राम मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों के अनुसार होनी चाहिए, ऐसे आयोजन में मैं क्यों जाऊं ? पत्रकारों ने उनसे राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से मिले निमंत्रण के बारे में पूछा तो इस पर शंकराचार्य ने कहा कि मुझे जो आमंत्रण मिला है उसमें लिखा है कि शंकराचार्य आना चाहें तो अपने साथ एक और व्यक्ति के साथ आ सकते हैं।इसके अलावा हमसे किसी तरह का अब तक संपर्क नहीं किया गया है, वो सौ व्यक्तियों के लिए कहते तो भी नहीं जाता। शंकराचार्य ने कहा कि ‘राम मंदिर पर जिस तरह की राजनीति हो रही है, वह नहीं होनी चाहिए। इस समय राजनीति में कुछ सही नहीं है। उन्होंने धर्म स्थलों पर बनाए जा रहे कॉरिडोर की भी आलोचना की।’धर्म स्थलों को पर्यटन स्थल बनाया जा रहा है। स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने ये भी कहा कि ‘आज सभी प्रमुख धर्म स्थलों को पर्यटन स्थल बनाया जा रहा है. इस तरह इन्हें भोग-विलासता की चीजों से जोड़ा जा रहा है, जो ठीक नहीं है।उन्होंने कहा कि दुनिया में चाहे जिस भी धर्म के लोग हों, उन सभी के पूर्वज हिंदू थे। भगवद्कृपा से गैर हिंदू देशों में भी मेरे संदेश का प्रसारण होता है।उल्लेखनीय है कि निश्चलानंद सरस्वती पुरी के श्रीगोवर्धन पीठ के 145वें जगद्गुरु शंकराचार्य हैं. उनका जन्म 1943 में बिहार के मधुबनी जिले ,बिहार में हुआ था। वह दरभंगा के महाराजा के राज-पंडित के पुत्र हैं और मैथिल ब्राह्मण परिवार में जन्म लिए और उन्हें धर्म आचरण का ज्ञान है।