
मोदी सरनेम को लेकर विवादित बयान के मामले में सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई, इसके बाद से राहुल गांधी की संसद की सदस्यता खतरे में पड़ गई है. आइए जानते हैं कि इसको लेकर क्या नियम है? जनप्रतिनिधत्व कानून के सेक्शन 8 के सब सेक्शन 3 के तहत कोई भी जनप्रतिनिधि दो साल या दो साल से अधिक की सजा होने पर फैसले वाले दिन ही सदस्यता के लिए अयोग्य करार हो जाएगा. और वो जेल से रिहा होने के बाद वो 6 साल तक अयोग्य ही रहेगा यानी चुनाव नहीं लड़ पाएगा. इसका सब्सकेशन 4 दोषी को समय देता है कि वो इस फैसले के खिलाफ अपील दायर करे और अपनी इसी अपील पेंडिंग रहने का हवाला देकर जनप्रतिनिधि अपनी सदस्यता बचा ले जाते थे.
लेकिन साल 2013 के लिली थॉमस बनाम केंद्र सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस सब सेक्शन 4 को ही रद्द कर दिया. इसका मतलब ये हुआ कि फैसला आने के वक्त ही MP/MLA अयोग्य करार हो जाएगा, सम्बंधित सचिवालय (लोकसभा/विधानसभा) अधिकारिक सूचना मिलने पर उस सीट को रिक्त घोषित कर देंगे. अब सिर्फ कानून का सब सेक्शन 3 ही बरकरार है.
निचली अदालत से राहुल गांधी की सजा पर रोक लगी है, लेकिन सदस्यता बचाने के लिए उन्हें दोष सिद्ध (Conviction) पर भी रोक हासिल करनी होगी. अगर आज के आदेश में कोर्ट सिर्फ सजा पर ही रोक लगाती है तो फिर स्पीकर राहुल गांधी की अपील पर सेशन कोर्ट के रुख का इतंजार करने के लिए बाध्य नहीं है. वो जब चाहे फैसला ले सकते हैं.
ऐसे में राहुल गांधी की कोशिश रहेगी कि लोकसभा स्पीकर की ओर से सीट रिक्त को घोषणा से पहले हो ही वो दोष सिद्ध (Conviction) के फैसले पर भी सेशन कोर्ट से रोक हासिल कर लें ताकि उनकी संसद सदस्यता बची रहे.