
वैज्ञानिक प्रगति और चिकित्सा सफलताओं के युग में, कुछ व्यक्ति अभी भी खुद को अंधविश्वास के चंगुल में फंसा हुआ पाते हैं. जमुई सदर अस्पताल में एक अजीबोगरीब घटना सामने आई, जहां इमरजेंसी वार्ड के ठीक बाहर एक अप्रत्याशित घटना सामने आई. एक कार रुकी, जिसने तमाशबीनों का ध्यान खींचा. आधुनिकता के बीच सदियों पुरानी मान्यताओं के स्थायी प्रभाव को उजागर करते हुए सामने जो देखने को मिला, उसने कई को चकित कर दिया. रिपोर्ट के अनुसार, दिघी गांव निवासी सुनीता देवी को कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं थीं, जिसके कारण वह बार-बार बेहोश हो जाती थी.
वीडियो को किसी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है जो अब वायरल हो रहा है. अस्पताल के प्रबंधक रमेश पांडेय ने इस घटना पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि अस्पताल जैसी जगह पर इस तरह की प्रथाओं को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए, बल्कि लोगों को ऐसी प्रथाओं में सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों का पालन करना चाहिए जिससे लोगों को जिंदगियां बचाने में मदद मिलेगी.
ऐसी अंधविश्वासी प्रथाएं अक्सर भारत में देखने को मिल जाती है. एक राज्य के रूप में महाराष्ट्र ने ‘अंधविश्वास विरोधी और काला जादू अधिनियम’ को अपनाया है, जिसे 2003 में अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर द्वारा तैयार किया गया था. कानून काला जादू, मनुष्यों के बलिदान, जादू के उपयोग में शामिल होने को अवैध बनाता है.