
कानपुर, संविधान बदलने की बात सुनकर भारत दलित पैंथर उत्तर प्रदेश ने सभी संगठनों के साथ एकत्र होकर जमकर जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन कर महामहिम राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश, देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, राजपाल एवं मुख्यमंत्री को जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन सौंपा! ज्ञापन के दौरान पैंथर धनीराम बौद्ध अध्यक्ष भारत दलित पैंथर ने की देश व प्रदेश में डबल इंजन की कही जाने वाली सरकार में कानून व्यवस्था पूर्णता ध्वस्त नजर आ रही है भारत के संविधान की शुरुआत प्रस्तावना से होती है और इस प्रस्ताव की शुरुआत हम भारत के लोग वी द पीपल ऑफ इंडिया से होती है भारतीय संविधान के मुताबिक हमारे देश में सर्वोपरि अगर पूरी है तो यहां के नागरिक हैं यहां के लोग हैं संविधान की शुरुआत इसी भावना के साथ होती है आजादी के 76 साल बीत जाने के उपरांत आज भी समाज में गरीब मजलूम आशा है वह छोटी जातियों के लोगों को द्वेष भावना की नजर से देखा जाता है जहां बार-बार संविधान बदल कर नया संविधान लागू करने की बात की जाती है सही मायने में संविधान की नीतियों का पालन किया जाए तो संविधान बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है! अभी हाल ही में 15 अगस्त 2023 को मा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने एक आलेख लिखा कि “देयर इज ए केस फॉर वी द पीपल टू इंब्रेस अ न्यू कॉन्स्ट्यूिशन” बिबेक देवरॉय ने अपने आलेख में संविधान की जरूरत को लेकर जिन बिन्दुओं या पहलुओं पर सवाल उठाया है उनमें सबसे प्रमुख है लम्बा वक्त का बीत जाना बिबेक देवरॉय ने अपने तर्क में बताया कि लिखित संविधान का जीवनकाल सिर्फ 17 साल का होता है। बिबेक देवरॉय की मंशा साफ जाहिर है कि संविधान को बदला जाना चाहिए। भारतीय संविधान में समय के साथ अनेक संशोधन हुए है। ऐसे में नये संविधान की क्या आवश्यकता है। अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के सफीक सिद्दीकी ने कहा कि यह स्पष्ट है कि भाजपा और संघ एक ही विचारधारा के हैं और समय तथा साधन हेतु भी यह संविधान बदल देंगे!(मौ० अब्दुल कुद्दूस हादी) शहर-ए-काजी
(इं० कोमल सिंह) प्रदेश अध्यक्ष बामसेफ
एड0 राम बहल विद्यार्थी,नवीन गौतम,बहुजन अधिवक्ता मंच,बलवीर गौतम) अध्यक्ष,डॉ० अम्बेडकर स्वस्थ एवं शिक्षा समिति,(सरदार हरविन्दर सिंह लार्ड,गुरू ,पास्टर जीतेन्द्र सिंह,अध्यक्ष हरीश चन्द्र ,साजिद सर, सियाराम पाल, सफीक सिद्दीकी, बबली गौतम, जीतू कैथल आदि लोग मौजूद रहे!