ऐ बाबू ! ध्यान रखिएगा, जनता ठेकों में परसेंट का गेम समझ गई है! बटन दबाकर ज़वाब ज़रूर देगी!

संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में करीब-करीब हर वर्ष अनेक प्रकार के चुनावों का उत्सव पर्व छाया ही रहता है। कहीं राज्यों, निकायों, पंचायतों तो कहीं हर समाज में सामाजिक पंचायत, संगठनों में पदाधिकारीयों का चुनाव भी लोकतांत्रिक नियमों विननियमों की तर्ज पर होना शुरू हो गया है। परंतु पिछले कुछ वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के तेजी से होते विस्तार के कारण प्रतिदिन सहित प्रति घंटे प्रति मिनट में होने वाली गतिविधियों का डेवलपमेंट हमारी नजरों के सामने होता है चाहे वह टीवी चैनलों या फिर सोशल मीडिया के कारण हो जिसका हमें आभास हो ही जाता है कि फैलाने राज्य में चुनाव की आहट शुरू हो चुकी है। जैसे अभी राजस्थान छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में जिस तरह की राजनीतिक हलचल, रेवड़ियां बांटना, ताबड़तोड़ दौरे, बड़े-बड़े नेताओं का हरकत में आना, बयान बाजी, बिजली बिल आधे, बच्चों के लिए सुविधाएं, बच्चियों के लिएअन्य घोषणाएं सहित ठेकों में भ्रष्टाचारी कमीशन की बातें की जाती है तो समझो उस राज्य में इलेक्शन तारीखों की घोषणा जल्द सुनने को मिलेगी। हाल ही में तीन दिन पहले एक राज्य में तथाकथित ठेकेदारों के एक संगठन द्वारा कथित तौर पर 50 परसेंट कमीशन देने पर ही उनके ठेके के भुगतान की राशि जारी होती है ऐसा आरोप वहां की हाईकोर्ट को लिखी एक चिट्ठी में लगाया गया है, जिसका उल्लेख एक कार्यक्रम में सीएम ने भी वह पत्र दिखाकर किया और कहा के पत्र में लिखने वाले का नाम और पते से जांच की तो यह फर्जी निकला है यह बयान मैंने स्वयं टीवी चैनल पर सीएम के मुख् से सुना और फिर मेरे इस बारे में मीडिया में रिसर्च करने पर पता चला कि इस पत्र को मीडिया में लेकर जाने वाले एक सबसे बड़ी पुरानी पार्टी के अनेक लोगों के खिलाफ 41 जिलों में एफआईआर दर्ज कराई गई है जिसके कारण सियासी धमाका धामासान मचा हुआ है। चूंकि उस पार्टी के कुछ माह पूर्व एक राज्य में 40 परसेंट मुद्दे को भुनाकर भारी जीत हासिल होकर सरकार बनी, अब इस राज्य में 50 परसेंट मुद्दे को लपक लिया है, जिसकी काट अब उस राज्य सरकार को ढूंढने जरूरी हो गई है। दूसरी ओर युवा नेत्री ने भी वहां कुछ समय पूर्व एक संबोधन में पांच चुनावी वादों में से एक पेंशन बहाली का वादा किया है, इसपर भी सत्ताधारी पार्टी को जूझना पड़ सकता है। चूंकि 50 परसेंट वाला मुद्दा जोर पकड़ रहा है इसलिए आज हम मीडिय में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, ठेकों में भ्रष्टाचारी कमिशन, एक राज्य में 40 परसेंट पर जीत दिलाया, अब 50 परसेंट का मुद्दा लपकाया।
साथियों बात अगर हम एक राज्य में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले 50 पर्सेंट कमीशन चिट्ठी के सियासी हलचल की करें तो, विधानसभा चुनाव से पहले एक कथित चिट्ठी ने एक राज्य की सियासत में हलचल मचा दी। इस कथित पत्र को लेकर सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियां आमने सामने हो गए हैं। विपक्षी पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव ने मामले में ट्वीट से प्रदेश की सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इसमें ठेकेदारों के एक संगठन द्वारा कथित तौर पर 50 परसेंट कमीशन देने पर भुगतान देने मिलने का आरोप लगाया है, जो जबलपुर हाईकोर्ट को लिखी गई थी। विपक्षी पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि, राज्य में 50 प्रतिशत कमीशन खोरी की सरकार काम कर रही है। हमने इसके खिलाफ आवाज उठाई। इसे लेकर उन्होंने मेरे, पार्टी नेत्री, पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। पहले हम गोरों से लड़े थे अब हम इनके खिलाफ लड़ना जारी रखेंगे।’प्रदेश विपक्षी पार्टी  के एक नेता ने एक प्रसिद्ध इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से चर्चा में कहा कि प्रदेश सरकार अगर गिरफ्तारी की कार्रवाई नहीं करती है तो हमारी नेत्री समेत अन्य नेताओं को खुद से होकर भोपाल के थाने में गिरफ्तारी के लिए पहुंच जाना चाहिए। इसी तर्ज पर हर जिले में विपक्ष के नेताओं को युवा नेत्री की तर्ज पर गिरफ्तारी देना चाहिए। इससे प्रदेश में पार्टी के समर्थन में एक माहौल तैयार होगा इसका सीधा फायदा पार्टी को चुनाव में नजर आएगा।
साथियों बात अगर हम अंदाजी 41 जिलों में एफआईआर दर्ज होने की करें तो, इधर, सत्ताधारी पार्टी ने युवा नेत्री के आरोपों को झूठा बताते हुए, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। विपक्षी पार्टी का दावा है कि प्रदेश के युवा नेत्री समेत अन्य नेताओं पर 41 जिलों में ये एफआईआर दर्ज हुई हैं। युवा नेत्री, प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व केंद्रीय मंत्री और बड़े नेता समेत अन्य नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद पार्टी आक्रमक मोड में आ गई है। भोपाल में क्राइम ब्रांच के डीसीपी ने कहा कि, ये एफआईआर आईपीसी की धारा 469, 500 और 501 के तहत दर्ज की गई। इसमें पत्र लिखने वाले ज्ञानेंद्र अवस्थी नाम के शख्स की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है कि ये शख्स मौजूद है या फर्जी है। उनके अलावा, विपक्ष नेत्री, अन्य नेताओं का भी नाम लिया गया है, जिनके ट्विटर हैंडल से खबरें चलीं। ये सभी धाराएं जमानती हैं लेकिन उन्हें (विपक्षी पार्टी नेता और ज्ञानेंद्र अवस्थी) नोटिस दिया जाएगा और पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। हर स्तर पर जांच कराई जाएगी। उनसे पूछा जाएगा कि उन्होंने शेयर करने से पहले प्रामाणिकता की जांच क्यों नहीं की। गौरतलब है कि, मध्यप्रदेश में ज्ञानेंद्र अवस्थी नाम के व्यक्ति के नाम से एक पत्र वायरल हुआ, जिसमें 50 प्रतिशत कमीशन मांगने का जिक्र किया गया। कुछ सोशल मीडिया हैंडल्स ने इस लेटर को वायरल कर दिया है।
साथियों बात अगर हम इस सियासी संग्राम के प्रभाव की करें तो, एक प्रसिद्ध इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से से चर्चा करते हुए राज्य के वरिष्ठ पत्रकार कहते है कि, अगर युवा नेत्री की गिरफ्तारी होती है तो सारे कार्यकर्ता उनके साथ सड़कों पर जा जाएंगे। इससे सीधा फायदा विपक्षी पार्टी को होगा। प्रदेश में फिर से विपक्षी पार्टी के पक्ष में माहौल नजर आएगा। लेकिन एफआईआर मामले में सत्ताधारी पक्ष विपक्षी पार्टी से आगे नजर रही है। क्योंकि जैसे ही यह पत्र वायरल हुआ वैसे ही सत्ताधारी पार्टी  के छोटे से लेकर सभी बड़े नेता विपक्षी पार्टी के नेताओं पर हावी हो गए। एक दिन में इस पत्र को फर्जी बताकर इसकी हवा निकले में जुट गए। सत्ताधारी पार्टी को इसका फायदा जब तब है तब तक युवा नेत्री यहां आकर गिरफ्तारी नहीं देती या ठेकेदार संघ का अध्यक्ष आगे आकर कोई बयान नहीं देता। अगर ठेकेदार संघ का अध्यक्ष सामने आकर इस पत्र की पुष्टि करता है तो फिर यह पत्र सत्ताधारी पार्टी के लिए मुसीबत बन जाएगा जो केंद्र से लेकर राज्य स्तर पर स्थिति की गंभीरता को सोचने वाली बात होगी।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि ठेकों में भ्रष्टाचारी कमीशन – एक राज्य में 40 परसेंट पर जीत दिलाया – अब 50 पर्सेंट का मुद्दा लपकाया। ऐ बाबू ! ध्यान रखिएगा, जनता ठेकों में परसेंट का गेम समझ गई है! बटन दबाकर ज़वाब ज़रूर देगी! एक राज्य में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले कथित 50 परसेंट कमीशन चिट्ठी ने सियासत में  हलचल मचाई – जनता जाननां चाहेगी सच्चाई।

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