
आंखों में जब इंफेक्शन होता है तो इसे कंजंक्टिवाइटिस कहते हैं। आम भाषा में समझने के लिए इसे आई फ्लू भी कहा जा सकता है। आई फ्लू का खतरा सबसे अधिक बदलते मौसम के दौरान होता है। बारिश के मौसम में जहां आमतौर पर ही इंफेक्शन वाली बीमारियों का खतरा बढ़ने लगता है वहीं इस दौरान आई फ्लू का खतरा भी अधिक हो जाता है।
ये हैं लक्षण
आई फ्लू में इंफेक्शन होने वाले व्यक्ति की आंखें लाल हो जाती है। इस दौरान आंखों से पानी निकलता है। आंखों में काफी सूजन भी होती है। ऐसे आंखों से गंदगी निकलती है। इन सभी कारणों की वजह से आंखों से साफ दिखाई नहीं देता है।
ऐसे फैलता है संक्रमण
इस बीमारी में संक्रमण संपर्क में आने से होता है। यानी किसी आईफ्लू पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद ही संक्रमण शिकार बना सकता है। संक्रमण तब भी हो सकता है जब संक्रमित व्यक्ति खास देता है या छिंक देता है। ऐसे में इस बीमारी से बचाव का सबसे बेहतर उपाय है कि एहतियात बरती जाए। संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाकर रखें और स्वच्छता बनाए रखें। आमतौर पर आई फ्लू को ठीक होने में पांच से 10 दिन लगते है।
इन उपायों से होता है बचाव
– इस बीमारी से बचने का मुख्य उपाय है कि समय समय पर हाथों को साफ किया जाए। हाथ धोते रहने से गंदे हाथ आंखों पर नहीं पड़ते है। इससे संक्रमण होने से बचाव होता है।
– आंखों को बार बार छूने से बचें। आंखों पर जब बार बार हाथ नहीं पड़ेगा तो आंखों में इंफेक्शन होने का खतरा भी कम रहेगा।
– इस बीमारी से बचने के लिए आसपास सफाई रखना बेहद महत्वपूर्ण है।
– आंखों को नियमित अंतराल पर धोते रहें और इनकी सफाई भी रखें।
– घर से बाहर निकलते समय अधिक एहतियात बरतें और आंखों को चश्मे से कवर कर रखें।
– अगर कोई पीड़ित व्यक्ति है तो उसके संपर्क में ना आएं।
– आई फ्लू से संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग किए गए सामान का इस्तेमाल ना करें। खासतौर से बेड, तौलिया, कपड़े, गद्दा आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए।
– आई फ्लू होने पर टीवी, मोबाइल या किसी भी प्रकार की डिजिटल स्क्रीन से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
इन उपायों को अपनाएं
– अगर आंखों में अधिक दर्द हो या परेशानी अधिक हो तो आंखों को ठंडे पानी से धोएं।
– आंखों को गुलाब जल से भी साफ करें। ये इंफेक्शन कम करने में सहायक होता है।
– आंखों में डॉक्टर की सलाह से ही कोई भी ड्रॉप डालें।