
पंकज कुमार मिश्रा मीडिया पैनलिस्ट – जौनपुर
हैरान होने और बवाल काटने की कोई जरुरत नही, राहुल गांधी को देखते हुए मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि सदस्यता जाने के तो सुख ही सुख है । और कही अगर उनकी राजनीतिक सदस्यता खत्म हो तो परमानंद हो जाए । लोकसभा सदस्यता जाने पर कहूंगा की वह सबसे पहले तो दुर्भाग्य था जो सही हो गया । वायनाड के समाज की तरक्की मे उनका योगदान भले ही हो न हो पर अर्थ आवर और कॉमेडी आवर तो है ही । राहुल लोकसभा में नही तो जोक और मिम्स भी कम आएगा और उन आईटी सेल के पैसों से आप बचत भी कर सकते है और मौज मस्ती भी ।बुजुर्ग लोग राहुल के लोकसभा में न होने पर हाथ का पंजा दिखाएंगे , उंगली करेगें तो कन्धों के जोडो की अकडन खुल जाएगी । सत्ता मे पप्पूगिरी कम होगी ! अरे भई, राहुल के ना होने की वजह से ठहाके ही नही लगेंगे , राहुल के ना रहने से खड़गे और दिग्विजय के आपसी झगडे कम होगें दोनो बजाय एक दूसरे को कोसने के कमलनाथ को कोसेंगे । इससे मन की भडास भी निकल जाएगी और मन को अभूतपूर्व शांति भी मिलेगी । अब लोकसभा में राहुल के ना होने पर आप घर से बाहर निकलेगे अडोस पडोस मे पूछेगे राहुल के बारे में ,फिर धीरे धीरे जान पहचान होगी और विपक्ष से दोस्ती हो जाएगी । राहुल के न होने की वजह से आप श्रृंगार और वीर रस के कवि या लेखक बन सकते हैं । ऐसे लेख निकलेगें आपकी कलम से कि बस पूछिए ही मत । और तो और आप जोशीले नेता भी बन सकते है । नारेबाजी, धरना-प्रदर्शन, जलूस की अगवाई में महारथ हासिल हो सकती है । सूरत से जेल और बेल के बाद राहुल की संसदीय सदस्यता ख़त्म। अजी इतनी जल्दी भी क्या थी । अडानी ने यदि गलत भी किया था तो 100 दिन इंतज़ार तो कर लेते पर लगे अडानी विथ मोदी कहने । लगता यह है कि यह पूरा एक बड़ा गेम था हिंनडनबर्ग के साथ । संसद में अडानी मामले में जेपीसी की मांग पर शक और गहरा हो जाता है की कही राहुल विदेशी एजेंट तो नही थे । बवाल इस हद पहुंचा कि अठारह विपक्षी दलों की मांग मानी गई और राहुल की सदस्यता को खत्म कर दिया गया ।
मोदी जी से उन्हें कैसा डर था कि जब उनसे माफी की मांग की गई तो उन्होंने देशहित में माफी मांगने से इंकार किया । अब जब चार साल से पेंडिंग मामले को यकायक उठाकर राहुल गांधी को जेल मिला तो कांग्रेसियों को क्या मिला ? सब गलत टाइमिंग का परिणाम । दो साल की सजा और 15हजार के जुर्माने की सजा सुना दी गई। लेकिन दूसरे ही पल कोर्ट ने उन्हें 30 दिनों की जमानत दे दी। 23मार्च के फैसले के तत्काल बाद आज 24मार्च को उनकी 24घंटे में वायनाड से संसदीय सदस्यता ख़त्म कर दी गई।ये सोचने विवश करता है कि एक जिला कोर्ट की कार्यवाही पर यह न्याय पूर्ण रवैया अख़्तियार किया गया तो ब्लैक डे क्यों ? अब आरोपी जमानत पर हैं और उसे अगली अदालत में मामला ले जाने की इज़ाजत दी गई है। बहरहाल इस कार्रवाई से साफ़ है कि राहुल के अजीब बयानबाजी ने जिसे आज भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे लोग भी हाथों हाथ लेकर, जाहिर कॉमेडी कर रहे हैं । भारत सरकार को नागवार गुजरा है और इसीलिए न्याय में माहिर अपनी कारगुज़ारी का फायदा उठाया है।यह बात इस आपाधापी ने भी सिद्ध कर दी है कि मोदी जी ने जो बात कही वह सीधे चोट की है।इसे ही कहते हैं चोर खुद अपने जाल में आ गया। उन्हें क्या ज़रूरत थी इतने उतावलेपन में नीरव मोदी को टारगेट करने का ।अब तो लगता है जो जो बातें लोगों ने कहीं हैं उस बहाने काफी दिन तक जेल की तैयारी में सरकार है ।उधर विपक्षी दल का भी जेल भरो अभियान की तैयारी शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस भी ज़िदादिली के साथ मैदान में है।राहुल गांधी मामले में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण का बयान सामने आया है प्रशांत भूषण ने कहा कि जब कोर्ट ने सजा के लिए 1 महीने का समय दिया है। लेकिन लोकसभा ने एक दिन के भीतर फैसला लेकर संसद सदस्यता के लिए अयोग्य कर दिया राहुल गांधी को अडानी के खिलाफ बोलने की कीमत चुकानी पड़ी है। राहुल गांधी ने नीरव मोदी, ललित मोदी, मेहुल चोकसी को चोर कहा।और यह पूछा कि ऐसा क्यों है कि सब चोरों के नाम मोदी हैं। यह नहीं कहा कि सब मोदी चोर हैं।फिर भी किसी मोदी के मानहानि की कंप्लेंट पर उनको 2 साल की सजा! ताकि उनको संसद से बर्खास्त कर दिया जाए?यह भारत के लोकतंत्र का हाल है ।कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट कर कहा, “राहुल गांधी जी की लोकसभा सदस्यता ख़त्म कर दी गई।वह आपके और इस देश के लिए लगातार सड़क से संसद तक लड़ रहे हैं, लोकतंत्र को बचाने की हर सम्भव कोशिश कर रहे हैं. हर षड्यंत्र के बावजूद वह यह लड़ाई हर क़ीमत पर जारी रखेंगे और इस मामले में न्यायसंगत कार्यवाही करेंगे लड़ाई जारी है” अखिलेश यादव अरविंद केजरीवाल,ममता बनर्जी आदि कई नेताओं ने सरकार के इस कृत्य की निंदा की है । भारतीय लोकतंत्र में इतना तावरित न्याय कभी नहीं देखा गया जब विपक्ष के सांसदों ने सदन नहीं चलने दिया यह सिर्फ इसलिए ताकि मोदी की आवाज ही ना सुनी जाए। लगता है अब नंगई सिर चढ़कर बोलने लगी है।आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह दिल्ली कांग्रेस की सरे आम पोल खोल रहे हैं। उन्हें बेशर्म कहने से नहीं चूक रहे।उधर उन दोनों के लंगोटिया यार भगवंत मान ने पंजाब में क्या क्या गुल खिलाए हैं उस पर और अपने मफलर वाले सर जी के ज़बान सिले हुए हैं।यह देशविरोधी नीति हमें कहां ले जा रही है अब तो यह शक भी पुख्ता होने लगा है कि पंजाब में दंगे भी इनकी रीतिनीति का परिणाम थे। 2014के आमचुनाव के दौरान कांग्रेस मुक्त भारत का आव्हान भी लोकतांत्रिक दृष्टिकोण से उचित था क्यूंकि जिस तल्लीनता से झूठमझठ का सहारा लेकर सत्ता हथियाई गई उसकी पोल पट्टी भी अब लगातार उजागर होने लगी थी । 70 साल तक देश को निगलने के बाद प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को निगलने की तैयारी थी । अब तो विदेशी मीडिया का भी सहारा लेकर राजनीति में आने की कोशिश मे लगे थे ।कहा भी जाता है झूठ की उम्र लंबी नहीं होती इसी डर और सदमे में राहुल जेल में पहुंच गए । न्याय की चाबुक विपक्ष पर सख्त होती जा रही है।सब कुछ सही रहा तो ,देश की राजनीति लोकतंत्र के हवाले कर देश के आम नागरिक को न्याय मिले इसकी व्यवस्था की जा रही । आज बिहार को जिस तरह कमज़ोर कर दिया गया है वह भी चिंताजनक है क्युकी राहुल की तरह तेजस्वी भी भ्रष्टाचार और मानहानि के आरोपों से घिरे है ।बिहार भूख से मुश्किलात से निपट रहा है। मंहगाई, बेरोजगारी की बदौलत अपराध बढ़ रहे हैं। किसान लुटा पिटा अवाक फिर संघर्ष की राह पर है।कथित पलटू राम के वजह से सबसे दुर्दिन से चहुंओर त्राहिमाम त्राहिमाम है। लोग सोच रहे हैं राहुल गांधी को संसद से हटाकर और जेल भेजकर,दस साल राजनीति और सत्ता से बाहर है तो जल्दी वापसी कर सब अपने मंतव्य को पूर्ण कर लेंगे यह सोचनीय है । राहुल गांधी ने इन 10वर्षों में देश के विरोध में सरकार के खिलाफ विदेशो को जो सुझाव दिए हैं जनता को उससे नफरत है । राहुल का यह कहना वे राहुल सावरकर नहीं है राहुल गांधी हैं आखिर सावरकर वीर स्वतंत्रता सेनानी थे और राहुल एक विदेशी खुफिया एजेंट की भांति कार्य कर रहे । उन्हें मुल्क पर आए संकट में भगाना बहुत छोटा बनाता है।पता नहीं क्यों सावरकर सरनेम से चिढ़ और वादियों से लगाव ने उन्हें चिढ़चिढ़ा बना दिया है। अब वे भी अदालत जा सकते है ।