
पशु क्रूरता अधिनियम के तहत सरकार ने जानवरों के साथ होने वाले अत्याचार को रोकने की कोशिश की हैं। काफी हद तक इससे फायदा भी हुआ है लेकिन कुछ लोग अभी भी इस चीज से अंजान हैं। बदायूं में एक दिल दहला देने वाला वीडियो नवंबर में सामने आया था। इसमें एक युवक ने चूहे को नाले में डूबो कर मार दिया था। इस दौरान एक समाजसेवी ने आरोपी युवक की वीडियो बना ली थी। इस मामले में पुलिस ने पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया था। चूहा मारने के आरोप में यूपी पुलिस ने बदायूं के शख्स के खिलाफ 30 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गयी।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, मीडिया में जारी वीडियो, संबंधित विभागों के विशेषज्ञों की राय सहित 30 पन्नों की चार्जशीट तैयार की गई है। जांच अधिकारी राजेश यादव ने चार्जशीट में जुटाए गए सबूतों के आधार पर लिखा है कि मनोज कुमार सीओ ने कहा, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 11 (1) (पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम) और धारा 429 (जानवरों को मारना या मारना) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस ने चूहे के शव को पोस्टमार्टम के लिए बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) भेज दिया। चार्जशीट में ये साफ किया गया है कि चूहे के फेफड़े सूजन की वजह से डैमेज हुए थे और लिवर में इंफेक्शन था। इसके अलावा सूक्ष्म जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि चूहे की मौत दम घुटने से हुई है। मामले में आरोपी को गिरफ्तार किया गया था लेकिन बाद में एक स्थानीय अदालत ने उसे अग्रिम जमानत दे दी थी।
बदायूं के प्रमंडलीय वनाधिकारी (डीएफओ) अशोक कुमार सिंह ने बताया कि वन विभाग अधिनियम के तहत चूहे को मारना अपराध नहीं माना गया है। डीएफओ ने कहा, “चूंकि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, इसलिए कार्रवाई की जानी थी।”
कानूनी जानकारों के मुताबिक पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में 10 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक का जुर्माना और तीन साल की कैद का प्रावधान है। धारा 429 के तहत पांच साल की कैद और जुर्माना दोनों का प्रावधान है। इस बीच मनोज के पिता मथुरा प्रसाद ने कहा, “चूहे या कौवे को मारना गलत नहीं है। ये हानिकारक प्राणी हैं। अगर हमारे बेटे को ऐसे मामले में सजा मिलती है तो उन सभी के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए जो मुर्गे, बकरी और अन्य को मारते हैं। चूहों को मारने की दवा बेचने वालों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।’
मनोज कुमार के खिलाफ मामला दर्ज कराने वाले विकेन्द्र शर्मा ने कहा कि चूहे को मारने के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी लेकिन जिस तरह से चूहे को क्रूरता से मारा गया। शर्मा ने कहा जानवरों का वध करने से पहले उनकी नसें काटकर उन्हें मारा जाता है। जानवर अपनी चेतना और चलने की क्षमता खोने लगता है और बाद में उसकी मृत्यु हो जाती है। उसके बाद शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए जाते हैं। इसके लिए एक अलग कानून है। यह प्रक्रिया और इसकी लाइसेंसिंग प्रक्रिया। हम लंबे समय से जानवरों के अधिकारों की रक्षा करने में लगे हुए हैं। जब पशु क्रूरता निवारण अधिनियम बनाया गया है, तो इसका पालन भी किया जाना चाहिए।