उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्री बांके बिहारी मंदिर की उच्चाधिकार प्राप्त प्रबंधन समिति ने अति विशिष्ट व्यक्ति (वीआईपी) पास तत्काल प्रभाव से बंद करने और दर्शन के लिए सीधा प्रसारण शुरू करने सहित कई बड़े फैसलों की घोषणा की। उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर गठित उच्चाधिकारप्राप्त समिति ने एक बैठक में मंदिर में दर्शन एवं सुरक्षा व्यवस्था में सुधार लाने का एक बड़ा प्रयास किया है। जिला सूचना अधिकारी द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक, मंदिर में पर्ची कटाकर वीआईपी के तौर पर दर्शन करने की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है और इसके लिए वीआईपी कटघरा भी हटा दिया जाएगा।
विज्ञप्ति के मुताबिक, गर्मियों में मंदिर तीन घंटे और सर्दियों के दिनों में पौने तीन घंटे अधिक समय के लिए खुलेगा। समिति ने यह भी तय किया कि मंदिर के भवन का आईआईटी रुड़की से संरचनात्मक ऑडिट कराया जाए और यह भी पता लगाया जाए कि मंदिर के पास कुल कितनी चल-अचल संपत्ति है। समिति ने विशेष तौर पर वर्ष 2013 से 2016 तक के समय की अनियमितताओं की जांच के लिए विशेष ऑडिट कराने और 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट समिति के समक्ष रखने का भी निर्णय लिया है। समिति ने मंदिर के गर्भगृह में वर्षों से बंद कमरे को खोलने का निर्णय लिया है। विज्ञप्ति के मुताबिक, इसके साथ ही वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी ताकि यह रिकॉर्ड किया जा सके कि कमरे में क्या-क्या है।
बहरहाल, वृन्दावन का बांकेबिहारी मंदिर करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहाँ आने वाला हर भक्त अपने ईष्टदेव के दर्शन का वही अधिकार रखता है जो किसी और का है। ऐसे में मंदिर प्रशासन का ‘वीआईपी दर्शन’ बंद करने का निर्णय निस्संदेह स्वागत योग्य और समयोचित कदम है। अब तक की व्यवस्था में विशेषाधिकार प्राप्त लोग सीधे दर्शन कर लेते थे, जबकि आम श्रद्धालुओं को घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ता था। मंदिर जैसा पावन स्थल किसी भी तरह की असमानता का प्रतीक नहीं बनना चाहिए। भक्ति का मूल तत्व ही समानता और निष्काम भाव है। इस दृष्टि से यह निर्णय मंदिर की गरिमा और परंपरा दोनों को पुष्ट करता है।
इस फैसले के दूरगामी लाभ भी होंगे। भीड़ प्रबंधन अधिक सहज होगा, असंतोष और अव्यवस्था की स्थिति कम होगी तथा सबसे महत्वपूर्ण, भक्तों को यह अनुभव होगा कि ईश्वर के सामने सब समान हैं। इससे मंदिर प्रशासन पर लगे व्यापारीकरण और विशेष वर्ग के प्रभाव की आलोचना भी स्वतः समाप्त हो जाएगी। श्री बांके बिहारी मंदिर की उच्चाधिकार प्राप्त प्रबंधन समिति का यह कदम केवल एक धार्मिक स्थल की आंतरिक व्यवस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज को यह सांस्कृतिक संदेश भी देता है कि आस्था और भक्ति में कोई ऊँच-नीच, छोटा-बड़ा नहीं होता। जब सब भक्त एक ही पंक्ति में खड़े होकर दर्शन करेंगे, तभी भक्ति का सच्चा आनंद और संतोष मिलेगा।